खबर लहरिया Blog लोगों को मिला झोला, झोले पर सीएम योगी की फोटो, क्या इससे हो जाएगा गरीबों का विकास? – बोलें ग्रामीण

लोगों को मिला झोला, झोले पर सीएम योगी की फोटो, क्या इससे हो जाएगा गरीबों का विकास? – बोलें ग्रामीण

महोबा जिले में खाद्यान्न विभाग द्वारा ग्रामीणों में सीएम योगी के फोटो वाला झोला और योजना से जुड़ी किताबें बांटी जा रही है जिसे अधिकतर ग्रामीण पढ़ भी नहीं सकते।

सरकार गरीब और ज़रूरतमंद जनता को लुभाने के लिए नए-नए पैतरे अपनाते रहती है। कभी भाषणबाज़ी में चाटुकारिता वाली बातें बोलकर तो कभी कोई सामान मुफ़्त बंटवाकर। चुनाव के समय वह लोगों के पैर तक छूती है और उनसे जीतने का आशीर्वाद मांगती है। फिर बाद में आशीर्वाद देने वाले हाथों और जनता को भूल जाती है।

महोबा जिले में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है। विधानसभा चुनाव आने को है। ऐसे में पार्टियां जनता की आंखों का तारा बनने की कोशिश में लगी हुई हैं।

महोबा जिले के कुलपहाड़ तहसील के पनवाड़ी ब्लॉक और जैतपुर ब्लॉक में खाद्यान्न विभाग द्वारा झोला और खाद्यान्न से जुड़ी बुक बांटी जा रही है। लेकिन ये कोई आम झोला नहीं है बल्कि सरकार की फोटो वाला झोला है जो यह प्रचार करता है कि उनकी पार्टी उन्हें यह चीज़ दे रही है तो अगले चुनाव में लोगों को उन्हें ही वोट देना है।

इसके अलावा पूर्ति विभाग द्वारा कोटेदारों को आमंत्रण कार्ड भी बाँटे जा रहें हैं। यह कार्ड कोटेदार द्वारा खाद्यान्न लाभार्थियों को दिए जाएंगे।

ये भी देखिये : कोटेदार द्वारा ग्रामीणों और स्कूल में दिया जा रहा कीड़े- मकोड़े वाला राशन

लोगों ने जताया विरोध

खाद्यान्न विभाग द्वारा बांटे जा रहे झोले और आमंत्रण कार्ड को लेकर कुछ लोगों में हमारे साथ अपनी खुलकर बात रखी। लोगों ने विरोध जताते हुए कहा कि, ‘बुक और झोला बांटने से कोई फायदा नहीं है। यह गरीबों का पैसा है। गरीबों के पैसों के साथ सरकार बंदरबाट कर रही है। अगर सरकार यह पैसा गरीबों को दे तो वह अपने घर ख़र्च में लगाएं।’

वह कहतें हैं कि झोला तो चलो ठीक है पर बुक और आमंत्रण कार्ड का वह क्या करेंगे? उन लोगों को क्या मिलेगा? वह कूड़े-कचड़े में फेंक देंगे। उसे सुरक्षित भी नहीं रख सकते क्योंकि ज़्यादातर ग्रामीण लोगों को पढ़ना नहीं आता। वह क्या पढ़ेंगे बस सीएम योगी की फोटो देखेंगे?

चुनाव के लिए बांट रहें हैं किताब और झोला – लोग

राजकुमार श्रीवास्तव ने बताया है कि वह तहसील अधिवक्ता भी हैं। योगी सरकार 2022 के चुनावों की तैयारी कर रही है इसलिए लोगों को लुभाया जा रहा है। यह जो योजना बनाई गई है वो गरीबों के हित की नहीं है।

