खबर लहरिया Blog नवरात्री : मूर्तियों को अंतिम रूप देने में जुटे कलाकार

नवरात्री : मूर्तियों को अंतिम रूप देने में जुटे कलाकार

नवरात्र शुरू होने में चंद घंटे ही शेष बचे हैं। मूर्तिकार मां दुर्गा की प्रतिमाओं को भव्य रूप देने में जुटे हैं। टीकमगढ़ जिले के कसगर गली में रहने वाले मूर्तिकार पिछले कई वर्षों से मूर्तियां बनाने का काम कर रहे हैं।

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नवरात्रि की तैयारियां शुरू हो गई हैं। सात अक्टूबर से शुरू होने वाले नवरात्र पर्व को लेकर लोगों में काफी उत्साह है। मां दुर्गा की मूर्तियों को भव्य रूप देने के लिए मूर्तिकार दिन-रात काम में जुटे हुए हैं। टीकमगढ़ जिले के असगर गली में नव दुर्गा त्यौहार को लेकर काफी धूम है मूर्तिकार मूर्तियों को अंतिम आकार दे रहे हैं। कसगर गली के रहने वाली जगदीश कसगर ने बताया है कि उनके यहाँ वर्षो से मूर्ति बनाने की परंपरा चली आ रही है।

पहले उनके परदादा, दादा और पिताजी मूर्तियाँ बनाते थे और अब लगभग 15 सालों से उन्होंने इस काम को संभाल लिया है। जगदीश कसगर का कहना है कि पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष देवी प्रतिमा पांडाल ज्यादा लगाए जा रहे हैं। जिससे उनके घर का भरण पोषण भी हो जाएगा। इस बार उनके कसगर गली में खुशी का माहौल नजर आ रहा है एवं देवी भक्त बहुत प्रसन्न हो रहे हैं।

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दो साल बाद मिला कारीगरों को काम

जगदीश कसगर ने बताया की मूर्ति बनाने में बहुत सामग्री लगती है जैसे चारा मिट्टी, पटिया बांस इन सभी चीजों को इकट्ठा करना पड़ता है। उनका कहना है कि सबसे ज्यादा दिक्कत तो मिट्टी के लिए होती है और पिछले 2 वर्ष से कोविड-19 के कारण मूर्ति भी नहीं बना पाए हैं। पहले लगभग दो से ढाई फीट की ऊंचाई की मूर्ति बनाई जाती थी और एक मूर्ति को बनाने में लगभग 15 से 20 दिन लग जाता है। इस साल भी तीसरी लहर की संभावना है। इस बार 30 मूर्ति बनाई हुई है। एक मूर्ति की कीमत 2000 से लेकर 3000 तक है और इस दाम में बिक भी जाती है। जगदीश का कहना है कि उन्हें बहुत खुशी है कि पिछले 2 वर्षों के बाद उन लोगों को रोजगार मिला है। इसलिए सभी लोग जोर-शोर से मूर्ति बनाने में लगे हुए हैं और लोगों को बहुत खुशी है जो उनके चेहरे पर देखी जा सकती है।

दुर्गा की प्रतिमा को आकर्षक रूप दे रहे मूर्तिकार

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गोलू कसगर जो कसगर गली के निवासी हैं उनका कहना है कि वह कई सालों से मूर्ति बनाते हैं। हर प्रकार की देवियों की मूर्ति, गणेश की मूर्ति बनाते हैं। नवरात्रों से एक या डेढ़ माह पहले से इनकी तैयारियां शुरू हो जाती हैं। घास, चारा, बांस यह सब चीजें इकट्ठा करके रखना पड़ता है उनकी तैयारी भी पहले से ही करके रखनी पड़ती है। आस-पास गाँव के और बाहर से भी लोग मूर्ति लेने आते हैं। गोलू कसगर काफी उदास थे उन्होंने कहा कि पिछले दो साल से उनका रोजगार छिन गया था। इस साल उन्हें फिर से यह अवसर मिला है तो वह मूर्तियों में जान डालने का काम बहुत ही मन लगाकर कर रहे हैं। गोलू बताते हैं की घास, बांस यह सब तो उन्हें गाँव में ही मिल जाता है और मूर्तियों को बेहतरीन रंग देने के लिए उन्हें कलर दूकान से खरीदना पड़ता है। शासन की गाइडलाइन का पालन करते हुए हम लोग मूर्ति बना रहे हैं।

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क्या है सरकारी गाइड लाइन

दुर्गापूजा के लिए जारी सरकार के गाइडलाइन से मूर्तिकार संशय में पड़ गए हैं। जारी किए गए गाइडलाइन में सिर्फ चार फुट की मूर्ति की अनुमति है। मूर्ति बनाने में मूर्तिकारों को दो से तीन माह का समय लगता है। ऐसे में शहर के मूर्तिकार पहले से ही देवी दुर्गा की मूर्ति बनाने का काम प्रारंभ कर चुके थे। अब चार फुट से ऊंची मूर्तियों को लेकर वे संशय में है। एक तो कोरोना ने सभी की कमर तोड़ दी है, अब अगर चार फुट से ऊंची प्रतिमा पर प्रतिबंध लग जाता है तो उन्हें काफी नुकसान होगा। कोरोना महामारी के बाद से ही लोगों को गुजर-बसर सरकार के दिशा-निर्देशों पर हो रहा है। ऐसे में सरकार के कुछ दिशा-निर्देशों ने कई क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के व्यवसाय व धंधे का हाल बेहाल कर दिया है।

लाल मिट्टी से बनाई जाती है मूर्ति

गोलू कसगर ने बताया है कि मूर्ति बनाने के लिए लाल मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि वह जल्दी सूख जाती है। गोलू ने बताया कि 5 फुट की मूर्ति बनाने में लगभग 4 से 5 हजार का खर्च आता है। और 3-4 फिट की मूर्ति में तीन साढे ₹3 साढ़े तीन हचार का खर्च आ जाता है। असगर गली में 23 परिवार हैं जो मूर्ति बनाने का ही काम करते हैं। दो साल बाद मिले काम से पूरी असगर गली में ख़ुशी का उल्लास है।

10,000 है एक मूर्ति की कीमत

प्रताप विश्वास मूर्तिकार जो पन्ना जिले के रहने वाले हैं उन्होंने बताया कि वह बानपुर दरवाजा पर लगभग तीस वर्षों से मूर्ती बनाने का काम करते हैं। मूर्ति की सजावट का सामान श्रृंगार वह कोलकाता से लाते हैं। वह बहुत खुश हैं की इस बार उन्हें रोजगार मिला है। सरकार द्वारा जारी गाइड लाइन के अनुसार 5 या 6 फिट की ऊंचाई की मूर्तियां बनाई गई हैं। एक मूर्ति कम से कम 3000 से लेकर ₹10000 तक कीमत की बनाई गई है। प्रताप विश्वास के साथ में चार और लड़के भी काम करते हैं। वह भी बहुत खुश हैं की दो साल से बेरोजगार बैठे थे इस साल रोजगार मिला है। वह चाहते हैं कि आगे भी इसी तरह उनकी रोजी-रोटी चलती रहे।

इस खबर की रिपोर्टिंग रीना द्वारा की गयी है।

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