खबर लहरिया छतरपुर बढ़ रहे बलात्कारों के मामलों का जिम्मेदार कौन?

बढ़ रहे बलात्कारों के मामलों का जिम्मेदार कौन?

सदर कोतवाली के अंतर्गत आने वाले एक मोहल्ले कि एक 16 साल की लड़की की लाश 11 जुलाई की सुबह लगभग 7:00 बजे रेलवे पटरी पर देखी गई| इस घटना से उनके परिवार में दहशत का माहौल है 11 तारीख से अभी तक वह परिवार न्याय पाने के लिए दर-दर की ठोकरे खा रहा है कलवगंज चौकी से लेकर एसपी ऑफिस महिला आयोग की सदस्य और महिला आयोग मुख्यमंत्री तक रजिस्ट्री कर चुका है लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है| लड़की के पिता के मुताबिक उसकी लड़की को अगवा करके उसके साथ दुष्कर्म किया गया है इसके बाद उसे मार दिया गया है| पीड़ित पिता का यह भी कहना है कि वह उस दिन से बराबर पुलिस विभाग के चक्कर काट रहा है लेकिन अभी तक उनकी f.i.r. नहीं दर्ज हुई है| लड़की के पिता का कहना है कि बंटी नाम के लड़के ने उसकी लड़की के साथ इस तरह की हरकत की है उसने पहले फोन में लडकी से बातचीत की और लड़की को गालियां दी धमकी भी दी इसके बाद उसी रात ये घटना हो गई| लेकिन वह संपन्न परिवार से हैं उसके चाचा फौज में है इस कारण पुलिस को उन्होंने पैसे दे दिए हैं और वह गरीब व्यक्ति हैं इसलिए उनकी सुनवाई नहीं हो रही एक तो उनकी बेटी चली गई दूसरी पैसा ना होने के कारण उन्हें न्याय भी नहीं मिल पा रहा है इसलिए वह दर-दर भटक रहे हैं| अगर उन्हें न्याय नहीं मिला तो वह आगे अपने बच्चों को पढ़ा लिखा भी नहीं पाएंगे और अपना घर छोड़कर पलायन करने को मजबूर होंगे| हालांकि इस मुद्दे को लेकर संस्थाएं और पार्टी के लोग भी आगे आ रहे हैं लेकिन क्या संस्थाएं और पार्टी के लोग उस पीड़ित परिवार को न्याय दिला पाएंगे या उस लड़की की मौत एक कोरे कागज में ही दफन हो जाएगी और ये एक राजनीतिक मुद्दा बन जाएगा| सोचने वाली बात है कि आए दिन रेप और रेप के बाद हत्या जैसे की घटनाएं जिले में सामने आ रही है जैसे कि अगर मैं अपनी कवरेज के मुताबिक बताऊं तो जुलाई के महीने में ऐसे कई केसेज है जो मैंने खुद में देखे हैं और पेपरों में पढे हैं| आए दिन इस तरह की हत्या और रेप जैसी घटनाओं से पपेर भरा रहता है अगर मैं बात करूं 1 जुलाई से 29 जुलाई तक की तो मैंने खुद में 16 खबरें ऐसी निकाली है जो इससे संबंधित है कहीं छेड़खानी तो कहीं बलात्कार तो कहीं बलात्कार के बाद मार देना 1 महीने में इतना अकड़ा हो सकता है तो सोचने वाली बात है कि साल भर में कितना आंकड़ा ना होता होगा| जहां एक तरफ सरकार महिला सुरक्षा की बात करती है बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान का इतना बड़ा नारा देती है वहीं दूसरी तरफ बूटियों के साथ इस तरह की घटनाएं हो रही है तो क्या इस तरह की घटनाओं के चलते बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का नारा साकार हो पाएगा| इससे बेटियां पढ़ पाएंगे आगे बढ़ पाएंगे या यह नारा एक दिखावा है| आखिरकार पुलिस क्यों इस मामले को गंभीरता से नहीं लेती क्यों पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिल पाता इसकी क्या वजह है या फिर खाली पैसे का समझौता होता है और अपराधियों के हौसले बुलंद होते हैं वह खुलेआम घूमते हैं जिससे पीड़ित परिवार हर समय दहशत महसूस करता है|