खबर लहरिया Blog डॉक्टर की लापरवाही से बढ़ी बीमारी, लाखों खर्च करने के बाद भी नहीं हुआ इलाज

डॉक्टर की लापरवाही से बढ़ी बीमारी, लाखों खर्च करने के बाद भी नहीं हुआ इलाज

डॉक्टर द्वारा सही से ऑपरेशन न करने की वजह से बढ़ी महिला की बीमारी। बाद में हुआ कैंसर।

                                                                                                                               पीड़ित महिला व उसका परिवार

महिलाओं के स्वास्थ्य और उनके इलाज के दौरान सामने आने वाली घटनाएं अब समान सी हो गयी हैं। हर दिन कोई न कोई ऐसी खबर सामने आती हैं जहां अस्पताल या डॉक्टर की लापरवाही का खामियाज़ा महिला व उनके परिवार को उठाना पड़ता है। ऐसा ही एक मामला चित्रकूट जिले के क़स्बा कर्वी, सोनेपुर में देखने को मिला है।

सोनेपुर की सीमा का आरोप है कि डॉक्टर की लापरवाही की वजह से आज वह ज़िंदगी और मौत के बीच जूझ रही है।

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नहीं है इलाज के लिए पैसे

23 जनवरी 2022 को सीमा अपने पैर की गांठ का इलाज कराने सोनेपुर के सरकारी अस्पताल में गयी थी। डॉक्टर ने ऑपरेशन तो किया पर पैर से पूरी तरह गांठ नहीं निकाली। जिस वजह से अब हमेशा उसे दर्द महसूस होता है।

ऑपरेशन के बाद डॉक्टर कहते कि उसे कैंसर है और इलाज करने से मना कर देते हैं। वह उसे इलाहबाद के लिए रेफ़र करते हैं। इलाहबाद में भी उसकी जांच चलती रही। रिपोर्ट आने के बाद फिर उसे दोबारा बनारस के लिए रेफ़र कर दिया गया। तीन महीनों तक सिर्फ उसकी जांच चलती रही। कोई ट्रीटमेंट शुरू नहीं हुआ।

इलाज के लिए दो जिलों में चक्कर लगाने के बाद अब उसके पास इलाज के लिए पैसे नहीं बचे हैं।

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ऑपरेशन नहीं होता तो सही होता

भैरो प्रसाद (सीमा का पति) का मानना है कि अगर अस्पताल में ऑपरेशन नहीं होता तो उसकी पत्नी कि आज जैसी स्थिति है वह नहीं होती। आगे कहा, अगर ऑपरेशन किया है तो पूरी गांठ निकालते पर ऐसा नहीं हुआ। इस वजह से उसकी पत्नी न तो सही से चल पाती है और न ही खड़ी हो पाती है। वह कहते हैं कि यह सब स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से हुआ है।

कैंसर के इलाज को लेकर सोच भी नहीं सकते

सीमा के चार बच्चे हैं। पति मज़दूरी करता है। इस समय सीमा ऑपरेशन में लापरवाही की वजह से कुछ नहीं कर पाती। ऐसे में सीमा के पति को काम के साथ, बच्चे और अपनी पत्नी को देखना होता है। भैरो प्रसाद का कहना है कि इस वजह से वह मज़दूरी नहीं कर पाते हैं। उन्हें अपनी पत्नी का इलाज कराते हुए लगभग पांच महीने हो गए हैं।

आगे कहा, अभी तक उसकी पत्नी के इलाज में लगभग तीन लाख रूपये खर्च हो चुके हैं। अब उनके पास इलाज के लिए पैसे नहीं है। कैंसर का इलाज भी बहुत महंगा है। वह बाहर जाकर इलाज के लिए सोच भी नहीं सकतें।

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मरीज़ आकर दिखाएं रिपोर्ट – जिला चिकित्सा अधिकारी

जिला चिकित्सा अधिकारी सुधीर शर्मा से जब हमने इस बारे में बात कि तो उनका कहना था कि यहां कैंसर का इलाज नहीं होता इसलिए उन्हें रेफ़र किया गया। आगे कहा कि मरीज़ उन्हें आकर रिपोर्ट दिखाएं और उनकी दिक्कत बतायें।

कहने को तो देश में कैंसर के कई अस्पताल खोले गए हैं लेकिन कैंसर के इलाज की सुविधा सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध नहीं है। इसका मतलब यह है कि गरीब परिवार जो कैंसर जैसी बड़ी बीमारी से पीड़ित है, वह इलाज नहीं करा सकते। जिन गरीब परिवारों का घर दिहाड़ी के पैसों से चलता है उनके लिए इलाज में लाखों खर्च करना उनकी समर्थता से काफ़ी दूर है। ऐसे में सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था, स्वास्थ्य के नाम पर चलती योजनाएं, आयुष्मान कार्ड आदि पर बड़ा सवाल खड़ा होता है कि आखिर इन योजनाओं की ज़मीनी स्तर पर क्या भूमिका व कार्य हैं?

इस खबर की रिपोर्टिंग नाज़नी रिज़वी द्वारा की गयी है। 

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