खबर लहरिया Blog विकास की धीमी रफ़्तार ले रही लोगों की जानें, पुलिया ने होने से नदी से रास्ता पार करते हैं लोग

विकास की धीमी रफ़्तार ले रही लोगों की जानें, पुलिया ने होने से नदी से रास्ता पार करते हैं लोग

चित्रकूट के रामनगर ब्लॉक में विकास की कमी की वजह से लोग जान खतरे में डालकर नदी का रास्ता पार करते हैं।

विकास कहाँ है? यह सवाल हर किसी का है। मौजूदा सरकार कहती है “अच्छे दिन आएंगे”, ‘जन-जन का विकास होगा’ पर वही सवाल है कब? कहाँ ? कैसे? शहरों में तो दुनिया तेज़ी से भाग रही है पर गाँव में विकास की धीमी रफ़्तार की तरह लोगों की ज़िंदगी भी धीमी हो गयी है। यहाँ ये कहना सही रहेगा कि लोगों का जीवन दयनीय हो गया है। थमे हुए विकास ने लोगों की ज़िन्दगियों को खतरे में डाल कर रखा हुआ है।

बीते, 1 अक्टूबर 2021 को चित्रकूट के रामनगर ब्लॉक के ग्रामपंचायत रामपुर के मजरा बेलरी में पानी में डूबने से दो साल के बच्चे की मौत हो गयी। अब आप सोच रहे होंगे की पानी में डूबने से हुई मौत का विकास से क्या संबंध है तो इसका भी जवाब हम आपको देते हैं।

रामनगर ब्लॉक के मजरा बेलरी में विकास की मांग यहां के ग्रामीणों द्वारा लगभग दस सालों से की जा रही है। लोगों के पास सुविधाओं तक पहुंचने का रास्ता तक नहीं है। कारण यह है कि मुख्य रास्ते पर पुलिया यानी पुल का निर्माण नहीं हुआ है। असल में यहां डैम बनने वाला है पर उसका काम भी पूरा नहीं हुआ है। अब जब पुलिया नहीं है तो लोग नदी से ही निकलते हैं। नदी का पानी कभी घुटनों तक भरा होता है तो कभी गले तक। पिछले महीनों में यूपी के कई क्षेत्रों में आपने बाढ़ की स्थिति भी देखी होगी। जब पानी कम होता है तो लोग जैसे-तैसे नदी पार कर लेते हैं पर जब पानी गर्दन तक आ जाता है तो लोग कहीं आ-जा नहीं पाते। यहां के लोग आज भी हर दिन अपनी जान खतरे में डालकर नदी के ज़रिये रास्ता पर करते हैं।

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विकास की मांग को लेकर ग्रामीण 5 सालों से दे रहे धरना

ग्रामीणों द्वारा लगभग 5 सालों से अभाष महासंघ के समाज सेवी लवलेश विराग, वर्तमान प्रधान रामकेश यादव, नेता धर्मेंद्र व मीरा भारती से गाँव में विकास को लेकर मांग की जा रही है। ग्रामीणों ने अनशन और धरना प्रदर्शन भी किया लेकिन समस्या अभी भी ज्यों की त्यों बनी हुई है। अनशन के दौरान कई ग्रामीणों की हालत खराब होने पर उन्हें अस्पताल में भी भर्ती कराया गया था। हर बार अधिकारी उन्हें आश्वाशन देते कि महीने-पंद्रह दिन में काम हो जाएगा पर आज तक कुछ नहीं हुआ।

2 साल के बच्चे की हुई मौत

प्रशासन की लापरवाही और पुलिया न बने होने का नतीजा दो साल के बच्चे को अपनी जान गवांकर चुकानी पड़ी। 1 अक्टूबर को गाँव की रहने वाली सुधा अपने दो साल के बच्चे का इलाज कराने के लिए लेकर जा रही थी। पुलिया न होने की वजह से वह नदी के रास्ते से जाना उसकी मज़बूरी थी। ज़्यादा पानी भरा होने की वजह से बच्चे का पैर फिसल गया और बच्चा पानी में गिर गया। काफ़ी ढूंढने पर बच्चा तो मिला लेकर ज़िंदा नहीं मृत। उसकी मौत हो चुकी थी।

मरीज़ को चारपाई पर लेकर पार करते हैं पानी भरा रास्ता

ग्रामीणों का कहना है कि रपटा के पास गुंता बाँध है और रपटा नीचा है जिसकी वजह से पानी भर जाता है। फिर लोगों को वैसे ही पानी भरे से गुज़रना पड़ता है। कोई बीमार होता है तो चार लोग व्यक्ति को चारपाई पर कन्धा देकर पानी भरा रास्ता पार कर इलाज के लिए लेकर जाते हैं। राशन लाना हो या कोटे का काम हो, सब चीज़ों के लिए पानी भरा रास्ता पार करके जाना पड़ता है।

लोगों का कहना है कि वे घर में बंद होकर महीनो तक तो नहीं रह सकते न। ज़रूरत के सामान के लिए रामनगर तो जाना ही पड़ता है। हर रोज़ जब भी वह रास्ता पार करते हैं तो उनकी जान पर खतरा बना रहता है।

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समस्या के समाधान का दिया आश्वाशन

घटना के बाद विधायक आनंद द्रिवेदी ने लोगों को आश्वाशन दिया की रपटा बनाया जाएगा। वहीं गाँव के प्रधान रामकेश यादव कहते हैं कि उन्होंने समस्या को लेकर पी डब्ल्यू डी, राज्य मंत्री चन्द्रिका प्रसाद उपाध्याय से बात की है। उन्होंने चेकडैम बनाने का आश्वाशन दिया है। इसके आलावा प्रशासन की तरफ बच्चे के परिजनों को मुआवज़े के तौर पर 4 लाख रूपये की सहायता राशि दी गयी है।

क्या मुआवज़ा दिए जाने के बाद इस बात को नकारा जा सकता है कि अधिकारीयों की लापरवाही की वजह से एक बच्चे की जान गयी है? यह एक घटना है और ऐसी घटनाएं आगे नहीं होगी क्या यह बात ज़िम्मेदार कहे जाने वाले अधिकारी निश्चित तौर पर कह सकते हैं? अधिकारी आश्वाशन देते हैं कि विकास होगा, रपटा बनेगा। यह बात ग्रामीण और हम सालों से सुन रहे हैं पर क्या कुछ हुआ ? समस्या तो आज भी वही है? फिर उनके झूठे आश्वाशन पर लोग क्यों और किस तरह से विश्वास करें? क्या हर बार घटना के बाद मुआवज़ा दे देने से प्रशासन अपनी लापरवाहियों को छुपा सकती है? अगर हाँ तो कब तक? किस हद तक?

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