खबर लहरिया क्राइम ससुराल वालों ने घर से निकाला, कोर्ट से भी नहीं मिल रहा न्याय

ससुराल वालों ने घर से निकाला, कोर्ट से भी नहीं मिल रहा न्याय

महिलाओं के साथ हो रही हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है। आये दिन महिलाओं को घर के अंदर हो या बाहर टॉर्चर किया जाता है। कहीं दहेज को लेकर तो कहीं बच्चा ना होने को लेकर तो कहीं किसी और बहाने से, लेकिन पुरुष सत्ता वाली सोच बदलने का नाम नहीं लेती। इस बार के शो में मैं एक ऐसा ही मामला लेकर आई हूं बांदा जिले के नरैनी ब्लाक अंतर्गत आने वाले करतल कस्बे से। यहाँ की संगीता को ससुराल वालों ने घर से निकाल दिया। अब वह मायके में रह कर गुजारा कर रही हैं। इसका मुकदमा भी कोर्ट में चल रहा है लेकिन अभी किसी तरह का निर्णायक फैसला नहीं आया।

हमारी कवरेज के दौरान जासूसी में पीड़िता से निकल कर आया कि उसकी पहली शादी एमपी में हुई थी लेकिन पति कि बीमारी के हालत को देखते हुए ससुराल वालों ने तलाक करा के मायके भेज दिया था, ताकि उसकी जिंदगी ना खराब हो। मायके वालों ने नरैनी कस्बे में संजीव खरे के साथ 2018 में दूसरी शादी करा दी। शादी के कुछ ही दिन बाद पति और ससुराल वाले पहली पत्नी के बेटे को उससे खतरा बता कर प्रताड़ित करने लगे। जिससे वह काफी परेशान रहने लगी।

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पीड़िता ने यह भी बताया कि ससुराल वाले चार-चार दिन खाना नहीं देते थे। पहली पत्नी के बच्चे को उसके पास नहीं आने देते थे। कहते थे कि यह उस बच्चे को मार डालेगी। महिला ने आरोप लगाया है कि उसको दूसरा बच्चा न हो इसके लिए ससुराल वालों ने मलेरिया का इंजेक्शन लगवा के बच्चा गिरवा दिया। फिर कुछ दिन बाद उसके पेट में दूसरा बच्चा आ गया। वह बीमार हो गई तो उसको ससुराल वालो ने मारा और मायके छोड़ दिया। वह पति को फोन लगाती रही लेकिन ना कोई आया ना फोन उठाया। काफी दिक्कतों के बाद महिला को मरा बच्चा पैदा हुआ फिर भी ससुराल वाले नहीं आये।

अब महिला अपने मायके में माँ के साथ रहती है लेकिन कब तक? कल को माँ नहीं रही तो वह कहाँ जाएगी? 2000 रूपये गुजारा भत्ता देने की बात हुई है अगर मिलने भी लगेगा तो उतने में क्या होगा? दो हजार रूपये में किराया का घर भी नहीं मिलेगा, ऐसे में वह क्या करे?

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वकील जगन्नाथ का कहना है कि मामला कोर्ट में चल रहा है वह अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं और वसूली करवाने की भी कोशिश कर रहे हैं ताकि उसको मेंटेनेंस का पैसा मिलने लगे।

राष्ट्रीय महिला आयोग की ओर से जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक साल 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध की करीब 31,000 शिकायतें मिलीं थी। घरेलू हिंसा से संबंधित 6,633 और दहेज उत्पीड़न से संबंधित 4,589 शिकायतें थीं। सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की सबसे अधिक 15,828 शिकायतें दर्ज की गईं।

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