खबर लहरिया छतरपुर छतरपुर: क्यों बंद होने की कगार पर है हथकरघा उद्योग?

छतरपुर: क्यों बंद होने की कगार पर है हथकरघा उद्योग?

जिला छतरपुर तहसील व ब्लॉक नौगांव कस्बा हरपालपुरl जहां पर आज भी खादी की चला चल रही है जो एक गांधीजी ने खादी के कपड़े बनाए थे और पहले भी थे उसी कपड़े का झंडारोहण भी आज किया जाता हैl लालचंद कोरी और भैया लाल कोरी मुरलीधर कोरी | उन्होंने बताया है कि हम लोगों के यहां पहले सौ परसेंट कपड़ा बुनाई की काम चलता था जो अपने हाथ से ही सूती के कपड़े बनाते थे आज 100 से 20 परसेंट काम कर रहे हैं खादी के कपड़ों परl खादी के कपड़े बनाने में समय बहुत लगता है क्योंकि हम लोगों की कठुआ की मशीनें होती हैं और हाथ से कपड़े बनाते हैंl

कपड़े जैसे चद्दर रजाई तो लिया कुर्ता पायजामा जैसे कपड़े यह सब हम ही बनाते हैं जिससे हमारे ही बनाए नेता लोग पहनते हैं पर हम लोगों की सुनाई नहीं होती है ना ही हम कहीं सुनाने गए हैं|

अगर हम किसी से सुनाएं तो हम लोगों के परिवार बेहाल हो जाएगा क्योंकि रोज का कमाना और रोज का खाना हैl काम में मेहनत ज्यादा है और पैसा कम है जिससे अब बहुत सारे लोग यह काम छोड़कर बाहर भी काम करते हैं हम लोग इसलिए करते हैं कि यह पूस तनिक काम हैl पहले हमारे बाप दादा बनाते रहे और उन्हीं के हमने सीखा है बनाना और आज बना रहे हैं |

इसमें जितने पुरुष काम करते हैंl उतने महिलाएं भी काम करते हैं बिना महिलाओं के भी यह काम नहीं हो सकता ना ही पुरुषों के बिना हो सकता हम लोग बुनाई करते हैं मशीन में बैठकर जो हमारी महिलाएं होती हैं वह 52 भर्ती हैंl और सूत को पक्का करती हैं उसको भूलना और भिंडी बनाना यह सब महिलाएं ही करती हैंl हम लोगों की यहां रूई बाहर से कती कताई आती है हम केवल यहां जोरू ही बाहर से कटी आती है उसको महिलाओं के द्वारा सुलझाया जाता है जैसे कि रामवती और चंपा ने बताया है कि पहले हमारा काम होता है जो बुनी हुई रुई आती हैl उसको समझाते हैं समझाने के बाद आटा की ले ही बनाते हैं आता कि ले जब बन जाती है तो तसला में पानी में डाल लेते हैं फिर वह सुलझा हुआ जो धागा होता हैl

उसको उसी लेई में डूब आते हैं और दुआ कर उसको अच्छी तरह से मशीन कर वह धागा को नीच और के हिला देते हैं जब वह फैल जाता है जब उसकी छोटी-छोटी भाविन भरते हैं भाविन भर जाता है तो वह बुनाई के काम में आता है फिर हम पुरुषों को दे देते हैंl बुनने के लिए पुरुष अपने हथगढ़ा में बुनते रहते हैंl यह तो हमारे यहां पीढ़ी पर पीढ़ी चला आया है करते हुए पर अब यह नई पीढ़ी नहीं करती हैl अगर हम लोग तीन लोग लगे रहते हैं जब भी हमें 1 दिन में ₹500 का फायदा होता हैl और अन्य मजदूरी में एक ही लोग Rs500 कमा लाते हैं पर घर का काम है करते रहते हैं कि हम लोगों कम हैl