खबर लहरिया जवानी दीवानी कबाड़ से मुन्नीलाल ने किया ऐसा जुगाड़ की आपको भी लगेगा अचम्भा

कबाड़ से मुन्नीलाल ने किया ऐसा जुगाड़ की आपको भी लगेगा अचम्भा

जिला बांदा। यहाँ के सबसे पिछडे इलाका नरैनी ब्लाक के छोटे से गांव कटरा कालिंजर के रहने वाले मुन्नी लाल सैनी ने अपने हुनर और जज्बे के साथ एक ऐसी कला दिखाई जिसको देखकर गांव के तो गांव के आसपास के इलाके और बड़े-बड़े शहरों के लोग उसे उस नाम से पहचानने लगे।

अपनी इस कला से इतना खुश हैं कि उनकी खुशी अपने आप में एक बहुत बड़ी पहचान बना चुकी है। इस खुशी और इस कला को उन्होंने अपने हद में ही सीमित नहीं रखी बल्कि उन्होंने इस कला को आगे भी जीवित रखने के लिए अपने से 10 लोगों को सिखाया है। और साथ ही साथ इसी कला के तहत वह आजीविका मिशन में भी जुड़े और इस मिशन से जुड़ने से उनको यह फायदा हुआ कि दूर-दूर से उनको आर्डर मिलने लगे और वह उन ऑडर को पूरा करके वहां तक पहुंचाते हैं।

मुन्नीलाल बताते हैं कि वह एक अनपढ़ और गरीब परिवार से थे उनके पास ना ही पैसा था और ना ही शिक्षा जिसके कारण वह अपनी जीविका चलाने के लिए असमर्थ महसूस कर रहे थे। उन्होंने एक दिन रात में सोते हुए सोचा कि क्यों ना मैं कुछ ऐसा करूं जिससे पैसा भी ना लगे और उनकी जीवका भी चल सके तब उन्होंने सोचा कि वह कबाड़ की जो भी चीजें होंगी उनको वह ले करके रखेंगे और फिर उनसे एक नई तरह की प्रकृति और कलाएं तैयार करेंगे जो फेमस होंगी।

तब उन्होंने कब्बाड और लकड़ियां बिन कर जंगल से लाते जो और उनसे वह कई तरह की चीजें बनाते हैं जैसे कि पेड़ बनाते हैं आकृतियों को वह एक चित्र के रूप में बनाते हैं और पुराने बर्तन में भी अच्छी डिजाइन बनाते है। इस तरह की चीजें भी बनाते हैं और बेंचते हैं| अब उनको ऑर्डर भी मिलते हैं। जिससे उनकी जीवका भी अच्छे से चलती है। लेकिन हां कुछ चीजें हैं जो बाजार से भी उनको खरीदनी पड़ती हैं तो छोटे-मोटे दामों में मिल जाती हैं और वह लाते हैं जिससे वह अपने परिवार का पालन पोषण बहुत अच्छे से कर रहे हैं वह दोनों पति-पत्नी लगते हैं उनका कहना है कि उनके परिवार में वह दोनों पति-पत्नी ही है और कोई नहीं है।पत्थर को आकर देता ललितपुर का एक कलाकार

जब वह काम करते हैं तो और बाहर से के आडर आते हैं तो 1 दिन में 2 दिन में चीजें नहीं तैयार हो पाती इससे उनकी पत्नी भी उनका काफी सहयोग करती है और साथ में जब कहीं पर सेल में जाते हैं तो साथ में जाते हैं। उनकी काफी पहचान हो गई है। और उन्होंने इस कला का नाम रखा है मैं कालिंजर हूं तो यह बहुत खुशी की बात है और इसको वह बहुत अच्छा महसूस कर रहे हैं कि वह इतना आगे तक पहुंच गए हैं। ये एक सीख लेने वाली बात है कि अगर हमारे पास शिक्षा और पैसा नहीं है तो और भी हम कुछ कर सकते हैं ऐसी बात नहीं कि हमारे पास शिक्षा नहीं है पैसा नहीं है। तो हम कुछ कर नहीं सकते तो यह सीख लोग कलिंजर के मुन्नी लाल सैनी से ले और आगे बढे।