खबर लहरिया Blog बुंदेलखंड : बाँदा जिले में बालू माफिया की जड़े मज़बूत, हर साल बढ़ते अवैध खनन के मामले

बुंदेलखंड : बाँदा जिले में बालू माफिया की जड़े मज़बूत, हर साल बढ़ते अवैध खनन के मामले

Banda mafia's roots strong in Banda district

उत्तरप्रदेश का बुंदेलखंड क्षेत्र बालू माफियों और अवैध खनन कार्यों की वजह से सालों से ग्रसित है। जिले में आज भी बालू माफिया अपना राज जमाए हुए बैठे हैं। पुलिस और पत्रकारों द्वारा खनन कार्यो से जुड़े मुद्दे को लेकर कई कदम भी उठाये गए। लेकिन किसी के भी हाथ में सफलता नहीं लगी। अगर लगी तो वह बस उनकी मौत थी। कई रिपोर्ट यह बताती हैं कि जब भी कोई पुलिस अफसर बालू माफियों को गिरफ्तार करने के लिए जाता है तो उनकी हत्या कर दी जाती है। वहीं जब कोई पत्रकार अवैध खनन और बालू माफियों के खिलाफ रिपोर्टिंग करता है तो उसे सबसे पहले डरायाधमकाया जाता है। इसके बावजूद भी जब पत्रकार अपनी आवाज़ को नहीं दबाता तो उसे ही ख़त्म कर दिया जाता है। सालों से यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहा है। लेकिन प्रशासन इतने सालों से इन अपराधों को रोकने में पूरी तरह से नाकामयाब दिखी है। हाल ही में, अवैध खनन को लेकर उत्तर प्रदेश के बाँदा जिले में वहां की स्थानीय महिलाओं द्वारा धरना प्रदर्शन किया गया था। 

अवैध खनन से जुड़ी रिपोर्ट

बांदा जिले के गाँव साड़ी की महिलाओं द्वारा अवैध खनन का विरोध करते हुए 1 फरवरी से 8 फरवरी तक धरना प्रदर्शन किया गया। जिसमें उनका आरोप था कि पट्टाधारकों द्वारा किसानों के खेत में अवैध रूप से खनन किया गया। महिलाओं का आरोप है कि इस अवैध काम में बालू माफ़िया और अधिकारियों की मिली भगत है। वहीं किसानों का यह कहना है कि उनके खेतो से मोरम यानी बालू निकाली जा रही। वह कहते हैं कि पट्टाधारकों द्वारा बालू के लिए तीन मीटर से भी ज़्यादा गहरा गड्ढा खोदा गया है। क़ानूनी तौर पर तीन मीटर से ज़्यादा गहरा गड्ढा खोदना अपराध और अवैध खनन में आता है। 

Banda mafia's roots strong in Banda district

खबर लहरिया द्वारा रिपोर्ट की गयी 8 फरवरी की रिपोर्ट कहती है कि जिला बाँदा के खपटिहा कला मोरम खदान खंड संख्या 100 /1 में वहां की महिलाओं के अनुसार अवैध खनन का कार्य किया जा रहा था। जिसे देखते हुए समाज सेवी उषा निषाद ने बताया कि 12 फरवरी को खपटिहा कला में अधिकारीयों द्वारा लेखपाल को ज़मीन के नाप के लिए भेजा जायेगा। यह देखने के लिए कि ज़मीन पर अवैध खनन हुआ है या नहीं। वह कहती हैं कि उन्होंने खनन के मामले में एसडीएम रामकुमार वर्मा से भी बात थी और उन्होंने कहा था कि अगर मामले में कोई दोषी पाया जायेगा तो उससे जुर्माना लिया जायेगा। 

पैलानी तहसील के एसडीएम रामकुमार वर्मा ने बताया कि महिलाओं के कहने पर कि नदी में अवैध खनन हो रहा है , उसे देखते हुए नदी की जांच करवाई गयी थी। लेकिन उसमें अवैध खनन को लेकर कुछ भी सामने नहीं आया था। वह कहते हैं कि पट्टाधारकों द्वारा उनकी ज़मीन पर ही खनन का काम किया जा रहा है। कहीं भी अवैध तौर पर खनन का काम नहीं हो रहा है। 

डीएम द्वारा अवैध खनन के काम को पूरी तरह से मना कर देना, यह दिखाता है कि महिलाएं यूँही धरना प्रदर्शन कर रही थी। लेकिन कोई भी आठ दिन तक यूँही तो धरना प्रदर्शन पर नहीं बैठेगा, क्योंऐसे में यह सवाल आता है कि क्या खनन की जगह की सही तरह से जांच की गयी थी या नहीं

गाँव की महिला का कहना, कार्यवाही होने तक करेंगी धरना प्रदर्शन 

Banda mafia's roots strong in Banda district

खबर लहरिया द्वारा 2 फरवरी की रिपोर्ट में गांव साड़ी की महिला पच्ची का कहना है कि केन नदी के किनारे होते अवैध खनन से पानी का जल स्तर गिर गया है। विदेशी लोग बाहर से आते है और सोनाचांदी सब लूटकर चले जाते हैं। वह कहती हैं कि उनके कहने पर तो पैलानी तहसील और ना ही प्रशासन उनकी बात सुनती है। उनका कहना है कि जब तक उनकी सुनवाई नहीं होगी तब तक वह दिनरात धरना प्रदर्शन पर बैठी रहेंगी। 

