खबर लहरिया Blog ललितपुर : कोटेदार ने अपनी बचत के लिए कम किया लोगों का राशन

ललितपुर : कोटेदार ने अपनी बचत के लिए कम किया लोगों का राशन

Kotedar reduced the ration of people for their savings

कहा जाता है कि रोटी, कपड़ा और मकान मानव की मूल आवश्यकताओं में से एक है। मनुष्य कुछ समय तक सर पर छत के बिना रह सकता है, एक जोड़ी कपड़े में भी गुज़ारा कर सकता है। लेकिन खाने के बिना मानव ज़्यादा दिन तक नहीं रह सकता। देश के हर व्यक्ति की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है कि वह ज़्यादा कीमत पर अनाज खरीद सके। वहीं अगर हम ग्रामीण लोगों की बात करें तो वहां तो रोज़गार के इतने ज़्यदा स्त्रोत ही नहीं है कि वह ज़्यादा आमदनी कमा सकें। अगर उन्हें कोई रोज़गार मिल भी जाए तो उन्हें उनकी मेहनत की पूरी मज़दूरी तक नहीं दी जाती। ऐसे में वह सिर्फ सरकार की योजनाओं और उनके वादों की तरफ ही आस लगाए दिखाई देते हैं। वह यह सोचते हैं कि शायद सरकार की तरफ से मिलने वाला लाभ कभी तो उन्हें भी मिलेगा। अनाज की ऐसी ही समस्या जिला ललितपुर ब्लाक मड़ावरा गाँव साडूमल मजरा पथरया के लोगों की है। जो राशन ना मिलने से काफ़ी परेशान हैं क्यूंकि उनके सामने भूख मिटाने का सवाल सबसे बड़ा है। 

कभी नहीं मिलता पूरा राशनगाँव के लोग

Kotedar reduced the ration of people for their savings

लोगों का कहना है कि राशन देने वाला कोटेदार उन्हें कम राशन देता है। गांव की रहने वाली सुनवारे बाई कहती हैं कि कोटेदार द्वारा एक व्यक्ति पर एक किलो राशन कम दिया जाता है। वह कहती हैं उनके राशन कार्ड पर दो लोगों के नाम है। जिसके मुताबिक उन्हें 10 किलो राशन मिलना चाहिए। लेकिन उन्हें सिर्फ आठ किलो राशन ही दिया जाता है और उनका दो किलो राशन काट लिया जाता है। 

बृजलाल का कहना है कि उनके परिवार में पांच लोग हैं। जिसके अनुसार उन्हें 25 किलो राशन मिलना चाहिए। लेकिन कोटेदार द्वारा सिर्फ 20 किलो राशन ही दिया जाता है और पांच 5 किलो राशन कम कर दिया जाता है। 

गाँव के ही हल्ली का कहना है कि उसने कोटेदार से कई बार कम राशन देने के बारे में सवाल पूछा। जिसके जवाब में कोटेदार ने हल्ली को बताया कि ऊपर से उनके लिए जितना राशन आता है, वह उतना ही देते हैं। एक किलो राशन वह लोगों का इसलिए कम करते हैं क्यूंकि राशन लाने में उनका किराया और डीज़ल आदि का खर्चा भी लगता है। जिसके पैसे उन्हें नहीं मिलते। इसलिए उन्हें इस तरह से राशन कम करके अपने खर्चे की भरपाई करनी पड़ती है। 

लाखन का कहना है कि उन्होंने कई बार कोटेदार से कहा कि वह उन्हें कम राशन ना दे। वह गरीब है और मज़दूरी करके अपना गुज़ारा करते हैं। उनके पास ज़्यादा खेती भी नहीं है। इसलिए उन्हें मिलने वाले राशन पर ही ज़्यादा निर्भर रहना पड़ता है। लेकिन फिर भी कोटेदार द्वारा उनकी बात को अनसुना कर दिया जाता है। 

गौना बाई  का कहना है कि उन्हें नहीं पता कि कहां पर शिकायत करनी चाहिए। साथ ही उन्हें शिकायत करने पर यह भी डर है कि कहीं कोटेदार उनका राशन कार्ड ही ना काट दे। 

यह मिलता है राशन 

राशन में लोगों को तीन चीज़ें दी जाती हैं। मक्का, गेहूं और चावल। मक्काआधा किलो, गेहूंतीन किलो और चावलदो किलो। यह अनाज प्रति व्यक्ति के हिसाब से दिया जाता है। 

कार्ड के हिसाब से इतना आता है राशन 

Kotedar reduced the ration of people for their savings

गांव की कुल आबादी 6,800 है। जिसमें से 1105 पात्र लोगों के राशन कार्ड बने हुए हैं। हर महीने कोटेदार के पास 83 क्यूंट्ल गेहूं ,82 क्यूंट्ल चावल और 43 क्यूंटल मक्का लोगों में वितरित करने के लिए आता है। 

वहीं गांव में राशन के लिए 107 लोगों के अन्तोदय कार्ड ( जो गरीबा रेखा में आते है ) बने हुए हैं। इन कार्डधारकों में राशन वितरित करने के लिए हर महीने 1605 क्यूंट्ल गेहूं,

535 क्यूंटल मक्का और 82 क्यूंटल चावल आता है।

कोटेदार ने कहा : लोग लगा रहे हैं झूठे आरोप 

कोटेदार मौन सिंह का कहना है कि लोग उन पर झूठा आरोप लगा रहे हैं। उन्हें जितना राशन मिलता है। वह उतना लोगों को दे देते हैं। उनका कहना है कि उन्हें गरीबों के हक़ का खाकर क्या मिलेगा। उन्हें नहीं पता कि लोग उन पर क्यों आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है कि अगर लोगों के पास कभी भी राशन कम निकलता है तो वह उनसे कहें। वह यह भी कहते हैं कि लोगों द्वारा उन्हें यह कभी कहा ही नहीं गया कि उनका राशन कम निकलता है। 

जिला आपूर्ति अधिकारी ने कहा, दोषी पर होगी कार्यवाही 

ललितपुर के जिला आपूर्ति अधिकारी राजीव कुमार का कहना है कि उनके संज्ञान में यह बात कभी नहीं आयी कि लोगों को कम राशन दिया जा रहा है। उनका कहना है कि लोगों को उन्हें कम से कम फोन करके या शिकायत करके अपनी समस्या बतानी चाहिए। वह कहते हैं कि अब जब उन्हें समस्या के बारे में पता चल गया है तो वह मामले की जांच करेंगे और अगर कोटेदार दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ कार्यवाही भी की जायेगी। 

सवाल यह आता है कि अगर कोटेदार द्वारा लोगों को पूरा राशन दिया जा रहा होता तो लोग राशन कम मिलने की शिकायत ही क्यों करते ? दूसरी बात यह है कि कब तक आपूर्ति अधिकारी द्वारा ममले की जांच होगी और कब जाकर लोगों को उनका पूरा राशन मिलेगा। 

इस खबर को खबर लहरिया के लिए सुषमा देवी द्वारा रिपोर्ट किया गया है।

द्वारा लिखितसंध्या