खबर लहरिया औरतें काम पर महोबा: माहवारी में कपड़े का इस्तेमाल कहीं कर न दे इन्हें बीमार

महोबा: माहवारी में कपड़े का इस्तेमाल कहीं कर न दे इन्हें बीमार

महोबा: माहवारी में कपड़े का इस्तेमाल कहीं कर न दे इन्हें बीमार :सरकार समय-समय पर कुछ ना कुछ योजना लागू करती रहती है चाहे वह स्वस्थ को लेकर हो यह सुविधाओं को लेकर पर कुछ समय बाद यह योजनाएं कागज तक ही सीमित रह जाती हैं जी हां हम बात कर रहे हैं किशोरियों के सेनेटरी पैड वितरण वाली योजना को लेकर जिसमें सरकार ने कुछ समय पहले लागू किया था कि गांव में इनाम और आंगनवाड़ियों के द्वारा किशोरियों को फ्री में सेनेटरी पैड का वितरण किया जाएगा जिसमें माहवारी के समय होने वाली परेशानियों से निपटा जा सके पर अब यह योजना गायब थी हो गई है इस योजना के बारे में हमको भी कोई जानकारी नहीं है लड़कियों को तो कभी सेनेटरी पैड मिले ही नहीं।

मामला महोबा जिला के कबरई ब्लाक गांव गहरा का है जहां पर हमने कुछ किशोरियों से बात की और उनसे माहवारी के समय होने वाली दिक्कत और सेनेटरी पैड के बारे में जानकारी लें लड़कियों ने बताया कि उन्हें कभी भी सेनेटरी पैड नहीं मिले हैं वह हमेशा कपड़ों का इस्तेमाल करती हैं जिससे कई तरह का दिक्कतों का सामना करना पड़ता है जैसे गंदे कपड़ों को कहां फेंका जाए या उनको कहां सुखाया जाए।

इस पूरे मामले को लेकर जब हमने गहरा गांव की एएनएम दीपा से बात की तो उन्होंने पहले तो अपनी बात में कहा कि मार्च के महीने में सेनेटरी पैड का वितरण करवाया गया है।जब हमने आकड़ो की बात की तो उन्होंने इस जानकारी के बारे में कुछ ना बताने की बात कही। उन्हें इस गांव में 7 महीना हो गए नौकरी करते पर आज तक सेनेटरी पैड नहीं मिले, ना ही उन्होंने वितरण करवाया है।

इस मामले को लेकर जब हमने कबरई के समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अधीक्षक जी.आर. रतमेले से बात की तो उन्होंने अपनी बात में लंबी चौड़ी कही। उन्होंने कहा कि गांव में किशोरियों के लिए कोई सेनेटरी पैड नहीं आते हैं। स्कूलों के लिए आते हैं, जो हम वितरण करते हैं, जब हमने इस लॉक डाउन में स्कूल बंद होने की बात कही तो उन्होंने कहा कि जुलाई में ही लड़कियों की स्कूल से लिस्ट मंगा ली जाती है और एक साथ सेनेटरी पैड स्कूलों में भिजवा दिए जाते हैं, अब इन बातों से साफ समझ में आ रहा है की योजना कहां है और किस हद तक लागू है। एएनएम के पास किशोरियों के लिए कभी सेनेटरी पैड आए नहीं। लड़कियों को मिले नहीं तो फिर जुलाई वाला स्ट्रोक कहां गया। यह एक बड़ा सवाल सरकार की योजना पर खड़ा हो रहा है