समाज सेवी महिला ने कहा, मिलीभगत से हो रहा है खनन का काम 

Banda mafia's roots strong in Banda district

गाँव साड़ी की सामज सेवी उषा निषाद बताती है कि 25 जनवरी के दिन उनके और अन्य महिलाओं द्वारा खपटिहा कला मोरम खदान खंड संख्या 7 की मशीनें घेरी गयी थीं। उस समय प्रशासन और पुलिस की मिलीभगत से मशीनों को हटा दिया गया था। वह प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहती हैं कि अगर प्रशासन का हाथ नहीं होता तो बालू खनन का काम आसानी से कैसे होता? जलधारा से मोरम यानी बालू कैसे निकाल लिया जाता? वह कहती हैं कि जब नदी से बालू ही निकाल लिया जायेगा तो किसान पानी कैसे पियेगा। उषा के साथ तकरीबन 15 महिलाएं धरना प्रदर्शन में शामिल थीं। आपको बता दें, बालू पानी को साफ करने का काम करता है। इस मामले में पैलानी तहसीलदार रजनी निगम ने लोगों को कार्यवाही करने का आश्वासन दिया था। उनका कहना था कि अगर सच में अवैध खनन हो रहा है तो उसकी सही जांच होगी और अपराधियों को भी पकड़ा जाएगा। इस लिंक पर जाकर देखें पूरी रिपोर्ट :-

बालू माफिया के खिलाफ रिपोर्टिंग करने पर , पत्रकार को मिली जान से मारने की धमकी 

खबर लहरिया की 19 अगस्त 2020 की रिपोर्ट में बताया गया कि जसपुरा क्षेत्र के रहने वाले पत्रकार अंशु गुप्ता ने जब बालू माफिया के खिलाफ रिपोर्टिंग की तो उन्हें बालू माफिया द्वारा जान से मारने की धमकी दी गयी। इतना ही नहीं पत्रकार को झूठे इल्ज़ामों में फंसाकर उसके खिलाफ एफआईआर तक दर्ज़ करा दी गयी। पत्रकार का कहना था कि रिपोर्टिंग के दौरान कई बार बालू माफिया के लोगों द्वारा उन्हें और उनके एक साथी को मारने की कोशिश भी की गयी। लेकिन गाँव वालों ने उन्हें बचा लिया। 

रिपोर्ट में बताया गया कि पत्रकार पुलिस से जांच की दोबारा मांग करते हुए अनशन पर बैठा था। वह बताते हैं कि उन्हें सूचना मिली थी कि ट्रक के ज़रिये अवैध तौर पर खनन किये हुए बालू को लेकर जाया जा रहा है। जिसकी सूचना उन्होंने जसपुरा थाना में भी दी थी। जिसकी रिपोर्टिंग के लिए वह और उसका दोस्त रवि तिवारी  31 जुलाई 2020 को खनन वाली जगह पहुँच गए। रिपोर्टिंग के दौरान बालू माफिया द्वारा उनका कैमरा और मोबाइल फोन तोड़ दिया गया। पुलिस में रिपोर्ट दर्ज़ कराने के बाद भी पत्रकार को लगातार जान से मारने की धमकी मिलती रही। इस लिंक पर जाकर देखें पूरी रिपोर्ट :- 

खनन से जुड़े आंकड़े 

गाँव कनेक्शन की 23 नवंबर 2020 की रिपोर्ट के अनुसार 8 नवंबर को जब तमिलनाडु के पत्रकार जी मूस द्वारा अवैध खनन के मामले की जांच की जा रही थी तो उसकी हत्या कर दी गयी। 

साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डेम्स, रिवर्स एंड पीपल ने साल 2020 में नदियों से जुड़े मुद्दों को लेकर आकड़े पेश किये थे। जिसके अनुसार जनवरी 2019 से नवंबर 2020 के बीच अवैध खनन की घटनाओं और दुर्घटनाओं में कुल 193 लोग मारे गए थे। 

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने साल 2020 में राजयसभा को एक रिपोर्ट पेश की थी। जिसके अनुसार साल 2013 से 2017 तक अवैध खनन के कुल 4.16 लाख मामले रिपोर्ट किये गए थे। जिसमें सबसे ज़्यादा मामले महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और कर्नाटका में पाए गए थे।   

सैंड माइनिंग फ्रेमवर्क की 2018 की रिपोर्ट के अनुसार साल 2017 में भारत में बालू की मांग 700 मिलियन टन थी। रिपोर्ट में कहा गया कि बढ़ते सालों के साथ देश में बालू की मांग हर साल 6 से 7 प्रतिशत बढ़ती रहेगी। 

बालू खनन धीरेधीरे देश में अपराध का बड़ा रूप लेता गया। लेकिन कहीं भी प्रशासन या सरकार द्वारा इसे रोकने के लिए कोई भी  कड़ा कदम उठाते हुए नहीं पाया गया। बालू माफिया का राज आज यूपी में अपनी जड़े जमा चुका है। तो क्या सरकार को इसके खिलाफ कोई कड़े कदम नहीं उठाने चाहिए? जो पत्रकार और पुलिस बालू माफियों को पकड़ने के लिए काम करते हैं, उनकी सुरक्षा का दायित्व किसका है? आखिर कब तक बालू खनन के कार्यों को बढ़ावा मिलता रहेगा ?

इस खबर को खबर लहरिया के लिए शिवदेवी द्वारा रिपोर्ट किया गया है।

द्वारा लिखित संध्या