खबर लहरिया आओ थोड़ा फिल्मी हो जाए महिला किरदारों के बिना फैमली मैन कैसी होगी ? आओ थोड़ा फ़िल्मी हो जाए

महिला किरदारों के बिना फैमली मैन कैसी होगी ? आओ थोड़ा फ़िल्मी हो जाए

हैल्लो दोस्तों कैसे है आप सब? मैं लक्ष्मी शर्मा एक बार फिर हाज़िर हूँ कुछ फ़िल्मी गपशप लेकर तो चलिए थोड़ा फ़िल्मी हो जाते हैं।

बॉलीवुड एक्टर मनोज बाजपेयी की पॉपुलर वेब सीरीज द फैमिली मैन सीजन 2 ने अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज होते ही तहलका मचा दिया है. सस्‍पेंस, ड्रामा, एक्‍शन और एडवेंचर से भरे इस वेब सीरीज में आपको फन, फियर, फैमिली और फर्ज की ऐसी कहानी मिलेगी कि आप पूरी सीरीज़ देखने से खुद को रोक नहीं पाएंगे। क्योंकि जब मैंने देखना शुरू किया तो पहले सोचा था हर रोज़ एक एपिसोड देखूंगी ताकि नींद भी खराब न हो और पूरी सीरीज़ भी देख लूँ लेकिन जब देखना शुरू किया तो अपने नींद की कुर्बानी देने के लिए सोचा भी नहीं और एक साथ पूरी सीरीज़ देख डाली।

सीरीज़ २ की कहानी बताने से पहले आपको बता दें कि पहले सीज़न की कहानी में उनका मिशन मिशन जुल्फिकार जो एक गैस कांड को रोकना था उसे रोकना था.लेकिन इसकी पूरी जानकारी न हो पाने के कारण वो लोग चूक जाते है. दूसरे सीज़न की शुरुआत वहीँ से होती है. गैसकांड को अपनी विफलता मानने वाला श्रीकांत तिवारी यानी मनोज वाजपेयी टास्‍क छोड़ चुका है और अब एक आईटी कंपनी में काम करने लगा है। यहां वह अपने से आधी उम्र के बॉस से डांट खा रहा है। परिवार में अलग रायता फैला है। श्रीकांत बार बार मन हटाने की कोशिश करता हैलेकिन आदत से मजबूर वह तलपडे से टास्‍क की जानकारी लेता रहता है लेकिन फ‍िर कुछ ऐसा होता है कि उसे एक्‍शन में लौटाना पड़ता है और वह दोबारा मिशन पर लग जाता है। तमिलनाडु और श्रीलंका से होते हुए कहानी के तार लंदन पहुंच जाते हैं। कहानी में एक ओर श्रीकांत को अपनी बेटी को मौत से बचाना होता है तो वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री पर होने वाले अटैक की साजिश को नाकाम करना होता है।

इस सीजन में श्रीकांत तिवारी को नए ताकतवर और ज्यादा क्रूर दुश्मन, राजी का सामना करना पड़ता है। राजी का किरदार सामंता अक्किनेनी ने निभाया है। दर्शकों में जबर्दस्त सनसनी और सिहरन पैदा करने वाले शो के 9 पार्ट है जो 45 मिनट से लेकर 1 घंटे तक के हैं। इस नए सीजन में श्रीकांत को मध्यम वर्गीय फैमिली मैन और वर्ल्ड क्लास जासूस के अपने डबल किरदार के बीच जूझते देखा गया है।

इस सीजन को ध्यान से देखने पर समझ आता है कि द फॅमिली मैन सिर्फ देश और आतंकवादी गतिविधियों पर ही आधारित नहीं है। वैसे इसका नाम ही फैमली मैं है। तो परिवार की कहानी भी होना लाजमी है. इसके साथ ही 4 महिला किरदारों के उलझन गुस्सा और मानसिक उथल पुथल की भी कहानी है. अगर ये कहूं की कहानी भले ही श्रीकांत के इर्दगिर्द घूमती है लेकिन अगर ये महिला किरदार न होते तो श्रीकांत का कोई वजूद न होता। तो चलिए मैं भी सस्पेंस खत्म करती हूँ और बताती हूँ इन महिला किरदारों के बारे में.

