3 साल पहले चकबंदी विभाग से उनके गाँव में चकबंदी हुई थी जिसके बाद इस विषय को लेकर ग्रामीण आए दिन कचेहरी, कलेक्ट्रेट, तहसील के चक्कर लगाते रहते हैं पर फिर भी कुछ सुनवाई नहीं होती है।
महोबा ज़िले के तहसील कुलपहाड़ में चकबंदी प्रक्रिया को लेकर पिछले 1 महीने से कुछ किसान और किसान यूनियन के लोग दिनभर धरना प्रदर्शन पर बैठे हुए हैं। किसान राजबहादुर का आरोप है कि उनके कस्बे में पिछले कुछ महीनों से चल रही चकबंदी प्रक्रिया कभी भी रद्द हो जाती है और कभी भी पुनः चालू हो जाती है। इसी को मद्देनज़र रखते हुए इन लोगों ने 1 जुलाई 2021 से यहाँ धरना प्रदर्शन करने की ठानी है।
चकबंदी में घोटाले को लेकर परेशान हैं किसान-
3 साल पहले चकबंदी विभाग से उनके गाँव में चकबंदी हुई थी जिसके बाद इस विषय को लेकर ग्रामीण आए दिन कचेहरी, कलेक्ट्रेट, तहसील के चक्कर लगाते रहते हैं पर फिर भी कुछ सुनवाई नहीं होती है। राजबहादुर ने यह भी बताया है उनके पिता की 7 बीघा ज़मीन के चकबंदी विभाग ने 4 टुकड़े कर दिए हैं।
उनका कहना है कि अब कुछ दबंग लोग ही उनके खेतों में फसल बोते हैं और इन किसानों को फसल का एक हिस्सा भी नहीं देते।
उन्होंने हमें यह भी बताया कि गाँव के ज़्यादातर किसानों को अलग-अलग टुकड़ों में ज़मीन दे दी गई है जहाँ पहाड़ियां हैं और चारों और नाले बने हुए हैं। यह जगहें ऐसी हैं जहाँ न ही खेती ढंग से हो पाती है और न ही ट्रैक्टर चलवाने की सुविधा है।
धरने पर बैठे किसानों का कहना है कि चकबंदी में किसानों के हित में किसी प्रकार की बात नहीं हुई, केवल अधिकारियों के फायदे के लिए चकबंदी प्रक्रिया कराई जा रही है। इन लोगों का कहना है कि ज़मीनों का संशोधन भी सही ढंग से नहीं कराया जा रहा है। और जब ये लोग विभाग में अपनी शिकायत लेकर जाते हैं तब इनकी कोई सुनवाई नहीं होती।
जब तक मांगें पूरी नहीं होंगी तब तक चलेगा धरना प्रदर्शन-
बुंदेलखंड संगठन प्रभारी बाला जी का कहना है कि इन लोगों ने बुंदेलखंड के अलग-अलग क्षेत्रों में किसानों से बातचीत करके पता लगाया है कि यहाँ चकबंदी के काम में कई तरह की धोखाधड़ी हो रही है। कुलपहाड़ स्थित फैक्ट्रियों में भी गलत प्रक्रिया से काम हो रहा है, जिसको लेकर आए दिन संगठन के लोग विभाग के चक्कर काटते हैं लेकिन आज तक यहाँ आने का कोई फायदा नहीं हुआ है।
इसी मामले को मद्देनज़र रखते हुए इन लोगों ने ठान लिया है कि जब तक किसानों की समस्या पूरी नहीं होगी, तब तक ये लोग कुलपहाड़ तहसील में धरना प्रदर्शन करते रहेंगे। बाला जी की मानें तो यहां मौजूद अधिकारी भी आंख मूंद कर बैठे हुए हैं।
लोगों ने बताया कि पिछले एक महीने से चल रहे इस धरना प्रदर्शन में पहले तो ये लोग टेंट के कुछ कपड़े और चांदनी डाल कर बैठे थे पर लेकिन पिछले एक हफ्ते से हो रही लगातार बारिश में इन लोगों ने अब पन्नी डालकर मढ़इया बना ली है। ये लोग तब तक यहाँ बैठे रहेंगे जबतक इनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं।
