खबर लहरिया Blog भारत की जुडोको सुशीला देवी ने बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में जीता सिल्वर मेडल

भारत की जुडोको सुशीला देवी ने बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में जीता सिल्वर मेडल

सुशीला देवी लिक्माबाम ने सोमवार, 1 अगस्त 2022 को जुडो में भारत को 7वां पदक दिलवाया। सुशीला ने Women’s Judo 48 किलो फाइनल्स में अपना सिल्वर मेडल जीता।

                                                                                                               credit – north east live

बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारत की सुशीला देवी लिक्माबाम ने सोमवार, 1 अगस्त 2022 को जुडो में भारत को 7वां पदक दिलवाया। सुशीला ने Women’s Judo 48 किलो फाइनल्स में अपना सिल्वर मेडल जीता। इसके साथ ही सुशीला जुडो में भारत की सबसे सफल खिलाड़ी बन गयी हैं। बता दें, अभी तक भारत बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में 13 पदक जीत चुका है।

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इन लोगों को हराकर सुशीला ने जीता मेडल

                                                                            credit – AFP

भारत को मेडल दिलाने के लिए सुशीला ने पहले हेरिएट बॉनफेस (Harriet Bonface) को हराया और क्वार्टरफाइनल में पहुंची। वहीं दूसरे राउंड में उन्होंने मॉरिशस के प्रिसिल्ला मोरांड (Priscilla Morand) को हराकर सिल्वर मेडल अपने नाम किया। अपनी जीत के लिए 27 साल की जुडोका सुशीला देवी ने मोरांड को ‘इप्‍पों’ का दांव खेलकर हराया।

आपको बता दें, ‘इप्‍पों’ ऐसा दांव है, जहां प्रतियोगी अपने विरोधी को मैट पर दम और गति के साथ गिराता है ताकि विरोधी अपनी पीठ के बल पर गिरे। इप्‍पों तब भी दिया जाता है जब प्रतियोगी अपने विराधी को पकड़कर नीचे 20 सेकेंड तक गिराए रखे या फिर विरोधी हार मान ले।

सुशीला ने बचपन से ली जुडो की ट्रेनिंग

                                                                                                                     Source – Sentinel Assam

सुशीला देवी लिक्माबाम का जन्म 1 फ़रवरी, 1995 मणिपुर में हुआ था। जुडो सुशीला के परिवार में काफ़ी पहले से है। जुडो उन्होंने अपने अंकल दिनित लिक्माबाम से सीखा था। सुशीला के अंकल दिनित लिक्माबाम एक इंटरनेशनल जुडो खिलाड़ी हैं।

Scoop Whoop हिंदी की प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, उसके अंकल उसके बड़े भाई शिलाक्षी सिंह को स्पोर्ट्स खेलने के लिए प्रेरित करते थे। जब भी उसका भाई कहीं जाता तो वह भी उसका पीछा करती। सुशीला के भाई शिलाक्षी ने पास के Sports Authority of India (SAI) सेंटर में जूडो क्लास के लिए दाख़िला कराया। इसके बाद सुशीला भी अपने भाई शिलाक्षी के साथ 10 किलोमीटर साइकिल पर रोज़ जाया करती थीं।

SAI में अपनी ट्रेनिंग के दौरान सुशीला ने अपनी लगन और अपने जज़्बे से सबको हैरान कर दिया। इसके बाद उन्होंने साबित्री चानू के साथ ट्रेनिंग भी ली थी। उनसे ट्रेनिंग लेने के बाद वह पटियाला के National Centre of Excellence में गईं। वहां जाने के बाद उन्होंने यह मन बना लिया कि उन्हें स्पोर्ट्स को ही अपने करियर के रूप में चुनना है।

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इंटरनेशनल डेब्यू में ही सुशीला ने जीता था गोल्ड मेडल

सुशीला ने अपना इंटरनेशनल डेब्यू कॉमनवेल्थ जूनियर चैंपियनशिप 2010 के ज़रिये किया था। अपने पहले ही मैच में उन्होंने 48kg डिवीज़न में गोल्ड मेडल हासिल कर लिया। इसके बाद उन्हें पटियाला नेताजी सुभाष नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ स्पोर्ट्स में रिलोकेट यानि ट्रांसफर कर दिया गया। साल 2010 से 2017 तक उन्होंने जीवन शर्मा से जुडो की ट्रेनिंग ली थी।

2018 में स्पोर्ट्स छोड़ने का बना लिया था मन

सुशीला के जीवन में एक ऐसा पड़ाव आया जब उन्होंने जुडो को छोड़ने का मन बना लिया। यह समय था साल 2018 का। एक मुकाबले के बाद उन्हें हैमस्ट्रिंग यानी मांसपेशियों में चोट लग गयी थी। इसका परिणाम यह हुआ कि वह 7 महीने तक बेड से नहीं उठ पाई और एशियन गेम्स (Asian Games) के ट्रायल में हार गयीं। Scoop Whoop हिंदी की प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा,

“मैं बिखर गयी थी, मुझे लगा मेरे जूडो का करियर ख़त्म हो गया है। मेरा लक्ष्य Asian Games को क्वालीफ़ाई करके Olympics के लिए तैयारी करने का था। मेरा दिल टूट गया था और मैं 3 महीने के लिए अपने घर चली गई थी।”

सुशीला द्वारा जीते गए अन्य मेडल्स

                                      Photo Credit: Dean Mouhtaropoulos ( साल 2022 में सुशीला द्वारा बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में जीता गया मेडल )

सुशीला ने साल 2014 में गलस्गो (Glasgow) में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में 48kg डिवीज़न में सिल्वर मेडल जीता। इसके बाद फिर उन्होंने साल 2019 में Asian Open (Hong Kong) में भी सिल्वर मेडल जीता। इसके साथ ही उसी साल में सुशीला ने साउथ एशियन गेम्स (South Asian Games) में गोल्ड मेडल हासिल किया।

यह भी बता दें कि 2017 में सुशीला मणिपुर पुलिस में भी भर्ती हुई थी। पुलिस में भर्ती होने से पहले ही वह 2014 में कॉमनवेल्थ गेम्स में मेडल जीत चुकी थी। इस दौरान उन्होंने कई मौके भी छोड़े। फिर वह टोक्यो ओलंपिक्स 2020 (Tokyo Olympics 2020 ) में क्वालीफ़ाई हो गयी। इसी के साथ ही वह भारत की अकेली जुडो प्रतिभागी बनी। लेकिन वह पहले ही राउंड में बाहर हो गयी थीं।

भारत की जुडोको सुशीला देवी लिक्माबाम कई महिला खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं जिसने जीवन में मुश्किल पड़ावों के आने के बाद उनसे लड़कर आगे बढ़ना सीखा। इन प्रेरणाओं में सिर्फ एक नाम नहीं बल्कि मीराबाई चानू, मैरी कॉम, पीवी सिंधु इत्यादि नाम शामिल हैं।

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