पहली श्रीकांत की पत्नी सुचित्रा तिवारी यानी प्रियामणि जो अपने पति के ऐसे खतरों से भरी नौकरी से परेशान रहती है और उम्र के ऐसे पड़ाव में है जहां उसे पति का साथ तो चाहिए लेकिन उसे अपने पति से उस साथ का हक़ मांगने में गुस्सा आता है. वो अपने पति को कपल काउन्सलिंग के लिए लेकर जाती है जहाँ साइकेट्रिस्ट भी मोटिवेशनल बातें सुनाता है और श्रीकांत को अपने बॉस की याद आ जाती है और वो वहां से गुस्से में निकल जाता है.इसके साथ हिओ सुचित्रा को कोई बात परेशान कर रही है जो वो तो अपने पति को बताना चाहती है लेकिन काउंसलर उसे मना करता है. ये कोई ऐसा राज है जिससे शायद उनकी शादीशुदा जिंदगी बर्बाद हो जाय. पूरी सीरीज में पति और पत्नी के बीच संबंधों में आयी बोरियत का बहुत उम्दा चित्रण है.

दूसरी कहानी है श्रीकांत की बेटी धृति यानी अश्लेषा ठाकुर की , जो अपने पिता को हमेशा बोरिंग समझती है और विद्रोह के तौर पर एक आवारा से लड़के से प्यार कर बैठती है. अपनी मां को भी वो अपने पिता का दुश्मन समझती है और उसे अपने बड़े होने की गलतफहमी इस क़दर होती है कि वो आपने साथ होने वाले खतरे को भी भाफ नहीं पाती और मुसीबत में फस जाती है. इस युवा लड़की के अंदर भरे मुफ्त अहंकार से कहानी में ज़बरदस्त मोड़ आता है.

तीसरी कहानी है राजलक्ष्मी उर्फ़ राजी यानी समांथा अक्किनेनी की जो कि श्रीलंका के जाफना इलाके से चेन्नई आती है क्योंकि उसके बेक़सूर पिता और भाई को श्रीलंका की सेना ने मौत के घात उतार दिया था. वो कमांडो है, बिना अस्त्र शस्त्र के लड़ना जानती है, हवाई जहाज उड़ा सकती है और उसे अपने मातृभूमि से बेइंतहा प्यार है और जिसके लिए वो अपना जिस्म सौंप कर भी अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए तैयार रहती है.

और चौथी प्रमुख किरदार है देश की प्रधानमंत्री सुश्री बासु यानी सीमा बिस्वास जो कि राज धर्म और राजनीती धर्म के बीच सामंजस्य बैठने की कोशिश करती रहती है और खुले आम देश की सिक्योरिटी एजेंसी को धमका देती है कि अगर वो एजेंसी प्रधानमंत्री की रक्षा नहीं कर सकती तो उसका बजट कम कर दिया जाएगा. क्योकि इस सीरीज़ में इस बार जिस पर हमला होना होता है वो प्रधानमन्त्री ही होती है.

ऐक्टिंग कि अगर बात करें तो राजी के रोल में सामंथा शो की खोज हैं। उनके एक्‍शन जानदार ही नहीं धारदार हैं। मनोज बाजपेयी और शारिब हाशमी की आपसी केमिस्ट्री इस सीजन की चार्म है। कुल मिला कर ये कहूं की इस सीरीज़ के हर किरदार ने इसमें सिर्फ ऐक्टिंग नहीं की है बल्कि सबने अपने किरदार को जिया है। तो इसे देखना तो बनता है। वैसे ये सीरीज़ अमेज़न प्राइम पर 4 जून को ही रिलीज़ हो गई है , लेकिन इसकी चर्चा अभी भी है. तो इस शो को मेरी तरफ से मिलते है 5 मे से 4. 5 स्टार। क वैसे आपको ये सीरीज़ कैसी लगी हमें कमेंट कर के जरूर बताइयेगा अगर हमारा शो पसंद आया हो तो लाइक और दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें और अगर आपने हमारा चैनल सब्स्क्राइव नहीं किया है तो अभी कर लें और सबसे जरुरी बात सब स्वास्थ्य रहें और सुरक्षित रहें मिलते हैं अगले एपिसोड में तब तक के लिए नमस्कार।

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