जिला भदोही के नई बस्ती की रहने वाली महिलाएं काती खोलने का रोज़गार करती हैं। ये महिलाएं कंपनी की तरफ से ये धागे लेकर घर आती हैं और फिर चरखे की सहायता से इन धागों को खोला जाता है। जब सभी काते या धागे खुल जाते हैं तो फिर इन्हें वापस से धागों के बंडल को कंपनी तक पहुंचाना पड़ता है।
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इन महिलाओं को इस रोज़गार को करके महीने में 1 हज़ार तक की रकम मिल जाती है। लेकिन इन महिलाओं का कहना है कि इससे इनका घर खर्च निकल पाना मुश्किल रहता है। रोज़ाना आने जाने में भी काफी खर्चा हो जाता है। ये महिलाएं पिछले कई सालों से यह काम करती आ रही हैं और चाहती है कि अब इनको इस काम के लिए ज़्यादा पैसे मिलें।
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इन लोगों ने कई बार इसकी शिकायत भी करी लेकिन फिर भी कोई सुनवाई नहीं हुई। भदोही के खाद भण्डार के मालिक सेवालाल यादव ने बताया कि अब कालीन और गलैचा बनाने के रोज़गार में काफी कमी आई है, जिसके चलते कारीगरों को मज़दूरों को भी कम रकम मिलती है। काती खोलने का रोज़गार कर रही ये महिलाएं दिनभर मेहनत करके छोटी रकम ही कमा पाती हैं। लेकिन इस काम को लेकर इनकी लगन में कोई कमी नहीं आती।
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