खबर लहरिया Blog महिलाओं ने होती हिंसाओं को लेकर जिलाधिकारी को सौंपा पत्र, होगा समाधान या सिर्फ रह जाएगा आश्वाशन ?

महिलाओं ने होती हिंसाओं को लेकर जिलाधिकारी को सौंपा पत्र, होगा समाधान या सिर्फ रह जाएगा आश्वाशन ?

महिलाओं ने अपने ऊपर होती हिंसाओं को लेकर जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा को सौंपा पत्र। जिलाधिकारी ने जाँच का दिया वादा।

                साभार – varanasi.nic.in

‘आश्वाशन’ यह शब्द आमतौर पर आपको अधिकारी और नेता बोलते हुए दिखेंगे। ‘हम आश्वाशन देते हैं ये कर देंगे, वो कर देंगे, समाधान हो जाएगा….. वगैरह वगैरह’ पर कुछ हुआ क्या? अब आश्वाशन शब्द मुझे तो किसी चुटकुले से कम नहीं लगता। हर बार अधिकारी बहाने की तरह खुद को बचाने के लिए इस शब्द का इस्तेमाल करते हैं। ज़रूरतमंद व्यक्ति भी मन मारकर इस शब्द पर विश्वास करने की पूरी कोशिश करता है कि शायद कभी तो यह शब्द हकीकत बनेंगे। वह बस इंतज़ार करते हैं और सिर्फ इंतज़ार करते हैं क्यूंकि जो वह कर सकते थे उन्होंने वह सब कुछ किया। आश्वाशन से जुड़े हुए दो मामले हम आपके साथ शेयर कर रहे हैं। अब देखना यह है कि यह भी बस शब्द रह जाते हैं या फिर जनता की समस्याओं का समाधान होता है।

यूपी के जिला वाराणसी में राइफल क्लब सभागार में जनसुवाई करते जिला अधिकारी कौशल राज शर्मा के पास दो महिलाएं अपनी समस्यायों के समाधान के लिए पहुंची। जानिये क्या है दोनों मामले और उनका समाधान होता है या नहीं।

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घरेलू हिंसा से प्रताड़ित मामले

पहला मामला : नगर क्षेत्र लल्लापुरा में रहने वाली नीलोफर दोनों पैरों से दिव्यांग है। वह पांच सालों से आवास की मांग कर रही हैं। माँ-भाई तो हैं लेकिन इसके बावजूद भी वह मांग कर खाने को मज़बूर है। किसी तरह से माँ-भाई के ताने सहकर गुज़ारा कर रही है। दिव्यांग सर्टिफिकेट होने के बाद भी उसे दिव्यांग साइकिल नहीं मिली है। किसी तरह से उसने अपनी इंटर की पढ़ाई पूरी की है। काम तलाशने के बाद भी उसे कोई काम नहीं मिला।

वह हर बार अधिकारीयों के पास इस उम्मीद से जाती है कि शायद अब उसे आवास मिल जाए लेकिन मिलता है तो सिर्फ खाली और खोखला आश्वाशन। वह पहली बार किसी के सहयोग से डीएम से मिलने पहुंची है और उसने अपना पत्र डीएम को सौंपा है। वह प्रशासन का दरवाज़ा 5 सालों से खटखटा रही हैं। वह कहती हैं कि पता नहीं उनकी समस्या का समाधान होगा या नहीं या फिर उन्हें फिर से निराश होकर वापस लौटना पड़ेगा।

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दूसरा मामला : थाना मुड़वारी में रहने वाली महिला का कहना है कि उसके ससुराल वालों द्वारा उसे सालों से प्रताड़ित किया जा रहा है। वह साल 2009 से न्याय पाने के लिए प्रशासन के चक्कर काट रही हैं। वह लगभग 23 सालों से अपने परिवार के साथ रही है लेकिन उसे आज तक प्रताड़ित किया जाता है। महिला का कहना है कि उसके पति द्वारा उस पर मकान से बाहर निकलने का दबाव बनाया जा रहा है। उससे कहा जाता है कि, ‘तुम यहां से चली जाओ, तुम्हारा यहां कुछ नहीं है’।

इसे लेकर उसने मुड़वारी थाने में तहरीर भी लिखवाई थी लेकिन फिर भी कोई सुनवाई नहीं हुई। महिला का कहना है कि उसके घर वालों ने उसके कमरे का ताला तोड़कर उसका सारा सामान फेंक दिया यहां तक की उसके ज़ेवर भी चुरा लिए। इसके बाद उसने पुलिस को कॉल किया। मामले को लेकर ससुराल वालों की जांच-पड़ताल भी हुई फिर भी उसे आज भी प्रताड़ित किया जा रहा है। उसके साथ मारपीट और गाली-गलौच की जा रही है। उसे धमकी दी जा रही है।

वह कहती है कि उसकी एक बेटी है। वह उसे लेकर कहां जायेगी। जो मामले का सीसीटीवी फुटेज थी उसे भी डिलीट कर दिया गया। जब वह कमिश्नर के पास पहुंची तो उन्होंने ससुराल वालों के खिलाफ जांच के लिए बोला लेकिन इसके बावजूद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई है। वह प्रशासन से अपनी और अपनी बेटी की सुरक्षा की मांग लिए चक्कर काट रही है। अब उन्होंने जिलाधिकारी कौशल राज को अपना पत्र दिया है। उन्होंने आश्वासन दिया है कि हो जाएगा। अब देखना है यहां से उनकी समस्या की सुनवाई होती है या नहीं।

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दोनों मामलों की होगी जांच – जिलाधिकारी

खबर लहरिया ने दोनों महिलाओं की समस्याओं को लेकर जिला अधिकारी कौशल राज शर्मा से बात की। उनका यही कहना था कि दोनों मामलों का समाधान किया जाएगा। साथ ही जल्द से जल्द जांच के लिए दोनों पत्र को आगे भेजा जाएगा। लेकिन कब? मामले के निपटारे में कितना समय लगेगा? क्या तब तक महिला अपने परिवार वालों द्वारा प्रताड़ित होती रहेगी? क्या उसे सुरक्षा प्रदान नहीं की जा सकती? सरकार द्वारा महिलाओं की समस्यायों को पहले रखने के वादे का क्या हुआ? क्या अधिकारी और प्रशासन अपने ही कहे हुए शब्दों को भूल गए?

इस खबर की रिपोर्टिंग सुशीला देवी द्वारा की गयी है। 

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