इन लोगों का कहना है कि धरना प्रदर्शन में अबतक ये लोग 30 हज़ार से ऊपर की रकम खर्च कर चुके हैं। और 40 हज़ार से ऊपर का खर्चा खान-पान में हो चुका है। यह सारा खर्च बुंदेलखंड किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विमल शर्मा कर रहे हैं।
किसानों ने हमें यह भी बताया कि जिनके पास कोई ज़मीन नहीं थी, उन्हें तो ज़मीन मिल गई और इन किसानों को भूमिहीन कर दिया गया, या फिर कम ज़मीन देकर इधर-उधर कर दिया गया। जो भूमि धरी ज़मीनें थीं उनके पास कुँए भी बने हुए थे वो ज़मीनें भी विभाग ने हड़प ली हैं।
घूंस मांग रहे हैं अधिकारी-
गाँव मार्ग पूरा के रहने वाले राहुल ने बताया कि वो पिछले 2 साल से बराबर कलक्ट्रेट के चक्कर लगा रहे हैं और कई बार तो डीएम को भी दरखास दी है, लेकिन कहीं से कोई सुनवाई नहीं हुई है। उनका कहना है कि चकबंदी विभाग के अधिकारी ने उनके मूल चेक को उड़ान चेक में बदल दिया है। राहुल ने बताया कि उन्हें जिस जगह पर ज़मीन दी गई है वहां सिर्फ पत्थर ही पत्थर हैं जिससे वहां खेती-किसानी कर पाना नामुमकिन है।
यही नहीं चकबंदी विभाग के सीईओ ने जिन लोगों से पैसा लिए थे, उन लोगों की पहाड़ियों में ज़मीन थी और अब उन्हें उपजाऊ ज़मीन मिल गई है और इन लोगों को पहाड़ियों में ज़मीन दे दी गई है। जब इन लोगों ने चकबंदी विभाग के सीईओ से इस बारे में बात की, तो उन्होंने 50 हज़ार रूपए की मांग कर दी।
राहुल ने सीईओ का घूंस मांगते हुए ऑडियो बना कर भी वायरल किया लेकिन फिर भी इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं हुई, न ही सीईओ के खिलाफ कोई एक्शन लिया गया।
महोबा में चल रही इस चकबंदी के दायरे में करीब 20 से 25 गाँव आते हैं जहाँ पिछले 3 सालों से यह प्रक्रिया चल रही है। कुलपहाड़ में चकबंदी के दायरे में आने वाले गावों के नाम हैं सुगिरा, दुआसी, चारूवा, खिरिया, महेवा, कोटरा, मार्ग पूरा।
चकबंदी सीईओ ने 2 महीने पहले भी किसानों को बुलाकर नगर पंचायत कुलपहाड़ में खुली बैठक की थी , जिसमें सभी किसानों को उनके हक़ की ज़मीन देने की बात तो कही गई थी, लेकिन 2 महीने बाद भी इस प्रक्रिया में कोई सुधार नहीं हुआ है।
कुलपहाड़ तहसीलदार सुबोध मणि से जब हमने धरना प्रदर्शन के बारे में बात की तो उन्होंने बताया कि धरना प्रदर्शन में बैठे किसानों के लुए कई व्यवस्थाएं की गई हैं। उनका मानना है कि किसान यूनियन के तहसील में आकर बैठने से वो उनकी किसी प्रकार से मदद नहीं कर पाएंगे। लोगों को शांत दिमाग से काम करना चाहिए। उन्होंने डीएम से भी इस मामले का निस्तारण कर दिया है और चकबंदी भी सुचारू रूप से हो चुकी है। सुबोध का कहना है कि ये लोग आगे भी चाहें तो महीनों यहाँ बैठे रह सकते हैं लेकिन वो लोग अपना ही समय बरबाद कर रहे हैं।
इस खबर को खबर लहरिया के लिए श्यामकली द्वारा रिपोर्ट किया गया है।
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