खबर लहरिया जिला टीकमगढ़: रजक समाज को अनुसूचित जाति में शामिल करने का आवेदन डिप्टी कलेक्टर को सौंपा

टीकमगढ़: रजक समाज को अनुसूचित जाति में शामिल करने का आवेदन डिप्टी कलेक्टर को सौंपा

Application to include Rajak Samaj in Scheduled Castes

रजक धोबी जाति ने क्षेत्रीय बंधन समाप्त कर आज संपूर्ण मध्यप्रदेश में इस जाति को अनुसूचित जाति में शामिल करवाने के संबंध में आवेदन सौंपा है। यह आवेदन रजक समाज के द्वारा मुख्यमंत्री के नाम डिप्टी कलेक्टर को दिया गया। 

देश की 18 से अधिक राज्यों की अनुसूचित जाति में शामिल है रजक धोबी जाति– 

रजक समाज की रीडर लक्ष्मी प्रसाद और दिलीप कुमार ने अपने आवेदन में बताया कि रजक धोबी जाति मध्यप्रदेश के भोपाल ,सीहोर ,रायसेन जिलों सहित देश की 18 से अधिक राज्यों की अनुसूचित जाति में शामिल है। उनका कहना है कि धोबी जाति के लोग अन्य समाज जैसे बाल्मीकि समाज, ब्राह्मण समाज एवं ठाकुर समाज, सभी के कपड़ों का मैल धोकर जीवन यापन करते हैं। आज भी मलमूत्र भरे कपड़े रजक धोबी समाज के लोग ही धोते हैं। इन सब के कारण अन्य समाज के लोग रजक धोबी जाति को छुआछूत मानते हैं। 

अभी भी हो रहा है रजक जाति के लोगों के साथ भेदभाव

आज भी गांव के कुछ मंदिरों में रजक जाति के लोगों का जाना वर्जित है। यह लोग गरीब हैं, अशिक्षित हैं और जीवन यापन करने के लिए कपड़े धोते हैं। अगर हम रजक धोबी की राजनीतिक ,सामाजिक, आर्थिक ,प्रशासनिक ,कानूनी स्थिति पर नजर डालें तो राजनीति में इस जाति का कोई भी सदस्य मध्यप्रदेश में ही सांसद है और ही विधायक। और तो और आज तक कभी कोई रजक जाति का इंसान सरपंच भी नहीं बना।  यह सभी बातें प्रजातंत्र के लिए एक प्रश्न चिन्ह हैं।  

सामाजिक दृष्टि से देखें तो रजक समाज के लोगों को अन्य समाज के लोग छुआछूत तो मानते ही हैं, साथ ही कई बार जातिसूचक शब्दों से उन्हें अपमानित भी करते हैं। गांव में जब कभी कोई सामाजिक कार्य होता है तो अन्य समाज के लोग रजक समाज के लोगों को दूर बैठाते हैं। 

रोज़गार के लिए तरस रहे हैं रजक समाज के गरीब लोग

आर्थिक दृष्टि से देखें तो रजक जाति के लोग सिर्फ कपड़े धो कर ही अपना गुजारा करते हैं। बड़ीबड़ी लॉन्ड्रियों में सबसे निचले स्तर के कर्मचारी जो कपड़े धोने का काम करते हैं, वह सभी हिंदू धर्म के रजक धोबी होते हैं। इसके साथ ही कई बार जातीय भेदभाव की वजह से उन्हें  कहीं काम भी नहीं मिलता, तब उन्हें दूसरे राज्यों में पलायन कर मजदूरी करके अपना गुजारा करना पड़ता है। 

मध्य प्रदेश में रजक जाति के लोग शासकीय कर्मचारी जैसे आईएएस एवं आईपीएस भी नहीं बन पाते। कई बार ऐसा भी हुआ है कि कुछ अनुसूचित जाति के लोगों ने रजक धोबी जाति के लोगों पर भेदभाव करने का इलज़ाम लगा दिया और उनपर झूठी रिपोर्ट करवा के एससी /एसटी एक्ट लगवा दिया। 

आज़ादी के बाद से ही मांगें करते रहे हैं ये लोग

रजक जाति को इन सभी विषम परिस्थितियों का सामना पड़ रहा है। और ये लोग आजादी के बाद से लगातार मांग करते रहे हैं कि रजक जाति को संपूर्ण मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति में शामिल किया जाये। आजादी के बाद से कांग्रेस का शासन केंद्र और राज्य दोनों ही जगह रहा है। इन लोगों का कहना है कि कांग्रेस की सरकार ने सिर्फ आश्वासन दिया है और कभी हमारी मांगें पूरी नहीं की। कांग्रेस की नीतियों के कारण मध्यप्रदेश में रजक जाति को दलित से महादलित बना दिया गया है। रजक समाज के लोगों का कहना है कि अगर माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इन लोगों की न्यायपूर्ण मांगें पूरी नहीं की, तो वे धरना प्रदर्शन करेंगे और भूख हड़ताल पर बैठेंगे। 

इस मामले पर टीकमगढ़ के अधिकारी अभिजीत का कहना है कि आज रजक समाज के द्वारा आवेदन आया है। इस आवेदन को डिप्टी कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेजा जाएगा और जो भी आदेश होगा उसका पालन किया जाएगा।

इस खबर को खबर लहरिया के लिए रीना द्वारा रिपोर्ट किया गया है। 

फ़ाएज़ा हाशमी द्वारा लिखित