खबर लहरिया Blog इस गाँव में नहीं हुआ विकास का उदय

इस गाँव में नहीं हुआ विकास का उदय

पूरे देश में विकास की आंधी बह रही है। हर तरफ विकास का ढिंढोरा पीटा जा रहा है। लेकिन पन्ना जिले का सिनहाई ग्राम पंचायत विकास को तरस रहा है।

पन्ना जिले के ब्लॉक अजयगढ़ ग्राम पंचायत सिनहाई में कुछ ऐसे गांव व मजरे हैं जहां पर विकास के नाम पर सिर्फ कागजी कार्यवाही की गई है। जमीनी स्तर पर विकास कहीं नजर नहीं आ रहा है। वैसे तो विकास के लिए बहुत सारी योजनाएं चलाई जा रहे हैं। लोगों को जागरूक किया जा रहा है लेकिन चलिए गाँव में चलकर देखते हैं कि कितनी जागरूकता लोगों में आई है। क्या ग्रामीण लोगों को ही जागरूक करने की आवश्यकता है या फिर उन कर्मचारियों को जो कि राज्य से लेकर जिला ब्लॉक ग्राम पंचायत में बैठे हुए हैं और नहीं देख पा रहे हैं। ग्रामीण स्तर पर क्या स्थितियां चल रही हैं। किन योजनाओं का लाभ उन गरीबों तक पहुंचाना है जिन से गरीबों की सहायता हो सके। ग्रामीणों को हर तरह की योजनाओं की जानकारी हो सके जिससे ग्रामीण लाभ ले सके।

विकास की धीमी रफ़्तार?

चलिए आज हम आपको बताते हैं एक ऐसे गांव की कहानी जिसका नाम सिमरा खुर्द है। अजयगढ़ ब्लॉक के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत सिनहाई के अंतर्गत आने वाला यह गांव काफी सारी समस्याओं से जूझ रहा है। रामप्यारी जिनकी उम्र लगभग 62 साल है। जो कि सिमरा खुर्द की निवासी हैं उन्होंने बताया कि इनके गांव में ना ही किसी प्रकार का कोई विकास है और ना ही लोगों को सुविधाएं मिल रही हैं। जिस प्रकार से गांव में सुविधाएं दी जा रही हैं नई-नई योजनाएं चलाई जा रही हैं पर इस गांव में पुरानी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा तो नई योजनाओं की जानकारी दी कैसे होगी? रामप्यारी बताती हैं की इन्हें न वृद्धा पेंशन, न आवास और न ही बीपीएल राशनकार्ड का लाभ मिला है।

दो कमरे में चल रहा पाचवीं तक स्कूल

सिमरा खुर्द गाँव की आबादी लगभग 500 है और 250 वोटर हैं। फिर भी इस गाँव में कोई योजना नहीं आती है यहां पर किसी भी प्रकार का ध्यान नहीं दिया जा रहा। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि इस गांव में कभी कोई अधिकारी नहीं आता है। यहाँ प्राथमिक विद्यालय भी बना है तो उसमें मात्र 2 कमरे हैं और कक्षा एक से पांचवीं तक प्राथमिक शाला विद्यालय है।

सोचने वाली बात तो यह है कि अब कक्षा एक से पांचवीं तक की कक्षा में मात्र दो ही रूम हैं। उसी में ऑफिस और वहीँ पर बच्चों का पढ़ना लिखना। इन परिस्थितियों में बच्चों की शिक्षा पर कितना प्रभाव पड़ता है। वहां पर अधिकारियों को जाकर निरीक्षण करना चाहिए।

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चुनाव के साथ खत्म हो जाते हैं वादे

रामप्रसाद जो सिमरा खुर्द निवासी हैं उन्होंने बताया कि वह विकलांग हैं इनके 7 लड़की और एक लड़का है। इनका कहना है कि ना तो इनका विकलांगता का सर्टिफिकेट बना हुआ है और ना ही इनके पास बीपीएल राशन कार्ड है और ना ही इनको सरकारी आवास योजना का लाभ मिला है। उन्होंने बताया कि जब चुनाव आते हैं तब वोट मांगने के लिए लोगों से झूठे वादे किए जाते हैं कि आपके गांव का विकास होगा आपके गांव में सारी व्यवस्थाएं होंगी लेकिन चुनाव खत्म होते ही सभी वादे भी खत्म हो जाते हैं। और भोले-भाले ग्रामीण हाथ में हाथ रखे रह जाते हैं।

