खबर लहरिया जवानी दीवानी कटाई के बाद खेतों में शीला बीनते बच्चों को देख बचपन याद आना लाज़मी है

कटाई के बाद खेतों में शीला बीनते बच्चों को देख बचपन याद आना लाज़मी है

कटाई के बाद खेतों में शीला बीनते बच्चों को देख बचपन याद आना लाज़मी है :छोटे बच्चे बिनते शीला और अपना मनपसंद की चीज इस समय बहुत रुचि के साथ खा रहे हैं जिला महोबा ब्लाक जैतपुर गांव कमरपुरा कोतवाली कुलपहाड़ तहसील कुलपहाड़ जहां के छोटे बच्चों का कहना है कि हम लोगों को इस मार्च के महीने बहुत अच्छा लगता है जैसे कटाई शुरुआत होती है वैसे हम हर खेत जाते हैं तो अच्छा लगता है हमारा मन कहता है कि हम शीला क्यों ना बोले जिससे हमारे खाने की चीजें भी मिलेंगे हम दिन भर शीला बनते हैं जिससे 1 किलो आधा किलो गेहूं चना दिल देते हैं और रात में शीला को टूटते हैं कूट के दुख दुकान ले जाते हैं जिससे कि हमारा जो भी मन करता है खाने के लिए वह हम लेते पेठा टॉप नमकीन इस तरह की चीजें ज्यादा खाते हैं उन्होंने बताया है कि मम्मी पापा तो पैसा देते भी नहीं हैं जो देते हैं तो उनके भी पैसों से खाते हैं और अपना शीला बेन लाते हैं उसको भी बेच लेते हैं और उसमें भी चीज खाते हैं कुछ लड़कियों ने बताया है कि मम्मी पापा तो मना ही करते हैं कि धूप में ना जाइए लेकिन हम लोगों को धूप लगती ही नहीं है जब 4 लोग इकट्ठा हो जाते हैं और चना गेहूं खेतों में दिखता है पढ़ा हुआ तो हमें नहीं लगता हम भी ने में लग जाते हैं कुछ बच्चे ने यह भी बताएं कि धूप तो लगती ही है लेकिन अगर चीज खाना है तो हमें सिला ही बिन जीना पड़ेगा इसलिए हम चार चार लोग इकट्ठा होकर एक 1 किलो यादव 2 किलोमीटर दूर खेतों में जाकर शीला मिलते हैं