खबर लहरिया Blog चित्रकूट: आवास न मिलने से परेशान ग्रामीण, घर ने होने से हो रही दिक्कतें

चित्रकूट: आवास न मिलने से परेशान ग्रामीण, घर ने होने से हो रही दिक्कतें

लोगों का कहना है कि बरसात में इन लोगों के कच्चे मकान ढह गए और अब इन्हें पन्नी डालकर रहना पड़ रहा है। इस मामले में दुःख की बात तो यह है कि ऐसी दयनीय स्थिति से गुज़र रहे इन परिवारों की सुनवाई करने वाला कोई भी नहीं है।

ज़िला चित्रकूट के ब्लॉक रामनगर के गाँव रामनगर में मौजूद दलित बस्ती की आबादी लगभग पांच हज़ार है, लेकिन यहाँ पक्के मकान सिर्फ 10-12 ही बने हैं। ग्रामीणों की मानें तो यहाँ मौजूद परिवारों को किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। लगभग एक महीने पहले हुई मूसलाधार बारिश के बाद से लोगों के जीवन और थम गए हैं। लोगों का कहना है कि बरसात में इन लोगों के कच्चे मकान ढह गए और अब इन्हें पन्नी डालकर रहना पड़ रहा है। इस मामले में दुःख की बात तो यह है कि ऐसी दयनीय स्थिति से गुज़र रहे इन परिवारों की सुनवाई करने वाला कोई भी नहीं है।

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मांग के बाद भी नहीं मिली कोई सुविधा-

इस गाँव के रहने वाले लोगों का कहना है कि ये लोग प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ उठा पाने में असमर्थ हैं। गाँव में कई लोगों के सालों पुराने कच्चे मकान गिर चुके हैं और कई लोग तो पिछले कई सालों से पन्नी डालकर या खुले आसमान के नीचे जीवन व्यापन कर रहे हैं। ग्रामीणों ने प्रधान से कई बार आवास दिलवाने की मांग की है, लेकिन इन लोगों को अभी तक कोई सुविधा नहीं उपलब्ध कराई गई है।

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ग्रामीणों का कहना है कि गाँव में उन लोगों को आवास की क़िस्त दी गई है जिनके पास पहले से ज़मीनें और खेती-बाड़ी है, लेकिन गरीब की मदद करने वाला कोई भी नहीं है। इस गाँव में रहने वाले ज़्यादातर लोग भट्टे में मज़दूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं, जिससे इनकी रोज़ाना की मुश्किल से 100-200 रूपए की कमाई हो पाती है। ऐसे में अपने बल पर मकान बनवा पाना इन लोगों के लिए नामुमकिन है।

इसी गाँव की रहने वाली श्यामा सिर के ऊपर छत न होने की पीड़ा हमारे साथ साझा करते हुए बताती हैं कि देश के प्रत्येक नागरिक की तरह त्यौहार शुरू होते ही उनके बच्चों का भी मन करता है कि वो अपना घर सजाएं, साफ़-सफाई करें, दिया जलाएं। लेकिन मिट्टी की झोपड़ी में रह रहे इस परिवार को बस यही डर लगा रहता है कि कहीं तेज़ आंधी-पानी में इनका यह आशियाना तहस-नहस न हो जाए।

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बरसात के दौरान गिरे कई कच्चे घर-

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गाँव के सूरज का कहना है कि आवास की मांग करने के बाद विभाग से अधिकारी और प्रधान कई बार गाँव में मुआयना और सर्वे करने आए, और लोगों से यह वादा भी किया कि उन्हें आवास योजना का लाभ दिलवाया जाएगा। लेकिन इसके बावजूद भी इन लोगों को किसी प्रकार का कोई लाभ नहीं मिला है। सूरज बताते हैं कि उनका परिवार पिछले कई सालों से कच्ची झोपड़ी में रह रहा था। लेकिन कुछ महीनों पहले बारिश के दौरान उनकी झोपड़ी गिर गई, जिसके बाद से उनका पूरा परिवार कठिनाइयों का सामना कर रहा है। फिलहाल वो उसी जगह पर पन्नी डालकर रह रहे हैं लेकिन वो चाहते हैं कि सरकार की तरफ से उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान की जाए।

लोगों ने हमें यह भी बताया कि कई परिवारों का आवास की लिस्ट में नाम भी आया है परंतु इसके बावजूद भी अबतक लोगों के बैंक खाते में कोई क़िस्त नहीं आई है। ऐसे में ग्रामीण सिर्फ इसी उम्मीद में बैठे हैं कि उन्हें किसी न किसी दिन सरकार की तरफ से कोई सहायता मिलेगी।

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सारी ज़िम्मेदारी विभाग की है – प्रधान

इस मामले को लेकर जब हमने रामनगर गाँव के प्रधान कामता प्रसाद से बात की तो उनका कहना है कि जब से वो प्रधान बनी हैं तब से वो करीब 500 परिवारों को आवास योजना का लाभ दिलवा चुकी हैं। जिन लोगों को अबतक आवास नहीं मिला है उनके लिए भी कोशिश करी जा रही कि जल्द ही उन्हें इस योजना का लाभ मिल सके। प्रधान ने बताया कि सरकार द्वारा चलाई जा रही योजना का लाभ मिलने में देरी होने की ज़िम्मेदारी भी विभाग की है, इसमें प्रधान अपनी तरफ से कुछ नहीं कर सकते।

सर्वे के बाद मिलेगा लाभ – बीडीओ

रामनगर ब्लॉक के बीडीओ धनंजय सिंह का कहना है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत रामनगर गाँव में कुछ नए लोगों के नाम आए हैं, जिसके लिए काम भी शुरू हो गया है। उनका कहना है कि अगला सर्वे अब अगले साल ही होगा और उसके बाद ही अन्य लोगों को इसका लाभ मिल पाएगा।

इस खबर को खबर लहरिया के लिए सहोद्रा द्वारा रिपोर्ट किया गया है।

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