फिसलन भरी सड़क से निकलना मुस्किल

बरियारपुर सड़क अम्हा गांव से लगभग 3 से 4 किलोमीटर अंदर तक खराब है। यहाँ आदिवासी जनसंख्या निवास करती है। आप तस्वीरों के माध्यम से यह पता लगा सकते हैं कि इस गांव में कितना विकास है। ना तो यहां नालियां बनी है ना तो यहां अच्छी सड़क बनी हुई हैं। मैं खुद जब रिपोर्टिंग करने गई तो अचानक बारिश होने लगी तो मुझे खुद गाड़ी निकालना वहां से मुश्किल हो गया। सड़क की इतनी बुरी स्थिति है कि मैं गिरते- गिरते बची।

गांव वालों ने जानकारी देते हुए बताया कि बारिश में अधिकतर सड़क की बहुत समस्या होती है अगर कोई बीमार हो जाता है तो गोदी में उठाकर ले जाना पड़ता है। कभी-कभी ऐसा हो जाता है कि अगर किसी की डिलीवरी है और टाइम से कोई साधन नहीं मिल रहा तो डिलीवरी घर में ही हो जाती है। ऐसे में महिलाओं को किसी भी प्रकार का कोई लाभ नहीं मिल पाता है।

ग्राम पंचायत सिनहाई के सरपंच सीताराम अहिरवार ने बताया कि सड़क आधी बन चुकी है आधी सड़क पर गाँव के एक व्यक्ति नहीं आब्जेक्सन किया था इस वजह से सड़क नहीं बन पाई। पर अब सब फ़ाइनल हो गई है जल्द ही सड़क का निर्माण किया जाएगा। जब वृद्धा पेंशन के बारे में बात किया गया तो उन्होंने बताया कि इस गांव में जिन लोगों को वृद्धा पेंशन नहीं मिल रही है उनके पास बीपीएल राशन कार्ड नहीं है। जो विधवा महिलाएं हैं उनके रिकॉर्ड जमा कर दिए गए हैं उनको पेंशन मिलने लगेगी।

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सर्वे में जोड़ा जायेगा लोगों का नाम

आवास के बारे में उन्होंने बताया कि इनमें से कई लोग अपना जीवन यापन करने के लिए गांव छोड़ कर बाहर चले जाते हैं जिसके कारण सर्वे में उनका नाम छूट गये है। दुबारा जब गाँव में सर्वे होगा तो जो छूटे हैं उनका नाम सूचि में जोड़ा जाएगा और उनको लाभ दिया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि जो योजना गांव वालों को नहीं मिल पा रही हैं उनमें कहीं ना कहीं ग्रामीणों की भी जिम्मेदारी है।

इस गांव की स्थितियों को देखते हुए मुझे यह लगा है कि लोगों को जागरूक करने की बात तो हो रही है लेकिन इसके साथ-साथ अधिकारियों को भी जागरूक होने की आवश्यकता है। अधिकारी गांव में जाएं और लोगों की समस्याओं को सुने और गांव में विकास करवाएं। गांव में एक मुखिया इसलिए चुना जाता है ताकि गांव की देखरेख हो सके। गांव में किन-किन समस्या से लोग जूझ रहे हैं इसका सर्वे किया जाए। सरकार के द्वारा जो योजनाएं चलाई जा रहे हैं उन योजना के बारे में ग्रामीणों को बताना और योजनाओं का लाभ दिलाना ग्राम पंचायत के मुखिया की जिम्मेदारी होती है लेकिन यहां पर देखा गया है कि गाँव के मुखिया अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं। वहीं भोले-भाले ग्रामीण समस्याओं से बाहर ही नहीं निकल पा रहे हैं।

इस खबर की रिपोर्टिंग अनीता द्वारा की गयी है।

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