असम की रहने वाली रहीमा बेगम को कुछ अफसरों की चूक के कारण बांग्लादेश भेज दिया गया। उन्हें ना तो बांग्लादेश अपनाने को तैयार था और ना ही भारत वापस लाने के लिए। कई मुसीबतों का सामना करने के बाद वे अपने घर वापस पहुंच गई हैं।
लेखन- रचना
असम में एक महिला, रहीमा बेगम, को बांग्लादेश से भारत लाने का मामला हाल ही में चर्चा में आया है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा का कहना है कि असम में जितने भी लोगों को विदेशी घोषित किया गया है उन्होंने वापस बांग्लादेश भेजा जा रहा है। इसलिए असम में इन दिनों नागरिकता के लिए कट ऑफ डेट की तारीख को लेकर फिर से होड़ शुरू हो गया है, और इसी से सम्बंधित असम की एक महिला रहिमा बेगम को सुरक्षा बलों ने जबरन बांग्लादेश के सीमा में धकेल दिया और फिर बाद में सच्चाई सामने आने पर उन्हें वापस भारत ले आए। लेकिन उस दौरान रहिमा बेगम ने कई दर्दनाक मुश्किलों का सामना किया।
रहीमा बेगम के साथ क्या हुआ
जनसत्ता के रिपोर्ट के अनुसार असम पुलिस 25 मई 2025 की सुबह चार बजे के आसपास रहीमा बेगम के घर पहुंच जाती है आर फिर उन्हें थाना पहुंचने को कहा गया। कुछ समय बाद रहिमा बेगम थाना पहुंची तो उन्हें कुछ और अंजान लोगों के साथ दिन भर थाने में बैठाया गया। फिर देर रात कार में बैठा कर बांग्लादेश के बॉर्डर पर ले जाया गया। रहीमा बेगम ने अपने बयान में बताया कि सुरक्षा बलों ने उन्हें कुछ बांग्लादेशी रूपये दिए और कहा कि अब वापस मत आना। फिर जब वे लोग सीमा के उस पार पहुंचे तो उन्हें कई खेत दिखे और वहां घुटने के आते तक के कीचड़ भरे हुए थे, पानी भरा हुआ था। रहीमा ने आगे बताया कि वे लोग चलते कुछ गांव में पहुंचे जहां उन्हें गांव से भगा दिया गया। इतना ही नहीं रहीमा बेगम का कहना है कि बांग्लादेश के सुरक्षा बलों द्वारा उनके साथ मारपीट भी किया गया और कहा कि वे वहां से चले जाएँ।दो दिन तक वह धान के खेत में एक भूख-प्यास से बेहाल खड़ी रहीं।
रहीमा बेगम पूरे दिन खेत में खड़ी रही
रहिमा कहती हैं, ‘हमने पूरा दिन धान के खेत में बिताया, वहीं का गंदा पानी पीया, क्योंकि कहीं और जा नहीं सकते थे क्यों कि कोई हमने अपनाने को तैयार ही नहीं था। गुरुवार शाम भारतीय सुरक्षा बलों ने हमें वापस बुलाया, बांग्लादेशी करेंसी वापस ली और मुझे कोकराझार ले गए. फिर गोलाघाट लाया गया। रहिमा बताती हैं “मैं नहीं जानती की मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ, मेरे पास मेरे सभी कागजात हैं। मैंने दो साल से अधिक वक्त तक केस लड़ा है” रहीमा के पति को बुलाया गया और उन्हें थाने से ले गए।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, रहिमा के पति मलेक अली ने बताया कि शुक्रवार को दोपहर उन्हें फोन आया कि वह रहिमा को गोलाघाट से ले जाएं। “हमारे दो बच्चे मां को उस रात ले जाते हुए देख रहे थे, लेकिन हमें नहीं बताया गया कि वह कहां हैं”
कौन सी चूक ने रहीमा को भेजा बांग्लादेश
न्यूज़ 18 के रिपोर्टिंग के मुताबिक, उनकी वकील लिपिका देब बताती हैं कि जोरहट एफटी ने उन्हें ‘पोस्ट स्ट्रीम’ कैटेगरी में रखा था, जिसका अर्थ है कि वे 1 जनवरी 1966 से 25 मार्च 1971 के बीच भारत आईं और उसके बाद से असम में सामान्य रूप से रह रही हैं। कानून के अनुसार, ऐसी स्थिति में व्यक्ति को 10 साल तक वोटर लिस्ट से हटाया जाता है, लेकिन उसके बाकी अधिकार और दायित्व एक भारतीय नागरिक जैसे ही रहते हैं। 10 साल बाद वह पूर्ण भारतीय नागरिक माने जाते हैं।
क्या है पोस्ट-स्ट्रीम ?
इस शब्दों का इस्तेमाल ऐसे लोगों के लिए किया जाता है जो भारत में 1 जनवरी से 1966 25 मार्च 1971 के बीच आए थे और उसके बाद वे असम में ही रह रहे थे।
एक भूल के वजह से ना जाने रहीमा को कितने ही मुश्किलों के सामना करना पड़ा। सवाल ये है कि किसी के नाम या पहनावे से दोषी ठहराना गलत साबित हो सकता है जो की हुआ। सवाल है की जो कानून और नियम बने हुए हैं उसे क्यों नहीं फोलो किया जाता ? ऐसे ही कितने खबरों में आम लोगों को कई मुसीबतें झेलनी पड़ती हैं। ख़ैर रहिमा बेगम को घर वापस ला लिया गया है।
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