वह आगे कहते हैं कि , ‘सरकार गरीबों को मिलने वाली सामग्री तो दिला ही नहीं रही है। अब यह किताब देकर क्या संदेश देना चाहती है। पहले गरीब आदमी को मिट्टी का तेल मिलता था। उससे घर में रोशनी होती थी। अब मिट्टी का तेल भी बंद कर दिया और यह बुक चला दी है। क्या बुक से घरों में रोशनी हो सकती है? फोटों देखकर उन्हें अच्छा नहीं लगता। लोगों के घरों में चार-चार दिन तक रोशनी नहीं रहती। वह अंधेरे में रहते हैं। पहले राशन में चीनी मिलती थी। अब वो भी नहीं मिलती। इतनी महंगाई हो गयी है। सरकार राजनीति खेल रही है।’

वह कहतें हैं कि बुक में योजनाओं का नाम लिखा है जिसका लाभ कभी गरीब जनता को मिला ही नहीं। बुक में लिखा गया है कि महिलाओं को उज्ज्वला योजना का लाभ मिला। किसानों को सम्मान निधि योजना का लाभ मिला। सबके आंकड़े बुक में लिखे हुए हैं। लेकिन अगर लोगों के खाते देखे जाए तो वह खाली पड़े हैं।

कुलपहाड़ के रहने वाले देशराज ने बताया है कि, ‘अरे! यह सब दिखावा है। इससे हम लोगों को क्या फायदा होगा। हम लोगों को कोटेदार दे रहा है। हम घर में रख देंगे। कोई खाने- पीने की तो चीज नहीं है कि उसको सुरक्षित रखें। बस ऐसे ही किताब है।’

हमें नहीं पता क्या है योजना – पूर्ति विभाग इंस्पेक्टर

कुलपहाड़ पूर्ति विभाग के सप्लाई इंस्पेक्टर राजेश ने बताया है कि, ‘ हम लोगों के ऊपर से आ रहा है बुक और कार्ड तो हम लोग कोटेदारों को दे रहे हैं। कोटेदार हर लाभार्थी को एक बुक और एक कार्ड देगा। यह सब योजना ऊपर से ही है। हम लोगों को मिला है तो हम लोग दे रहे हैं। क्या फायदा होगा, क्या नुकसान होगा यह वही लोग जान सकते हैं। हम इसके बारे में कुछ भी नहीं कह सकते हैं।’

कोटेदार और यहां तक की पूर्ति विभाग सप्लाई इंस्पेक्टर भी बस सरकार के प्रचार के लिए लोगों में सरकार की छपी फोटो और बुक में लिखी उनकी बढ़ाईयों को ग्रामीणों में वितरण कर रही है। लेकिन उस किताब से लोगों को क्या लाभ जब वह उसमें लिखी योजनाओं को वह पढ़ ही नहीं सकते?

पूर्ति विभाग इंस्पेक्टर भी बड़े आराम से कहते हैं कि उन्हें दिया गया है तो वह बाँट रहे हैं। उन्हें और कोई मतलब नहीं कि लोगों को कुछ लाभ मिलेगा या नहीं। उन्हें कुछ नहीं पता। वह बस खानापूर्ति कर रहे हैं।

फिर ऐसी चीज़ ग्रामीणों में वितरण करने का क्या मतलब बनता है जिसके बारे में ग्रामीण समझ भी नहीं सकते? क्या सरकार की फोटो और बढ़ाइयाँ देखकर गरीब जनता की परेशानियां दूर हो जाएंगी? अब ग्रामीण भी सरकार की चिकनी-चुपड़ी बातों को समझने लगी है। वह सब सरकार पर अपने हक के लिए कटाक्ष करने से नहीं चूकती क्योंकि जब तक सवाल नहीं होगा तो जवाब कैसे मिलेगा?

इस खबर की रिपोर्टिंग श्यामकली द्वारा की गयी है। 

ये भी देखें :

अफवाहों के चलते कोरोना वैक्सीन लगवाने से कतरा रहे लोग, कोटेदार ने कहा वैक्सीन नहीं तो राशन नहीं

 

(हैलो दोस्तों! हमारे  Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)