खबर लहरिया Blog मुजफ्फरनगर- मिड-डे मील के खाने में मिला चूहा 9 बच्चे बीमार

मुजफ्फरनगर- मिड-डे मील के खाने में मिला चूहा 9 बच्चे बीमार

मिड-डे मील में कभी चूहे मिल रहे हैं तो कभी छिपकली ऐसे मामले और लोगों की लापरवाही थमने का नाम नहीं ले रहे हैं ऐसा ही एक और मामला मुजफ्फरनगर क्षेत्र में जनता इंटर कॉलेज मुस्तफाबाद पचेंडा का सामने आया है घर से भूखे पेट सुबह से पढ़ाई कर रहे बच्चों के पेट में भूख से चूहे दौड़ रहे थे लेकिन जब 3 दिसंबर को दोपहर में बच्चों को खाना परोसा गया तो मिड-डे मील में मरा हुआ चूहा मिला ऐसी खबर आ रही है कि यह खाना खाने के कारण 9 छात्रों की हालत बिगड़ गई। बच्चों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। ऐसी लापरवाही से क्या बच्चों का पढ़ाई में मन लगेगा? उत्तर प्रदेश: मिर्जापुर स्कूल के मिड-डे मील में नमक-रोटी देने का पर्दाफाश करने वाले पत्रकार के विरूद्ध केस।

जानकारी अनुसार मिड-डे मील के मैन्यू में दाल चावल पकाए गए थे और उसी दाल चावल में चूहे को भी पका दिया गया। खाना खाने के तुरंत बाद एक अध्यापक सहित 9 बच्चों की तबीयत बिगड़ गई। इसकी सूचना मिलने के बाद जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे के आदेश के बाद बीएसए और एसडीएम सदर मौके पर पहुंचे। उन्होंने मामले की जांच पड़ताल की।

घटना के सामने आने के बाद उत्तर-प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट किया कि “उत्तर-प्रदेश में ‘मिड-डे मील’ में व्याप्त भ्रष्टाचार की वजह से कभी दूध में दस गुना पानी मिलाया जा रहा है तो कभी खाने में चूहा मरा मिल रहा है”।  जिस कारण आज मुजफ्फरनगर में 9 बच्चे बीमार हो गए हैं। भाजपा सरकार से आग्रह है कि वो अपना पेट कहीं और से भर ले पर बच्चों के जीवन से न खेले।

ये पहला मामला नहीं है जब मिडडे मील में लापरवाही सामने आई है कभी मेन्यु के हिसाब से खाना नहीं मिलता तो कभी भोजन में छिपकली और चूहे मिलते हैं। हाल ही में बहुचर्चित मिर्ज़ापुर, ब्लाक जमालपुर, गांव हिनौता मजरा शिऊर का प्राथमिक विद्यालय का मामला सामने आया था। जहाँ पर 22 अगस्त 2019 को मिडडे मील में नून रोटी बच्चों को परोसा गया। यह मामला मीडिया में आया और देश के कोने कोने में छा गया। लोगों के हिसाब से डीएम मौके पर जांच किए मामला सही पाए जाने पर हेड मास्टर और सहायक मास्टर समेत शिक्षा विभाग के कई अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया।

ये तो महज उदाहरण है आये दिन ऐसे मामले सामने आते हैं पर क्या सरकार की योजना में लापरवाही पर कभी पूर्णविराम लगेगा या सिर्फ प्रश्नचिन्ह बनकर ही रह जाएगा? आखिर कब तक स्कूली बच्चों की सेहत से खिलवाड़ होता रहेगा?