खबर लहरिया Blog जिले में प्रसव महिलाओं के लिए एम्बुलेंस में की गयी ई.एम.टी की नियुक्ति, कितनी होगी सफल ?

जिले में प्रसव महिलाओं के लिए एम्बुलेंस में की गयी ई.एम.टी की नियुक्ति, कितनी होगी सफल ?

एम्बुलेंस में ही प्रसव की सुविधा के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा की गयी ई.एम.टी महिलाओं के नियुक्ति।

                                                                                        ईएमटी महिलाओं को कार्य के बारे में समझाते हुए अधिकारी

चित्रकूट : जब समाजवादी पार्टी सत्ता में थी तो उसने जच्चा-बच्चा की सुरक्षा के लिए 102 नंबर एम्बुलेंस चलाई थी। लेकिन इसके बावजूद भी कई बार एम्बुलेंस समय से नहीं पहुँच पाती थी और अस्पताल पहुंचने के दौरान ही महिला का प्रसव हो जाता था। इस समस्या को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने एक नई पहल की है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा हर एम्बुलेंस में गर्भवती महिलाओं की मदद के लिए ई.एम.टी यानी एमरजेंसी मेडिकल टेक्निशियन की नियुक्ति की गयी है। यह एम्बुलेंस में रहेंगी और ज़रूरत पड़ने पर अगर रास्ते में डिलीवरी करनी पड़े तो वह भी करेंगी।

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ई.एम.टी महिलाओं की ज़िम्मेदारी

जानकारी के अनुसार, ई.एम.टी 15 एम्बुलेंस में रहेंगी। 19 अक्टूबर तक इनकी ट्रेनिंग खत्म हो गयी है। एम्बुलेंस प्रभारी शनि कुमार प्रजापति ने बताया कि आज सभी ई.एम.टी को ज़िम्मेदारी दी गयी हैं। उनका काम है आशा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से प्रसतूता की जानकारी लेना और अस्पताल से प्रसव के बाद उनकी जानकारी लेकर उन्हें घर छोड़ना।

स्वास्थ्य विभाग द्वारा कुल 15 ई.एम.टी की नियुक्ति की गयी है। ये महिलाएं पहले लखनऊ, झाँसी से ट्रेनिंग ले चुकी हैं। काम समझाने के लिए महिलाओं के लिए दो दिवसीय कार्यक्रम भी रखवाया गया था।

जैसा की हमने आपको पहले भी बताया कि 102 नंबर से एम्बुलेंस बुलाने की शुरुआत तो पहले ही की जा चुकी थी। एम्बुलेंस में प्रसव महिलाओं की सहायता के लिए आशा कार्यकर्ताओं को भी रखा गया था। इसके बाद भी लोगों की शिकायतें थी कि गांव की सड़कें खराब होने की वजह से कई बार एम्बुलेंस अस्पताल समय से नहीं पहुँच पाती और रास्ते में प्रसव की स्थिति बन जाती। ऐसे में पुरुष स्टाफ और आशा कार्यकर्ता महिला की डिलीवरी करा पाने में असमर्थ दिखाई पड़ती जिससे माँ और बच्चा दोनों की जान का खतरा बना रहता।

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अब आशा बहुओं को गर्भवती महिलाओं के साथ रहने की ज़िम्मेदारी दी गयी है। वह अस्पताल तक उनके साथ जाती हैं और घर पहुँचने तक उनका ख्याल रखती हैं।

स्वास्थ्य विभाग द्वारा शुरू की गयी ये पहल तो काफी अच्छी है पर ग्रामीण स्तर पर ये कितनी कारगर साबित होती है ये कहा नहीं जा सकता। आज भी कई गाँवों तक पहुंचने के लिए पक्की सड़कें नहीं है। कहीं-कहीं तक सड़कों का निर्माण ही नहीं हुआ है। कहीं रास्ता इतना खराब है कि उस रास्ते से गाड़ी ही नहीं निकल पाती। अगर गाँवों तक एम्बुलेंस की सुविधा पहुंचानी है तो इसके लिए गाँवों तक रास्ते का निर्माण होना बेहद ज़रूरी है जिसे आमतौर पर प्रशासन नकार देती है। स्वास्थ्य विभाग अपनी इस पहल को किस तरह से सफल करता है ये भी समय के साथ ही पता चलेगा।

इस खबर की रिपोर्टिंग नाज़नी रिज़वी द्वारा की गयी है। 

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