खबर लहरिया ताजा खबरें योगी के तीन साल पर ब्यूरो चीफ की राय देखिए राजनीति रस राय में

योगी के तीन साल पर ब्यूरो चीफ की राय देखिए राजनीति रस राय में

साथियों योगी सरकार के तीन साल पूरे होने पर मेरी तरफ से एक स्लोगन है। योगी सरकार के तीन साल, जनता बेहाल और सरकार मालामाल, क्या आपको भी है सरकार से कोई सवाल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कार्यकाल 19 मार्च 2020 से तीन साल का पूरा हो जाएगा। इस मौके पर हमने उत्तर प्रदेश के बांदा, चित्रकूट, महोबा, ललितपुर और अयोध्या से लोगों के विचार जाने कि आखिरकार उनके हिसाब से योगी सरकार कितना खरी उतरी है।योगी सरकार के बहुचर्चित रहे मुद्दे जैसे अन्ना जानवर, रोजगार, भ्रष्टाचार, महिला हिंसा और अपराध, किसानों की कल्याणकारी योजनाये, कानून व्यवस्था, शिक्षा, विकास और पलायन पर लोगों से जाने कि योगी सरकार उनके हिसाब से पास है या फेल। 5 में कितने नम्बर देंगे। लोग बहुत गुस्से में लगे थे। कुछ पार्टी विशेष के भक्त टाइप के लोगों ने सत प्रतिशत नम्बर दिये तो किसी ने एक दो नम्बर तो किसी ने नम्बर ही नहीं दिए। इन तीनों साल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मुख्य भूमिका गाय और गौशाला पर नज़र आई। गाय को बचाने के लिए योगी सरकार ने गौशालाएं बनवाने का ऐलान किया। गौशालाओं का निर्माण तो हुआ लेकिन गायों की स्थिति बदतर ही रही। गौशालाओं में अव्यवस्था के कारण हर रोज गाय की मौत की खबरें छाई रहीं जबकि योगी सरकार ने गौशालाओं और गाय को भूखा प्यासा और मौसम की मार से बचाने के लिए खूब सरकारी धन लुटाया। अगर कानून व्यवस्था की बातें की जाए तो इससे कोई अनजान नहीं कि इन तीन सालों में महिला हिंसा और अपराध के मामलो से रोज अखबारों के पन्ने पुते पड़े रहे। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो 2018 की रिपोर्ट के अनुसार अपराध के करीब 3.78 लाख मामले दर्ज किए गए। उदाहरण के तौर पर उन्नाव जिले के दो बड़े केस जिनमें आज तक न्याय नहीं हो पाया को देख लीजिए। नागरिकता संसोधन बिल को लेकर कानपुर और लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के कई शहरों में हुई हिंसात्मक घटनाएं लचर कानून व्यवस्था को बताने के लिए काफी हैं। इसके अलावा और भी योजनाओं में अगर प्रकाश डालें तो सफलताओं से कोसों दूर रही हैं। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने महिलाओं को खुश करने के प्रयाश करती रही है। आइये बात करें योगी सरकार की महिलाओं के लिए शुरू की गई कम से कम पांच योजनाओं के बारे में। पहली योजना है 1 मुखबिर योजना इस योजना के तहत कन्‍या भ्रूण हत्‍या को रोकने और महिलाओं के जन्‍म को बढ़ावा देने के उद्देश्‍य से सीएम योगी ने महिला सशक्तिकरण मिशन के तहत मुखबिर योजना को प्रारंभ किया है। इस योजना के लिए हेल्‍पलाइन नंबर 181 दिया गया है जिसके तहत 64 रेस्‍क्‍यू वैन भी तैयार की गई हैं। भ्रूण हत्‍या की सूचना देने वालों को 10 हजार से 2 लाख रुपए तक का ईनाम दिया जाता है। दूसरी योजना है 2 निराश्रित पेंशन योजना प्रदेश की सभी विधवा महिलाओं को निराश्रित महिला पेंशन योजना के अंतर्गत पहले चरण में 500 रुपए की आर्थिक सहायता दी जाएगी। इस योजना के तहत महिला के पति के देहांत के बाद पुनर्विवाह करने पर दम्‍पत्ति को दिए जाने वाले पुरस्‍कार राशि को 11,000 से बढ़ाकर 51,000 कर दिया गया है। साथ ही दहेज पीडि़त महिलाओं को अभी तक हर महीना 125 रुपए की आर्थिक सहायता दी जाती थी उसको बढ़ाकर 500 रुपए और दहेज पीडि़त महिलाओं को कानूनी सहायता के रुप में एकमुश्‍त मिलने वाली 2500 रुपए की सहायता राशि को बढ़ाकर 10,000 रुपए करने की योजना बनाई है। तीसरी योजना है 3 सामूहिक विवाह योजना इसके तहत यूपी की गरीब मुस्लिम लड़कियों का विवाह इस योजना के तहत किया जाएगा। चौथी योजना है 4 भाग्‍यलक्ष्‍मी योजना मुख्‍यमंत्री द्वारा चलाई गई इस योजना के अंतर्गत प्रदेश की हर गरीब परिवार में बेटी के जन्‍म पर 50,000 रुपए का विकास बाण्‍ड दिया जाएगा। बेटी के कक्षा 6 में पहुंचने पर तीन हजार रुपए, कक्षा 8 में पहुंचने पर 5 हजार रुपए, कक्षा 10 में पहुंचने पर 7 हजार रुपए और कक्षा 12 में पहुंचने पर 8 हजार रुपए दिए जाएंगे। बेटी के 21 वर्ष की होने पर 2 लाख रुपए दिए जाएंगे। पांचवी योजना के तहत विधवा महिलाओं के लिए योजना विधवा महिलाओं के लिए सरकारी मदद योजना बनाई गई है। इसके अंतर्गत रानी लक्ष्‍मीबाई महिला एवं बाल सम्‍मान कोष के तहत विधवा और ऐसी महिलाओं जिनके पति शराबी हैं और उनका कोई अन्‍य आय स्‍त्रोत नहीं है, की सहायता की जाएगी। अब कहने को तो हैं कि योगी सरकार ने महिलाओं के लिए स्पेशल योजनाएं बनाईं उनका हो हल्ला भी हुआ। सवाल उठता है कि ये हो हल्ला करने से क्या योजनाएं अपने आप पहुंच जाएगी? बहुत लोगों को खासकर महिलाओं को इन योजनाओं के बारे में क्यों नहीं पता? इस तरह से लोगों की राय और विचार जानने के बाद मेरी रिपोर्टिंग कहती है कि योगी सरकार को उत्तर प्रदेश की जनता के लिए पारदर्शिता के साथ कल्याणकारी योजनाओं के साथ काम करना होगा। इन्ही सवालों और विचारों के साथ मैं लेती हूं विदा। अगली बार फिर आउंगी एक मुद्दे के साथ, तब तक के लिए नमस्कार