खबर लहरिया Blog शहर छोड़कर गांव गए मजदूरों को मनरेगा के तहत मिला काम

शहर छोड़कर गांव गए मजदूरों को मनरेगा के तहत मिला काम

शहर छोड़कर गांव गए मजदूरों को मनरेगा के तहत मिला काम :कोरोना से बचाव के लिए देश में किए गए लॉकडाउन का असर लगभग सभी वर्ग के लोगों के ऊपर पड़ा है, लेकिन गरीब व श्रमिक इसमें सबसे अधिक मुसीबत झेल रहे हैं। श्रमिकों को काम मिलना मुश्किल हो गया। घर का खर्च चलाना तो दूर दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करना भी मुश्किल हो रहा था लेकिन 20 अप्रैल को सरकार द्वारा मनरेगा योजना का कार्य शुरू करने की अनुमति देने के बाद लोगों को कुछ राहत मिली है। और गांवों में आर्थिक रीढ़ माने जाने वाले ‘मनरेगा’ में इस लॉकडाउन में मजदूरों को काम मिलने लगा है। राज्य सरकार ने लाकडाउन की इस अवधि में मनरेगा के तहत जल संरक्षण खासकर नदियों के पुनरूद्धार, तालाबों की खुदाई, चेक डैम, नहरों की सफाई, पौधरोपण के लिए मिट्टी से संबंधित काम के साथ ही ग्रामीण सड़कों को कराने को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए हैं।


कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए चल रहे लाकडाउन के बीच मनरे गा से श्रमिकों को रोजगार देने के साथ ही गांवों के विकास को गतिशील रखने में सरकार को बड़ी मदद मिल रही है। तेजी से मनरेगा श्रमिकों को रोजगार से जोड़ा जा रहा है।
समाचार पत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में 14 लाख 73 हजार 595 मनरेगा श्रमिक व्यक्तिगत और सामुदायिक कार्यों में लगे हुए थे। 27 अप्रैल तक राज्य में 67, 0787 श्रमिकों को काम पर लगा दिया गया था। इसके बाद के एक सप्ताह में यानी 4 मई को और आठ लाख से अधिक श्रमिकों को काम दे दिया गया। इस समय मनरेगा योजनाओं में 14 लाख 73 हजार 595 मनरेगा श्रमिक काम पर लगे हैं। राज्य के 64 फीसदी ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत व्यक्तिगत और सामुदायिक कार्य इस समय चल रहे हैं। लोग बेरोजगार बैठे थे उन्हें काम मिल गया उनके आँखों में जो खुशी की चमक देखने को मिल रही ऐसे ही बरकरार रहे तो शायद लोग भूखों नहीं मरेंगे।


एक तरफ ख़ुशी की बात यह है की लोगों को मनरेगा में काम मिला वहीँ दूसरी तरफ दुखद बात तो यह है की एक तरफ सरकार मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग का खास ख्याल रखने की बात कर रही है लेकिन इन मजदूरों के साथ ऐसा नहीं है। लोग बिना मास्क लगाये मनरेगा में काम कर रहे हैं जिससे कोरोना वायरस का खतरा बढ़ सकता है। गांव के प्रधान रोजगार सेवक को चाहिए की इन मजदूरों को जागरूक करें क्योंकि मजदूरों की सेफ्टी उन्हीं के हाथ है।