खबर लहरिया जवानी दीवानी प्याज के जलवे

प्याज के जलवे

आज कल प्याज के अपने ही जलवे हैं हो भी क्यों उसकी पूछ जो इतनी बढ़ गई है. नहीं समझे महंगाई में सबसे ज्यादा गुमान तो प्याज को ही हो चला है. आजकल उसके भाव 80 से 130 तक जो हो चुका है. तभी तो ये राजनीति का मुद्दा बन चुके हैं

आपको 1998 की महंगाई याद है? उस वक्त भी केंद्र में भाजपा की सरकार थी हालाँकि उस वक्त दिल्ली में भी उन्ही का राज था और इसी प्याज ने साहिब सिंह वर्मा के मुख्यमंत्री की कुर्सी छीन सुष्मा स्वराज को दिलाया था. अब विरोधी पार्टी (कांग्रेस ) ने अगली चुनाव में प्याज को ही मोहरा बनाया और चुनाव में जीत भी हासिल की.

हालांकि इस वक्त दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार है लेकिन वो इस महंगाई का ठीकरा केंद्र सरकार के ऊपर ही फोड़ रही है. वैसे सुना है प्याज और राजनीति का साथ काफी पुराना है.

हालांकि उस वक्त मैं पैदा तो नहीं हुई थी लेकिन माँबाप से किस्से जरूर सुने है कि 1980 में भी प्याज महीने हो गए प्याज़़ के दर्शन हुए, महंगाई की मार विक्रेता और ग्राहक दोनों पर ज़ोर की पड़ी है!ने अपनी अकड़ उस वक्त के तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को दिखाई थी.

अरे हाँ ! उस वक्त भी प्याज ने तो इंद्रा गाँधी को सत्ता अपने बल पर ही तो दिलाई थी. तो क्या इस बार भी प्याज ऐसा कुछ कमाल दिखाने वाली है ? इस वक्त प्याज ने सबको इतना रुलाया है कि लोग सड़को पर नारेबाजी के लिए उतर गए है, जगह जगह धरने हो रहे हैं.

  वैसे जनाब इस वक्त सुर्ख़ियों में है तो सोशल मिडिया का अटेंशन क्यों लें ! तभी तो ऐसे मीम वायरल हो रहे है जिसमें प्याज़ अपने अलग अलग पोज और लाइन के साथ दिख रहे हैं जैसे

वैसे आपको बता दें कि सरकार ने तुर्की से 11 हजार टन प्याज़ मंगाया है अब ये हमारे प्याज के जलवे  थोड़े कम हो पाएंगे  या प्याज सत्ता की सरकार, भाई इस बात का तो सबको है बेसब्री से इंतज़ार !