खबर लहरिया जवानी दीवानी जनसँख्या और बेरोजगारी की कैसी यारी?

जनसँख्या और बेरोजगारी की कैसी यारी?

सन 1989 से हम 11 जुलाई विश्व जनसंख्या दिवस मनाते हैं. लेकिन क्या आपको पता है ये क्यों मनाया जाता है?

लगातार बढ़ रही जनसँख्या को नियंत्रित करने के उद्देश्य से 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम कि गवर्नर काउंसलिंग द्वारा इसे शुरू किया गया. जिससे अंतर्गत परिवार नियोजन, लिंग समानता, गरीबी, मातृ स्वास्थ्य को लेकर लोगों को जागरूक करना था. मतलब जनसँख्या सम्बंधित समस्याओं पर  वैश्विक जागरूकता करना है. अगर हम भारत कि बात करें तो इसकी वर्तमान आबादी 133 करोड़ है. जो जनसंख्या कि दृष्टि से दूसरा देश है. पहले स्थान पर अभी चीन है.

world population day

लेकिन  कई रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि जनसंख्या के मामले में भारत 2027 तक चीन को पीछे छोड़कर पहले स्थान पर आ जाएगा। क्योकि हमारे देश कि जनसँख्या नियंतार्ण कि योजनाये तो बनती है लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ दीखता नहीं. क्योकि उसमे अभी भी जागरूकता कि कमी है. 

महोबा जिले में पुरुष नसबंदी एक चुनौती

 विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमानों के अनुसार, वर्ष 2011 यानी एक दशक के दौरान पिछले आठ वर्षों में गर्भनिरोधक के इस्तेमाल में 52% और पुरुष नसबंदी में 73% की गिरावट हुई है।

 जिसका परिणाम यह है कि भारत की जनसंख्या का अनुमान लगभग 133 करोड़ हो चूका है और अगले छह वर्षों में यह चीन की आबादी को पार कर वर्ष 2050 तक 170 करोड़ तक पहुंचने की संभावना दिखाता है।

हैसे जैसे जनसँख्या बढती है देश में पलायन, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और निवास के लिए स्थान की भी बड़ी समस्या होगी. क्योकि बढती जनसंख्या के अनुसार हमारे देश में उतने रोजगार नहीं है. इससे गरीबी और पलायन बढते जा रहे हैं . 

 

ललितपुर से देखें, कम सुविधा और संसाधन प्राप्त लड़कियों पर बढ़ती बेरोजगारी की मार

 

एनएसएसओ की रिपोर्ट में कहा गया कि देश में बेरोजगारी दर 6.1 प्रतिशत पर पहुंच गई है. रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण इलाकों की शिक्षित युवतियों में 17.3 फीसदी तक बेरोजगार है तो वहीँ शिक्षित युवकों में बेरोजगारी दर 10.5 फीसदी तक पहुंच गई है.

2017-18 में बढ़ा बेरोज़गारी का स्तर

 

एडीबी की रिपोर्ट के अनुसार भारत की कामकाजी उम्र की आबादी वर्तमान में हर महीने 1.3 मिलियन बढ़ रही है, जो एक स्थिर नौकरी बाजार को बढ़ा रही है जोकि रोज़गार की कमी से पीड़ित है। इस बेरोजगारी का कारण भी बढती जनसंख्या और सिमित रोजगार के अवसर है. क्योकि जिस तरह से देश में जनसँख्या बढ़ रही है उस अनुसार से न तो रोजगार है ना ही खेती.