खबर लहरिया Blog लॉकडाउन में थोड़ी छूट मिलते ही शुरू हो गयी सड़क दुर्घटनाएं

लॉकडाउन में थोड़ी छूट मिलते ही शुरू हो गयी सड़क दुर्घटनाएं

लॉकडाउन में थोड़ी छूट मिलते ही शुरू हो गयी सड़क दुर्घटनाएं : कोविड के चलते लॉकडाउन के चलते सब ठप है हालांकि अब कुछ रूट पर ट्रेन चलने लगी है लेकिन उसके किराए इतने महंगे है जो मज़दूरों के लिए दे पाना मुश्किल है. तभी तो काफी मज़दूर अभी भी पैदल या किसी जुगाड़ू साधनों से जाने को मज़बूर है. लेकिन इसकी भरपाई कुछ मज़दूरों को अपनी जान से चुकाना पड़ रहा है। कई ऐक्सिडेंट से तो और कई भूख से मौत हो गई. अहमदाबाद में ट्रेन दुर्घटना तो आपको याद ही होगा। इसे भूल भी नहीं पाए थे कि एक साथ 3 राज्यों में हुए दुर्घटना में हुए मज़दूरों की मौत ने सबका दिल दहला दिया।

मध्य प्रदेश के गुना में 14 मई की सुबह ट्रक और बस की भीषण टक्कर में 8 प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई है जबकि 54 लोग घायल हुए हैं. हादसे के बाद मौके पर पुलिस और प्रशासन की टीम पहुंच गई है. राहत एवं बचाव कार्य जारी है. घायलों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज किया जा रहा है. बताया जा रहा है कि यह ट्रक महाराष्ट्र से मजदूरों को लेकर उत्तर प्रदेश के लिए निकला था. ट्रक में करीब 70 लोग थे. हादसे के बाद कंटेनर का ड्राइवर फरार हो गया है.इस तरह सड़क दुर्घटनाएं बढ़ने लगी हैं

वहीं, उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फ़रनगर में भी पैदल जा रहे प्रवासी मजदूरों को यूपी रोडवेज की बस ने कुचल दिया है.यह घटना घलौली चेकपोस्ट और रोहाना टोल प्लाजा के पास एक रोडवेज बस ने पैदल जा रहे मजदूरों को कुचल दिया। इस हादसे में 6 मजदूरों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 4 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। इनमें से 2 घायलों को मेरठ रेफर किया गया है। कहा जा रहा है कि ये प्रवासी मजदूर पंजाब से अपने घर बिहार के गोपालगंज लौट रहे थे. यह हादसा 13 मई रात 11 बजे का है.

 

तीसरा हादसा बिहार में हुआ है. इस एक्सीडेंट में 2 मजदूरों की मौत हो गई है. दरअसल समस्तीपुर जिले के उजियारपुर थाना क्षेत्र के शंकरपुर चौक के पास बस और ट्रक की टक्कर हो गई. जिसमें दो मजदूरों की मौत हो गई, जबकि 5 से अधिक घायल हो गए हैं. यह सभी मजदूर मुजफ्फरपुर से कटिहार की ओर जा रहे थे. ये लोग मुंबई से अपने घरों को लौट रहे थे.

 

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शोक जताया है. उन्होंने सड़क दुर्घटनाएं में जो लोग की मृत्यु हुए उन शोक परिजनों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की है. उन्होंने मृतकों के परिवारवालों को 2-2 लाख रुपये और गंभीर रूप से घायलों को 50-50 हजार रूपए की आर्थिक मदद देने का ऐलान किया है
कुछ दिन पहले ही महाराष्ट्र के औरंगाबाद में हुए रेल हादसे में 16 मजदूरों की जान चली गई थी. ये सभी मजदूर पटरी के सहारे अपने घर जा रहे थे. इस घटना के बावजूद सरकार और प्रशासन की आंखें शायद नहीं खुली हैं. वहीं, मजदूर अपने घर जाने की चाहत और उम्मीद को छोड़ना नहीं चाहते. औरंगाबाद से घर वापसी की ओर कदम बढ़ा रहे ये प्रवासी मजदूर 35 किलोमीटर पैदल चले थे, मगर रास्ते में चलते-चलते उन्हें थकावट महसूस हुई और पटरी पर ही झपकी लेने लगे। मगर उन्हें कहां पता था कि उनकी ये झपकी, मौत में बदल जाएगी। 35 किलोमीटर चलने के बाद ये सभी मजदूर पटरी पर ही आराम करने लगे। सुबह करीब सवा पांच बजे के वक्त ये सभी गहरी नींद में सो रहे थे। तभी ट्रेन आती है और इन्हें रौंद डाला।

शोधकर्ताओं के समूह में पब्लिक इंटरेस्ट टेक्नोलॉजिस्ट थेजेश जीएन, सामाजिक कार्यकर्ता और रिसर्चर कनिका शर्मा और जिंदल ग्लोबल स्कूल ऑफ लॉ में सहायक प्रोफेसर अमन शामिल हैं. इस समूह ने विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के जरिये इकट्ठा की गईं सूचनाओं के हवाले से बताया है कि 19 मार्च से लेकर 8 मई के बीच 370 मौतें हुईं, जो लॉकडाउन से जुड़ी हैं. और अब इसमें 16 की संख्या और जुड़ गई ?

हालांकि भारत में कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या 14 मई तक 78 हजार से अधिक हो गई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस बात की जानकारी दी. मंत्रालय ने कहा, “देश में गुरुवार सुबह तक कोविड-19 संक्रमण के 78 हजार 3 मामले सामने आए हैं, जिनमें से 49 हजार 219 लोग अभी भी कोरोना वायरस से संक्रमित हैं. वहीं, 26 हजार 234 लोगों को इलाज के बाद अस्पतालों से छुट्टी दी जा चुकी है और देश में महामारी की चपेट में आए 2 हजार 549 लोगों की मौत हो गई है. इसपर चिंता जताते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन के आपातकालीन मसलों के निदेशक माइकल रयान ने जेनेवा में एक वर्चुएल प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “कोरोना हमारे बीच क्षेत्र विशेष का एक अन्य वायरस बन सकता है और संभव है कि ये कभी ख़त्म ही ना हो.”कोविड-19 की वैक्सीन तैयार करने की कई कोशिशें हो रही हैं. मोटे तौर पर कोविड-19 के लिए कम से कम 100 वैक्सीन बनाने की कोशिशों पर काम चल रहा है. लेकिन दुनिया भर के एक्सपर्ट आशंका जता रहे हैं कि ऐसी कोई वैक्सीन कभी तैयार ही नहीं हो पाएगी। जाने कब इस लॉकडाउन और कोरोना महामारी छुटकारा मिलेगा ? क्या ऐसे ही सड़क दुर्घटनाएं होती रहेंगी और  मज़दूरों की जान जाती रहेगी ?