खबर लहरिया जवानी दीवानी ताकि पुलिस बनने का सपना पूरा हो इसलिए पिता के साथ बनाने लगी पंचर

ताकि पुलिस बनने का सपना पूरा हो इसलिए पिता के साथ बनाने लगी पंचर

ललितपुर जिले के एक छोटे से गांव तालबेहट के सीधे साधे गरीब किसान मनोहर की बेटी हेमलता को अपने पिता का पंचड बनाने की दुकान में हाथ बटाते देख उसके पिता बेहद खुस है हेमलता का कहना है कि वह 10 साल की उम्र से इस काम में रुचि रखती है और आज वह अपने पिता के साथ दुकान में बराबर आती है| लेकिन इस काम के साथ-साथ वह समय निकालकर घर का काम और पढ़ाई भी करती है क्योंकि उसका आगे का सपना है कि वह पुलिस में जाए| हेमलता की महारानी बताती है कि बचपन से ही है पढ़ने और इस तरह के कामों में होशियार थी पिता के लाड प्यार के चलते यह हमेशा दुकान में रहती थी और कुछ ना कुछ खोलती लगाती रहती थी जिससे आगे यहां तक पहुंच गई है| लेकिन वह चाहते हैं कि उनकी लड़की जिस तरह से एक तरक्की भरा काम कर रही है जो कि एक लड़का भी नहीं कर सकता वह बहुत ही सराहनीय है और अगर उनकी लड़की को कोई सरकारी जॉब मिल जाती है तो और भी अच्छा होगा| हेमलता यह भी बताती है कि जब वह दुकान में होती है तब कई बार उनको लोग कहते हैं कि अरे आप पंचर क्यों बनाते हैं तो हम भी महसूस होती है लेकिन उनकी इस काम में रुचि है और वह अपने पिता का हाथ बताना चाहते हैं क्योंकि एक समय था जब उनके पिता का पैर टूट गया था और उनकी मां झांसी में लिए भर्ती थी उस समय घर की स्थिति बहुत ही खराब थी और काम करने वाला कोई नहीं था| तब उसने दुकान के काम को आगे बढ़कर संभाला और पूरी तरह से अपने भाई-बहनों का ख्याल रखा था कि उन्हें यह एहसास ना हो कि उनके मां बाप नहीं है तो उनका खर्चा कोई पूरा नहीं कर रहा और पूरी लगन से उसने दुकान में पंचर जोड़ने का काम किया पुरा खर्च चलाया| उसका कहना है कि कोई कुछ भी बोले आज के समय में लड़के लड़कियां लड़कों से कम नहीं है उसे अपने काम से मतलब है किसी की बातों से नहीं और वह बराबर इस काम को करती रहेंगी शादी होने के बाद भी उन्हें मौका मिला तो वह घर में उस काम को बराबर करेंगे क्योंकि उनकी इस काम में बहुत ही रूचि है| हेमलता के पिता मनोहर कहते हैं कि आज की दुनिया में लड़के और लड़की में कोई भेदभाव नहीं है लड़कों से ज्यादा लड़कियां तरक्की कर रही है चाहे जिस जगह देखें सेना में देखें तो लड़कियां हेलीकॉप्टर लड़कियां चलाते हैं आज के समय में बेटियां ही तरक्की कर रही है| वह अपनी बेटी को लड़के से बढ कर सम्मान देते हैं