खबर लहरिया राजनीति चुनाव से पहले बिहार में बढ़ी हिंसा

चुनाव से पहले बिहार में बढ़ी हिंसा

फोटो साभार-  इंडियन एक्सप्रेस

फोटो साभार- इंडियन एक्सप्रेस

पटना। बिहार पुलिस के रिकार्ड देखें तो 18 जून 2013 से 30 जून 2015 के बीच चार सौ पैंतालिस दंगे हो चुके हैं। जून 2013 में ही भारतीय जनता पार्टी और नीतीश कुमार की जदयू पार्टी एक दूसरे से अलग हुई थी। पुलिस की मानें तो इस समय छोटे छोटे झगड़े भी भारी हिंसा का रूप ले रहे हैं।
मोहर्रम के मौके पर हनुमान जी की टूटी नाक पर बवाल
औरंगाबाद के दाउदनगर इलाके में 4 नवंबर 2014 में मोहर्रम के दिन ताजिया निकलते वक्त हिंसा हुई। यहां के चूड़ी बाजार में स्थित मंदिर में रखी हनुमान जी की मूर्ति की नाक टूटी पाई गई। इस पर भीड़ हिंसा पर उतर आई।
भैंस चोरी, अफवाह और फिर गोलियां चलीं
17 नवंबर तिराहीबाग गांव से एक किलोमीटर से भी कम दूरी पर मौजूद चूड़ी बाजार में भैंस चोरी का मामला इतना बढ़ा की यह सांप्रदायिक हिंसा में बदल गया। अफवाह उड़ाई गई कि भैंस की चोरी मुस्लिम समुदाय ने की है। बस फिर यादव समुदाय और मुस्लिम समुदाय आमने सामने आ गए।
पेशाब बनी हिंसा का कारण
सासाराम जिले के रोहतास में 8 जनवरी 2015 को हिंदू समुदाय में अनुसूचित जन जाति के समुदाय खटिकों और मुस्लिमों के बीच झगड़ा बढ़ते बढ़ते हिंसा में बदल गया। झगड़े का कारण खटिक लड़के द्वारा मुस्लिम लड़के की दुकान के सामने पेशाब करना था।
पतंग लूटने में गई एक जान, दोषी जेल में
पतंग लूटने के लिए हिंदुओं में निचली समझी जाने वाली सोनकर जाति के कुछ लड़के कब्रिस्तान में कूद गए। वहां करीब बैठे मुस्लिम समुदाय के लड़कों ने रोकने की कोशिश की तो झगड़ा बढ़ गया। इसमें हिंदू समुदाय के लोगों ने फायरिंग की। एक की जान चली गई। दोषी गिरफ्तार हो गया।
अंगारे बने हिंसा की वजह
गया जिले के चंदौती गांव में 3 मार्च 2014 में मस्जिद के आंगन में जलते हुए कोयले के टुकड़े फंेके गए। इससे दोनों समुदाय के बीच हुए झगड़े ने गंभीर हिंसा का रूप ले लिया। पुलिस को लाठीचार्ज करनी पड़ी।
इन्हीं मिलते जुलते कारणों को लेकर हुए झगड़े सांप्रदायिक हिंसा में बदलते चले गए।