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विश्व शौचालय दिवस ताकि बढ़े शौचालय का निर्माण

 

19 नवम्बर यानी आज है विश्व शौचालय दिवस। यह दिवस पर्याप्त स्वच्छता के महत्व पर बल देता है और सभी के लिए सुरक्षित और स्वच्छ शौचालयों की पहुंच की सिफ़ारिश करता है। इस दिवस को मनाने की शुरुआत विश्व शौचालय संगठन द्वारा वर्ष 2001 में की गई थी। संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 2013 में इसे अधिकारिक तौर पर विश्व शौचालय दिवस घोषित किया गया। विश्व में सभी लोगों को 2030 तक शौचालय की सुविधा उपलब्ध करवाना संयुक्त राष्ट्र के छह सतत विकास लक्ष्यों का हिस्सा है। महिलाओं के लिए ये सुरक्षा से जुड़ा मामला भी है, क्योंकि घर में शौचालय नहीं होने की सूरत में महिलाओं को अंधेरे में शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है


देश में बड़ी आबादी आज भी खुले में शौच करती है यह न केवल बीमारियों को दावत देता है, बल्कि साफ-सफार्इ में भी बड़ा रोड़ा है स्वच्छता पर बल देने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने दिनांक 2 अक्टूबर, 2014 को स्वच्छ भारत मिशन की शुरूआत की थी। इसके तहत कमजोर वर्ग को लोगों को शौचालय बनाने के लिए सरकार की तरफ से मदद दी जाती है

सरकार चाहती है कि पूरे प्रदेश को खुले में शौच से मुक्त किया जाए इसके लिए प्रदेश सरकार घर में शौचालय बनवाने के लिए गरीबों को 12 हजार रुपये की सहायता देती है यह योजना स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत चलार्इ जा रही है हर घर में शौचालय होने से स्वच्छता अभियान को बढ़ावा मिलेगा जीवन स्तर में भी सुधार होगा। लेकिन आज भी लोग खुले में शौच कर रहे हैं।

ढिढोरा पीटा जा रहा कि खुले में शौच से लोगों को मुक्ति मिल गई। लेकिन जमीनी हकीकत बिल्कुल जुदा है। सच यह कि शौचालय योजना के प्रति आम जनता का मोहभंग हो गया है। धन की बंदरबाट की लालसा में योजना का बंटाधार हो गया। गांव में बने शौचालयों की स्थिति बेहद खराब है। किसी में दरवाजे लगे हैं तो किसी में शीट नहीं तो कहीं पानी की व्यवस्था नहीं ऐसे में शायद ही कोई शौचालय होगा, जिसका लाभार्थी सहित परिजन नियमित उपयोग कर रहे हैं। आज भी कई ऐसे गाँव हैं जहाँ लोग सड़कों पर ही सुबह शौच के लिए जाते हैं। तमाम प्रयास के बाद भी खुले में शौच करने की प्रवृत्ति नहीं बंद हो सकी। ग्रामीणों का आरोप है कि शौचालय योजना में बड़े पैमाने पर धन की बंदरबांट की गई। लेकिन मानक के अनुरूप शौचालय नहीं बने।

देश के कई हिस्सों में शौचालयों के निर्माण में अधिकारियों और जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों ने बहुत ही लापरवाही बरती है और यह हमें आसानी से देखने को भी मिल जाता है। 

स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) की वेबसाइट पर अपलोड डेटा के मुताबिक, 2014 से लेकर 1 अक्टूबर 2019 तक कुल 5 लाख 99 हजार 963 गांव ओडीएफ हो चुके हैं, इनमें से 5 लाख 74 हजार 662 गांव को सत्या्पित भी किया गया है। वेबसाइट के मुताबिक 1 अक्टूबर 2019 तक भारत 100% खुले में शौच मुक्त हो चुका है। यानि भारत ने अपने लक्ष्य के मुताबिक 2 अक्टूबर 2019 तक ओडीएफ स्टेटस हासिल का लिया।



विश्व शौचालय दिवस कई स्वच्छता मुद्दों के प्रति जनता का ध्यान दिलाने और उन मुद्दों को हल करने का प्रयास करता है। हालांकि पर्याप्त स्वच्छता तक पहुंच को मानव अधिकार के रूप में घोषित किया गया है लेकिन दुनिया में हर तीन लोगों में से एक के पास शौचालय को लेकर कोई भी स्पष्ट दृष्टिकोण नहीं है। इसके अलावा जिन लोगों की पहुंच असुरक्षित और अशुद्ध शौचालय तक है उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिनमें टाइफाइड, हैजा, डायरिया और हेपेटाइटिस जैसी कई बीमारियां शामिल हैं।
  खुले में शौचालय जाने पर बच्चों और महिलाओं पर होने वाले यौन उत्पीड़न के केसों में वृद्धि होती है। जिसका कारण यह भी है कि लोगों को शौचालय बनाने के लिए पैसे तो मिले लेकिन उन्होंने उनका प्रयोग किसी और काम में कर लिया। गाँव की महिलाएं बताती हैं कि रात में खाना खाने के बाद एक ही चिंता सताती हैं कि सुबह जल्दी उठकर शौच जाना है। सूरज निकलने से पहले और अस्त होने के बाद शौच जाना पड़ता है। अंधेरे में डर भी लगता है। किसी को साथ में लेकर जाना पड़ता है। इन सब समस्याओं का हल तभी होगा जब ग्रामीण भी सरकार की इस योजना को सफल बनाने में सहयोग देंगे और तभी विश्व शौचालय दिवस सार्थक होगा