खबर लहरिया Blog मथुरा: शहर में आज हाई अलर्ट, ड्रोन कैमरा से करी जा रही निगरानी

मथुरा: शहर में आज हाई अलर्ट, ड्रोन कैमरा से करी जा रही निगरानी

राज्य सरकार के आदेश पर स्थानीय प्रशासन ने कटरा केशव देव इलाके में तीन लेयर की सुरक्षा भी कर दी है। ये वही क्षेत्र है जहाँ कृष्ण जन्मभूमि मंदिर और शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर विवाद चल रहा है।

Credit: OneIndia Hindi

उत्तर प्रदेश के मथुरा ज़िले में आज तनाव का माहौल है और चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात की गई है। कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के आस-पास के इलाके को भी पुलिस ने पूरी तरह से किले के रूप में तब्दील कर दिया है। सूत्रों के अनुसार पुलिस बिना तलाशी और पूछताछ के किसी को भी मंदिर के अंदर घुंसने नहीं दे रही है। राज्य सरकार के आदेश पर स्थानीय प्रशासन ने कटरा केशव देव इलाके में तीन लेयर की सुरक्षा भी कर दी है। ये वही क्षेत्र है जहाँ कृष्ण जन्मभूमि मंदिर और शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर विवाद चल रहा है।

बता दें कि हाल ही में कुछ दक्षिणपंथी संगठनों की ओर से धमकी दी गई है कि वे आज यानी 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी के मौके पर शाही ईदगाह मस्जिद के अंदर हिंदू रीति-रिवाज से पूजा करने जा रहे हैं और इसके साथ ही वहां मूर्ति भी स्थापित की जाएगी। हिंदू संगठनों के इस ऐलान के बाद से मथुरा में तनाव की स्थिति देखने को मिल रही है और सुरक्षा बलों तैनात किया गया है। कानून/ व्यवस्था एडीजी प्रशांत कुमार ने कहा है कि 6 दिसंबर को परंपरा से हटकर कोई भी आयोजन नहीं किया जाएगा। राज्य में पूर्ण शांति बनाए रखने के लिए सभी क्षेत्रीय संरचनाओं को हाई अलर्ट पर रखा गया है।

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क्या है पूरा मामला-

श्रीकृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह परिसर

चार दक्षिणपंथी संगठन अखिल भारत हिंदू महासभा, श्रीकृष्ण जन्मभूमि निर्माण न्यास, नारायणी सेना और श्रीकृष्ण मुक्ति दल ने दिसंबर की शुरुआत में रीति-रिवाज से शाही ईदगाह मस्जिद में जलाभिषेक कार्यक्रम का ऐलान किया था, एवं भगवान कृष्ण की मूर्ति स्थापित करने की अनुमति मांगी थी। जिससे हालात बिगड़ने का खतरा और बढ़ गया था। हिंदूसंगठनों ने दावा किया है कि जिस जगह पर मस्जिद है, वहीं पर श्री कृष्ण का जन्म हुआ था।

TV9 की एक रिपोर्ट के अनुसार मथुरा के एसएसपी गौरव ग्रोवर ने बताया है कि शहर में शांति बनाए रखने के लिए पुलिस अतिरिक्त समय के लिए भी काम
कर रही है। इसके साथ ही पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्स तैनात है और दोनों पक्षों के बुजुर्गों और धर्मगुरुओं से भी बात की गई है। उन्होंने यह भी बताया कि जो भी माहौल बिगाड़ने की कोशिश करेगा, उसके खिलाफ जीरो टॉलरेंस (शुन्य सहनशक्ति) की नीति अपनाने का आदेश भी जारी कर दिया गया है।

मंदिर-मस्जिद के आसपास कड़ी सुरक्षा के इंतज़ाम-

शाही ईदगाह मस्जिद की तरफ जाने वाले एंट्री प्वाइंट की सुरक्षा की जिम्मेदारी मथुरा के सीओ सिटी को दी गई है। सीओ अभिषेक तिवारी के अनुसार पुलिस द्वारा पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था यहां पर तैनात कर दी गई है। इसके साथ ही ड्रोन कैमरे से भी निगरानी रखी जा रही है। शनिवार को पुलिस लाइन में मॉक ड्रिल भी की गई थी, जिसमें दंगा निरोधक दस्ता की तैयार देखी गई थी। सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए मथुरा के हर मेन प्वाइंट पर फोर्स की तैनात की गई है।

मंदिर-मस्जिद के नाम पर हो रही राजनीति-

उत्तर प्रदेश सरकार में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने हाल ही में मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर को लेकर एक ट्वीट किया था। केशव ने उस ट्ववीट में लिखा था कि अयोध्या काशी भव्य मंदिर निर्माण जारी है, मथुरा की तैयारी है।‘ साथ हीहैशटैग किया- जय श्री राम, जय शिव शंभू, जय श्री राधे-कृष्ण।‘ उनके इस ट्वीट के बाद से उत्तर प्रदेश का राजनीतिक तापमान और बढ़ गया है। उनके इस ट्वीट के पलटवार करते हुए बसपा प्रमुख मायावती ने ट्वीट कर कहा कि केशव प्रसाद मौर्य के उत्तर प्रदेश आगामी विधानसभा चुनाव से पहले दिया गया बयान भाजपा की रणनीतियों को पुख्ता करता है। इनके इस आखिरी हथकण्डे से यानी हिन्दू-मुस्लिम राजनीति से भी जनता को सावधान रहना चाहिए।

कानूनी लड़ाई के लिए तैयार ईदगाह ट्रस्ट-

मथुरा में मौजूद लोगों के अनुसार भी चुनावों में फायदे के लिए कृष्ण जन्मभूमि और ईदगाह मस्जिद के विवाद का फायदा उठाने की कोशिश की जा रही है। शाही ईदगाह ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. जेड हसन ने बताया कि मुसलमानों को डर है कि चुनावों से पहले ये सब बांटने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि वो 5 दशकों से मथुरा में रह रहे हैं और यहां के लोगों ने भगवान कृष्ण और अल्लाह के आशीर्वाद के साथ रहना सीख लिया है।

ईदगाह ट्रस्ट के सदस्यों का कहना है कि वो कानूनी लड़ाई की भी तैयारी कर रहे हैं, क्योंकि 1991 के कानून से मथुरा और काशी अछूती है। 1991 में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार ने एक कानून पास किया गया था जिसकी धारा 4 उन सभी धार्मिक स्थलों को संरक्षण देती है जो 15 अगस्त 1947 तक अस्तित्व में थीं। इसमें काशी और मथुरा भी आते हैं। इस कानून में ये भी प्रावधान है कि कोई भी व्यक्ति इन धार्मिक स्थलों में बदलाव करने के लिए कोर्ट नहीं जा सकता है।

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