खबर लहरिया क्षेत्रीय इतिहास महिलाएं आज भी बनाती हैं कपड़े के बटुएं

महिलाएं आज भी बनाती हैं कपड़े के बटुएं

फैशन की बात करें तो हम जो सामान, कपड़े, पर्स या कोई भी अन्य चीजें बजार से लेकर आते हैं तो अक्सर हमारे बड़ों द्वारा यह सुनने को मिलता था कि ये तो हमारे ज़माने में चलता था। हमने पुरानी फिल्मों में भी देखा होगा कि जो कपड़े आजकल फैशन मे हैं वो पुरानी हिरोइनों ने पहने हुए हैं। थोड़ा फ़र्क बस नाम का हो जाता है। अब पलाज़ो को ही लो। पहले बेलबॉटम कहते थे, अब पलाज़ो है।

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इसी तरह हम अपने बचपन में बुजुर्गों के पास बटुआ देखते थे जिसमें वो लोग पान-सुपारी, लौंग, इलायची आदि चीजें रखते थे। अब इस बटुए का फैशन दोबारा से आ गया है। फ़र्क इतना है कि पहले ये बटुआ ग्रामीण बुजुर्गों के पास होता था। अब ये शहरी और हाई सोसाइटी के लोगों की बड़ी-बड़ी शादी-पार्टियों में भी लोगों के हाथों में दिखता है।

पहले लड़कियों की शादी में महिलाएं घर में ही महिनो पहले बटुआ बनाती थी। सैंकड़ों बटुए बेटी की शादी में दिए जाते थे। वो बटुआ बेटी के ससुराल में परिवार के लोगों में बंटता था लेकिन अब ये बटुए बहुत ही मंहगे दाम में बिकते हैं। ये बटुए अब पांच सौ से पचास हज़ार तक मे बिक रहे हैं। ये बटुए बड़े-बड़े बुटीक मे बनाए जा रहे हैं।

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