खबर लहरिया जवानी दीवानी रंग-रूप का भेदभाव, आखिर कब तक? बोलेंगे बुलवाएंगे हंसकर सब कह जाएंगे

रंग-रूप का भेदभाव, आखिर कब तक? बोलेंगे बुलवाएंगे हंसकर सब कह जाएंगे

बोलेंगे बुलाएंगे हंस सब कह जाएंगे। इन्सानों के दो ही रंग होते हैं काला या गोरा। समाज में सबको रंग गोरा ही पसंद है। जो लोग काले होते हैं उनको समाज में परिवार में वो जगह नहीं मिलती जो गोरे लोगों को मिलती है। अगर कोई बहू देखने जाएगा तो उन्हें गोरी बहू चाहिए। काले होने की वजह से रिश्ते वापस हो जातें हैं। काले लोगों को जाने अंजाने में लोग प्रताड़ित करते हैं ये लड़के के साथ भी होता है लेकिन लड़कियां इसकी शिकार ज्यादा होती हैं।
ये भी देखें :
यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें
If you want to support our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our premium product KL Hatke