सरकार द्वारा चलाई जा रही प्रधानमंत्री आवास योजना के बारे में तो सब को पता ही होगा। इस योजना के अंतर्गत गरीबी रेखा के नीचे आ रहे परिवारों को सरकार मुफ्त आवास देती है। कुछ साल पहले सरकार ने वादा भी किया था कि 2022 तक हर परिवार के सिर के ऊपर छत होगी। लेकिन ज़मीनी सच्चाई तो कुछ और ही बयान कर रही है। आज भी सैकड़ों ऐसे परिवार हैं जो आवास न मिलने के चलते पन्नी के नीचे, या कच्चे मकान में रह रहे हैं। इन्हें आए दिन नयी मुसीबत से जूझना पड़ता है और अपने रैन-बसेरे को बचाने के लिए हर जद्दोजहद करनी पड़ती है। ऐसे में कई बार हादसों को दावत दे रहे ये कच्चे मकान ढह भी जाते हैं, जिसका शिकार हो जाती हैं मासूम जानें।
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कई ग्रामीण क्षेत्र व परिवार ऐसे हैं जो आज भी ग्रामीण आवास योजना से वंचित है और कच्चे घरों में रह रहें हैं
हाल ही में चित्रकूट के गांव मऊगुरदरी में कच्ची दीवार गिरने से 2 लोगों की मौत हो गई। मृतक लोगों में एक 10 वर्षीय बच्चा था और एक गर्भवती महिला। परिवार का आरोप है कि न ही उन्हें आज तक आवास मिला था, और न ही आवास मिलने की सूची में नाम आया था। लेकिन हाँ इस हादसे के बाद प्रशासन की तरफ से कदम उठाए गए और अब परिवार को आवास दिया जा रहा है। जल्द ही उनको आवास की पहली क़िस्त भी मिल जाएगी। लेकिन यह कदम अगर पहले उठा लिया जाता तो शायद इतना बड़ा हादसा होता ही नहीं और लोगों की जान बच जाती।
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गाँव के प्रधान रामनाथ का कहना है कि सरकार ने वादा तो किया था कि 2022 तक सभी को आवास मिल जाएगा लेकिन आज भी उनके गांव में कई परिवार ऐसे हैं जो आवास योजना के लाभ से वंचित हैं।
मानिकपुर बीडीओ धनंजय सिंह का कहना है कि परिवार को जिन परिवारों के साथ ऐसी आपदा होती है, उन्हें योजना के लाभ के साथ-साथ तहसील स्तर से सहायता भी दी जाती है।
प्रयागराज ज़िले के गांव नीबी के मजरा पायनियर में भी आवास न मिलने से परेशान ग्रामीणों के कच्चे घर हादसे को दावत दे रहे हैं। यहाँ भी हाल ही में भारी बरसात के बाद एक परिवार के कच्चे घर की एक दीवार गिर गई। इस हादसे में किसी को चोट तो नहीं आई थी, लेकिन हाँ परिवार का सामान का काफी नुकसान हो गया है। इसके साथ ही गांव के अन्य लोगों ने बताया कि उन्हें भी आवास मिलने में काफी दिक्कत हो रही है। आए दिन वे विभाग के चक्कर लगाते हैं लेकिन कहीं से कोई सुनवाई नहीं हो रही है। खासकर बरसात के मौसम में इन लोगों के लिए इन कच्ची झोपड़ियों में रह पाना मानो नामुमकिन सा हो जाता है।
शंकरगढ़ के बीडीओ का कहना है कि गांव में अबतक कुल 326 आवास दिए जा चुके हैं। इसके साथ ही यह प्रयास भी किया जा रहा है कि जल्द से जल्द सभी परिवारों को आवास मिल जाए।
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