खबर लहरिया Blog टीकमगढ़: सरकारी खाद सेंटर पर खाद लेने के लिए रोज़ाना लग रहीं किसानों की लाइन

टीकमगढ़: सरकारी खाद सेंटर पर खाद लेने के लिए रोज़ाना लग रहीं किसानों की लाइन

इस सेंटर में एक और पी ओ एस  मशीन भी मौजूद है लेकिन खाद वितरण के लिए सिर्फ एक ही मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा है।

                                                                                                                              खाद लेने के लिए लगी लम्बी लाइन

मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ ज़िले के जतारा में सरकारी खाद सेंटर पर किसान पिछले कई दिनों से चक्कर काट रहे हैं लेकिन उन्हें खाद नहीं मिल पा रही है। खाली हाँथ घर लौट रहे किसान इस कारण काफी परेशान नज़र आ रहे हैं।

गाँव सेराई के रहने वाले अजमेर सिंह घोष का कहना है कि वो तीन दिन से बराबर यहाँ आ रहे हैं और पूरे दिन लाइन में खड़े रह कर घर वापस लौट जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि खाद सेंटर तक पहुँचने में रोज़ाना सौ डेढ़ सौ रुपए का पेट्रोल लग जाता है और लोगों के काम पर भी प्रभाव पड़ता है। अजमेर सिंह ने बताया कि 11 नवंबर को उनके कागज भी यहां जमा कराए गए थे लेकिन अभी तक खाद नहीं मिली है। बस किसानों को आश्वासन दिलाया जा रहा है कि उन्हें आज-कल में खाद देदी जाएगी।

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सिर्फ एक ही पी ओ एस मशीन से हो रहा खाद वितरण-

गाँव करमोरा के रहने वाले रहीश यादव ने बताया कि है यहां पर एक दिन में लगभग दो-ढाई सौ किसान आते हैं, और इतने दिनों से खाद वितरण न होने के चलते यहाँ ज़्यादा भीड़ लग गई है और अब हर किसान को खाद मिलने में मुश्किल हो रही है। रहीश यादव बताते हैं कि इस सेंटर में एक और पी ओ एस मशीन भी मौजूद है लेकिन खाद वितरण के लिए सिर्फ एक ही मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा है। अगर दूसरी मशीन भी रखकर खाद दी जाए तो फिर किसान भी दो-तीन लाइनों में खड़े हो सकते हैं और फिर सभी को खाद मिल सकेगी। उनका कहना है कि समय पर खाद न मिल पाने के कारण लोगों की खेती और फसलों पर भी असर पड़ रहा है।

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समय पर खाद न डलने से ख़राब हो सकती हैं फसलें-

किसानों ने बताया कि इन लोगों को खेतों की सिंचाई करे हुए अब 8 से 10 दिन होने जा रहे हैं लेकिन अभी तक खाद न डल पाने के चलते फसलें खराब होने का खतरा बढ़ता जा रहा है। किसान पिछले 6 दिनों से बराबर यहाँ आ रहे हैं, और शाम को खाली हाथ वापस लौट जा रहे हैं। किसानों की मानें तो कई खेत अब सूखने लगे हैं और अगर अगले दो-तीन दिनों में उन्हें खाद नहीं मिली तो उनकी पूरी मेहनत पर पानी फिर जाएगा और खरीफ की सारी फसल बर्बाद हो जाएगी।

गाँव कदवां की रहने वाली फूला ने बताया कि वो भी खाद लेने के लिए सुबह 10 बजे से लाइन में लगी हुई थीं लेकिन शाम तक उनका नंबर भी नहीं आ पाया है। 12 नवंबर को यहाँ पर यूरिया खाद मिल रहा है लेकिन यहाँ पहुंचे हुए लगभग 200 किसानों में से सिर्फ कुछ ही लोगों को ये यूरिया मिल पाया है। फूला की मानें तो पिछले कई दिनों से रोज़ाना यहाँ आकर लाइन में खड़े होने के कारण उनके पैर और सिर भी दर्द कर रहा है लेकिन खाद लेने के लिए उन्हें स्वास्थ्य की चिंता किए बिना यहाँ आना पड़ रहा है।

जतारा खाद सेंटर के प्रबंधक जानकी प्रजापति का कहना है कि यहां पर पी ओ एस मशीन से खाद मिलती है लगभग डेढ़ सौ किसानों को 1 दिन में खाद दिया जाता है। उन्होंने बताया कि फिलहाल यहाँ रोज़ाना दो-ढाई सौ किसान आ रहे हैं इसलिए भीड़ हो जा रही है और लोगों को खाद भी नहीं मिल पा रही। 12 नवंबर को भी लगभग 60 किसानों को पी ओ एस मशीन की सहायता से यूरिया खाद और डीएपी खाद दिया जा गया है। उन्होंने बताया कि 1200 रूपए की डीएपी खाद की बोरी है और 270 रूपए की यूरिया खाद की बोरी है।

इस खबर की रिपोर्टिंग रीना द्वारा की गयी है।

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