खबर लहरिया जासूस या जर्नलिस्ट आज के युग में भी सीता को ही वनवास क्यों? देखिए जासूस या जर्नलिस्ट

आज के युग में भी सीता को ही वनवास क्यों? देखिए जासूस या जर्नलिस्ट

हिंसा से भरा महिलाओं पर बढ़ती हिंसा और ढोंगी बाबा पर देखिये कविता का करारा जवाब एपिसोड 99ये केस आपको सतयुग की बात याद दिला देगा, मतलब कहा जाता है कि श्री रामचन्द्र जी ने अपनी पत्नी को किसी के कहने पर ही त्याग दिया था, और उन्हें घर से निकाल दिया था, पर वह कहानी बड़ी बड़ी ग्रंथो पर लिखी जाती है |

ऐसा ही कुछ केस लेकर मैं आई हूं आपके साथ, क्या इस पीड़ित की कहानी अपने अभी तक सुनी है, नही न , तो पूरी कहानी देखने के लिए बने रहिये मेरे साथ जासूस या जर्नालिस्ट पर \

मामला चित्रकूट जिले के बढगड़ थाना क्षेत्र के एक गाँव का है। पूनम (बदला हुआ नाम) है। पूनम नाम की महिला की शादी 6 साल पहले हुई थी। जब हमने पूनम से बात की तो पूनम ने बताया कि ससुराल वाले शादी के बाद से ही किसी न किसी बात को लेकर प्रताड़ित करते थे।

शादी के बाद से ही दोनों पलायन करने जाते थे, इसी बीच उनके दो बच्चे हो गए, फिर भी पति और ससुराल वाले उसके साथ मारपीट करते थे। खाना नहीं देते थे। वह पानी पी पीकर वह कुछ दिन रही, जब पूरी तरह से पूनम  परेशान हो गई तो वह एक दिन अपने बच्चे को लेकर अपने भाई के पास पूना चली गयी।

वहां पर वह करीब 15 से 20 दिन रही, और माँ भाई के कहने और समझाने पर वापस अपने ससुराल आ गई। पर ससुराल वाले उसको घर मे रखने से मना कर रहे हैं। क्योंकि पति और ससुराल वालों को लगता हैं कि वह किसी दूसरे पुरूष से साथ भाग कर गई थी। ससुराल वालो ने पूनम के साथ बहुत ज्यादा मारपीट की, और सौ नंबर को फोन कर दिया और उसकी ही गलती बताई, पुलिस आई है और पूनम को थाना ले गई, क्योंकि ससुराल वालो कि तरह पुलिस भी सोचती है कि पूनम  किसी दूसरे पुरुष के साथ भाग गई थी।

मामला अभी यही नहीं खत्म हुआ। किसी तरह से पुलिस पूनम और ससुराल वालों के बीच समझौता कर कर यही छोड़ गई। पर अभी भी हिंसा कम नही हुई। अगर हम ये कहे कि पूनम ससुरल वालो के उसमे नजर बंद है तो गलत नही होगा। क्यों अभी भी सास ताकझांक करती है, न तो पति बात करता है, और न परिवार वाले।

पूनम को बाहर नही निकलने देते है। पड़ोस वाले भी हर बात पर ताना देते है। राह चलते लोग गालियां देते हैं। ससुराल वाले अब गलत नजर से देखते है। जब हम रिपोर्टिंग के लिए गए तो पूनम की सास रास्ते मे मिली खेत जाते हुये, फिर वह वापस आ गई। उसके बाद से पूनम कुछ भी बोलती वह आसपास नजर आ जाती। और पूनम कुछ भी नही बोल पाती थी। जिससे अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि पूनम के साथ कितनी हिंसा हो रही है। शायद वह इसलिए नही बता रही थी, उसको डर है कि जो मारपीट और गाली गलौज सुनकर वह उस घर मे रह रही है, अगर उनके सामने कुछ भी बताया तो पति और सास उसके साथ मारपीट करेंगे, और घर से निकाल देंगे।

अभी भी पूनम की ज़िंदगी खतरे में है। दोस्तो यह तो एक पूनम की कहानी है पर हमारे देश मे ऐसे हर रोज जाने कितनी महिलायें इस तरह की हिंसा का शिकार हुई। राम पत्नी को जंगल में छोड़ने के बाद भी मर्यादा पुरषोतम है, लेकिन सीता को अग्नि परीक्षा देने के बाद भी वन में रहना पड़ा। इस समाज की दोहरी मानसिकता के चलते हर रोज महिला हिंसा का शिकार होती है। आख़िर पूनम का घर से जाने का कारण पड़ोसियों को क्यों नहीं दिखा। पुलिस कैसे महिलाओ के चरित्र के ऊपर ऊगली उठा सकती है। कैसे कह सकती है कि वह भागी हुई औरत है। आख़िर कब एक हिंसा से पूनम को छुटकारा मिलेगा। कौन करेगा उसकी मदद।