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विकास के लिए तरसते हैं आज भी लोग

क्रेंद्र सरकार हो या राज्य सरकार विकास के लिए बहुत ही ढिढोरा पिटवाती है की कोई भी व्यक्ती बिना आवास ,पानी ,शिक्षा, स्वास्थ,बिजली और सड़क के लिए तरस नहीं सकता सब को सुविधा मिलेगी सरकार नें बहुत सुविधा की है और विकास के नाम में बहुत पैसा भी है।
पर यह सब सरकार के चोचलें हैं कहीं किसी को सुविधायें नहीं मिलती हैं आज भी चित्रकूट जिले मैं 60प्रतिशत ऐसे लोग हैंजिनके पास किसीभी तरह कीसुविधा नहींं हैं।
मैं बात कर रही हूं मानिकपुर ब्लाकके गढचपा ग्राम पंचायत का पुरवा बडाहार जहां 70 साल से तीन सो आदिवासी परिवार रहते हैं।कई सरकारे आई और गई पर इन आदिवासियों के बारे में किसी ने नहीं सोचा।
यह लोग पानी के लिए पांच किलो मीटर दूर जंगल घुस कर जाते हैं जहां जानवरो का डर होता है।बिजली नाम के लिए एक दो घर में है।  इस गांव में लगभग सौ बच्चे हैं पर स्कूल एक भी नहीं है अगर किसी को पढ़ना है तो पांच किलो मीटर जंगल घुस कर जाना होता है इस वजह से लोग बच्चों को पढा़ नहीं पा रहे हैं। सरकार  क्यों इन गरीबों के बारे में नहीं सोचती ।
कहनें को तो हर एक किलो मीटर में एक प्राथमिक स्कूल होना अनिवार्य है पर शायद इस गांव के बारे में किसी को पता नहीं है इस लिए विकास विहिन है बडा़हार गांव।क्या कभी सरकार इस गांंव की तरफ देखेगी या यह आदिवासी इसी तरह से  विकास के लिए तरसते रहेंगे।लोगों का कहना है कि हम कोल आदिवासी हैं इस लिए हमारे तरफ कोई ध्यान नहीं देती सरकार।
सरकार भी अमीरों के लिए सब कुछ करती है हम लोग रह जाते हैं।