खबर लहरिया क्राइम अभी तक अनसुलझी है नरैनी इंडियन बैंक कैशियर के मौत की गुत्थी- जासूस या जर्नलिस्ट

अभी तक अनसुलझी है नरैनी इंडियन बैंक कैशियर के मौत की गुत्थी- जासूस या जर्नलिस्ट

दोस्तों क्राइम चरम सीमा पर है सब हदें पार हो चुकी हैं, लेकिन जिस परिवार से कोई जाता है उस परिवार का क्या हाल होता है यह सोचने वाली बात है। 4 अगस्त को नरैनी इंडियन बैंक शाखा के कैसियर अभिषेक चौधरी की फांसी लगने से मौत का मामला एक सनसनीखेज बन गया। लेकिन परिवार यकीन करने के लिए तैयार नहीं है कि उनके बेटे ने आत्महत्या की है,तो वहीं लोगों द्वारा भी कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं,तो क्या आप भी सुनना और जानना चाहते हैं। इस घटना के पिछे कि कहानी तो बने रहिए पूरा वीडियो देखने के लिए।

कवरेज के दौरान जासूसी में मृतक के परिजनों ने रोते बिलखते बताया कि घटना के समय जब वह मौके पर पहुंचे तो उनके बेटे के कमरे का सामान बिखरा हुआ था। यहां तक कि उसके कमरे का बल्ब तक निकला हुआ था जबकि रात में ही उन्होंने अपने बेटे से बात की थी और उनको ऐसा कुछ समझ नहीं आ रहा था कि उनका बेटा कोई परेशानी में है। उन्हें शक है कि उनके बेटे कि हत्या कि गई है, इसलिए वह न्याय चाहते हैं। लेकिन पुलिस प्रशासन से उनको किसी भी तरह की कोई मदद नहीं मिल रही है। परिवार ने बताया कि बेटे कि मौत कि सूचना भी उनको खुद नहीं दी गई है। उनके दामाद को फ़ोन करके बताया गया है और दामाद द्वारा परिवार को पता चला है। डायरेक्ट बैंक या पुलिस किसी ने उन्हें सूचित नहीं किया यह भी उनके मन में एक बड़ा सवाल उठ रहा है।

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जासूसी में मृतक के पिता ने यह भी बताया कि 3 तारीख को ही इंडियन बैंक के मैनेजर ट्रांसफर करवा कर चले गए हैं और उसी रात उनके बेटे के साथ यह घटना होती है। इसके बाद वहां के एक और कार्यकर्ता को सस्पेंड कर दिया गया है। यहां तक कि खाना बनाने वाले को भी हटा दिया गया है। जो खाना बनाता था और बैंक में भी काम देखता था। जिस स्थिति में उनके बेटे की बॉडी बाथरूम में टंगी हुई थी। उससे साफ समझ आता है कि फांसी से तो मौत नहीं हो सकती इसलिए वह कड़ी जांच और न्याय चाहते हैं। उनका कहना है कि प्रशासन मदद तो कर ही नहीं रहा उल्टे उन पर केस बंद करने का दबाव बना रहा है, जबकि बैंक में बहुत ज्यादा घोटाला निकला हुआ है और यह घोटाला बैंक मैनेजर की मिलीभगत से हुआ है। इसी के कारण उनके बेटे की हत्या की गई है ताकि वह अपना मुंह ना खोल सके।

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नरैनी ऐसो मनोज कुमार का कहना है कि उनके यहां उसके बारे में कोई जानकारी नहीं है ना कुछ हुआ है उसी समय पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया था बाकी बैंक ही बता सकता है क्योंकि बैंक में 2 करोड़ 30 लाख का घोटाला बताया जा रहा है। जो बैंक से उनको जानकारी मिली है कि उस कैंसियर ने काफी घोटाला किया था ₹8000000 तो उसने अपने नौकर के खाते में डाल कर निकाल लिये थे। इसी तरह जो भी लोग पैसे जमा करने आते थे स्लिप देते थे पैसे देते थे लैपटॉप खोलकर एक बटन दबाता था और वह पैसा लोगों के खाते में ही नहीं जाता था। उसके अलग खाते में जाता था और उसको कैसियर इस्तेमाल करता था जब उसको यह हुआ कि बैंक में पैसा जमा होना है और उसके पास पैसा नहीं था इसी कारण उसने फांसी लगा ली।

इंडियन बैंक में जांच कर रहे रंजीत कुमार साऊथ से है हमीरपुर ब्रांच में सीनियर मैनेजर हैं। उन्होंने बताया कि उनको यह जांच मिली हुई है 1 हफ्ते से रहकर यहां पर जांच कर रहे हैं जांच में जो भी निकल कर आया है गोपनीय हैं वह अपने सीनियर मैनेजर को देंगे वहां से लखनऊ जाएगी जांच और इसके बाद चेन्नई जाएगी जो उनकी मेन ब्रांच है। जांच में क्या निकल कर आया किस तरह का घोटाला हुआ आगे क्या कार्यवाही होगी यह बताने से उन्होंने इंकार कर दिया।

सवाल यह उठता है कि बैंक मैनेजर का अचानक उस दिन ट्रांसफर क्यों हुआ बाद में एक और कर्मचारी को क्यों हटाया गया खाना बनाने वाले को क्यों हटाया गया। अगर बैंक में इतना ज्यादा घोटाला हुआ है,तो इसकी निष्पक्ष जांच अभी तक निकलकर क्यों नहीं आई? पुलिस क्यों चुप बैठी हुई है? आखिरकार इसकी गुत्थी सुलझाने के लिए छानबीन और जांच कब तक चलेगी?  इस केस का खुलासा होगा या सिर्फ जांच के नाम पर यह केस कागजों में ही दफ़न हो जाएगा। पीड़ित परिवार न्याय के लिए तड़पता रहेगा। तो यह थी मेरी आज की जासूसी भरी कहानी। अगली बार फिर मिलूंगी किसी नए मुद्दे के साथ, तब तक के लिए दीजिए इज़ाज़त नमस्कार।

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