खबर लहरिया क्राइम पति के तेज़ाब पिलाने से हुई मौत के मामले में एक महीने बाद भी नहीं हुई कोई कार्यवाही

पति के तेज़ाब पिलाने से हुई मौत के मामले में एक महीने बाद भी नहीं हुई कोई कार्यवाही

देश में महिलाओं के प्रति होने वाली हिंसा के मामले में बढ़ोत्तरी रोज़ाना हो रही है। हमें आए दिन ख़बरों में बलात्कार, आत्महत्या, महिला की हत्या जैसे मामले सुनने को मिल जाते हैं। इन मामलों के ज़्यादातर कारण या तो दहेज़ से जुड़े होते हैं या फिर समाज की दकियानूसी सोच से। जहाँ कोरोना काल में दुनिया भर में लोग अपनों को सुरक्षित करने में लगे हुए थे वहीँ हमारे देश में इस दौरान महिलाओं के साथ हिंसा के मामले दोगुने हो रहे थे। राष्ट्रीय महिला आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में छह सालों में पहली बार साल 2020 में हिंसा के सबसे अधिक 23,722 मामले दर्ज किए गए।

यह मामले घरेलू हिंसा, ऐसिड अटैक, आत्महत्या आदि से जुड़े थे। लेकिन इन सब के बीच हैरानी की बात तो यह है कि NCW के मुताबिक, सबसे अधिक 11,872 शिकायतें सिर्फ उत्तर प्रदेश से मिलीं। आज हमारा आपको इन मामलों की और ध्यान केंद्रित करने का मकसद एक और ऐसी ही दर्दनाक घटना से रूबरू कराना है। मामला बांदा ज़िले के गाँव पौहार गाँव का है, जहाँ 27 मई को एक 21 साल की महिला को उसके पति ने ज़बरदस्ती दूध में तेज़ाब घोल के पिला दिया। महिला के 3 दिन घर पर ही तड़पने के बाद जब उसके मायके वालों को इस बात की सूचना मिली तो उन लोगों ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया। जहाँ पीड़िता ने पूरी घटना की जानकारी अपने घरवालों को दी। उसके पति ने यह आरोप भी कुबूला और कुछ ही घंटों में महिला ने दम तोड़ दिया।

इस पूरे मामले में अचंभित करने वाली तो यह है कि आरोप क़ुबूलने के बावजूद भी अभी तक पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया है। बांदा के आई पी एस अभिनंदन ने इस मामले में जानकारी देते हुए बताया कि जबतक पोस्टमार्टम की दूसरी रिपोर्ट नहीं आ जाती तब तक पुलिस किसी को भी गिरफ्तार नहीं कर सकती है। उनका कहना है कि दूसरी रिपोर्ट आने के बाद ही इस मामले में आगे कार्यवाही की जाएगी।

पोस्टमार्टम की पहली रिपोर्ट में यह स्पष्ट हुआ है कि महिला के शरीर में ज़हर था लेकिन इसके बावजूद भी पुलिस दूसरी रिपोर्ट आने का इंतज़ार कर रही है। पुलिस का कहना है है कि जब तक दूसरी रिपोर्ट नहीं आती तब तक कोई भी कार्यवाही नहीं हो सकती। ऐसे में सवाल तो यह उठ रहा है कि क्या उस पीड़ित महिला को इन्साफ मिल पाएगा जिसने पति के ज़ुल्मों को सहकर अपनी जान गवां दी? या फिर एक आरोपी को बिना किसी कार्यवाही के यूं ही छोड़ दिया जाएगा?

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