खबर लहरिया ताजा खबरें किसान आंदोलन को लेकर आज भारत बंद: सुनिए ब्यूरो चीफ को राजनीति, रस, राय में

किसान आंदोलन को लेकर आज भारत बंद: सुनिए ब्यूरो चीफ को राजनीति, रस, राय में

नमस्कार दोस्तों, मैं हूं मीरा देवी, खबर लहरिया की ब्यूरो चीफ। मेरे शो राजनीति रस राय में आपका बहुत-बहुत स्वागत है। किसान आंदोलन को लेकर आज भारत बंद है। साथियों आइये इस शो के माध्यम से कृषि विधेयक 2020 के तीन बिलों को लेकर हो रहे किसान आंदोलन को लेकर चर्चा करें और समझने की कोशिश करें कि किसान क्यों उग्र रूप से आंदोलित है और इनके समर्थन में ज्यादातर लोग समर्थन कर रहे हैं। सबसे पहले बात करते हैं कि किसान आंदोलन क्यों कर रहे हैं।

ये भी पढ़िए : किसान आंदोलन को लेकर देर रात चली मंत्रियों की उच्चस्तरीय बैठक, दिल्ली-यूपी, गाज़ीपुर बॉर्डर बंद

केन्द्र सरकार सितंबर महीने में 3 नए कृषि विधेयक ला आई थी, जिन पर राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद वे अब कानून बन चुके हैं. लेकिन किसानों को ये कानून रास नहीं आ रहे हैं. किसानों का कहना है कि इन कानूनों से किसानों को नुकसान और निजी खरीदारों व बड़े कॉरपोरेट घरानों को फायदा होगा. इसके साथ किसानों को फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म हो जाने का भी डर सता रहा है।

किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020: इसका उद्देश्य विभिन्न राज्य विधानसभाओं द्वारा गठित कृषि उपज विपणन समितियों (एपीएमसी) द्वारा विनियमित मंडियों के बाहर कृषि उपज की बिक्री की अनुमति देना है। सरकार का कहना है कि किसान इस कानून के जरिये अब एपीएमसी मंडियों के बाहर भी अपनी उपज को ऊंचे दामों पर बेच पाएंगे. निजी खरीदारों से बेहतर दाम प्राप्त कर पाएंगे। लेकिन, सरकार ने इस कानून के जरिये एपीएमसी मंडियों को एक सीमा में बांध दिया है।

एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस मार्केट कमेटी (APMC) के स्वामित्व वाले अनाज बाजार (मंडियों) को उन बिलों में शामिल नहीं किया गया है. इसके जरिये बड़े कॉर्पोरेट खरीदारों को खुली छूट दी गई है. बिना किसी पंजीकरण और बिना किसी कानून के दायरे में आए हुए वे किसानों की उपज खरीद-बेच सकते हैं। किसानों को यह भी डर है कि सरकार धीरे-धीरे न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म कर सकती है, जिस पर सरकार किसानों से अनाज खरीदती है. लेकिन केंद्र सरकार साफ कर चुकी है कि एमएसपी खत्म नहीं किया जाएगा।

ये भी पढ़िए :सरकार ने किसान आंदोलन के बाद फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया, मेट्रो को मिली हरी झंडी 

इस कानून का उद्देश्य अनुबंध खेती यानी कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की इजाजत देना है. आप की जमीन को एक निश्चित राशि पर एक पूंजीपति या ठेकेदार किराये पर लेगा और अपने हिसाब से फसल का उत्पादन कर बाजार में बेचेगा। किसान इस कानून का पुरजोर विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि फसल की कीमत तय करने व विवाद की स्थिति का बड़ी कंपनियां लाभ उठाने का प्रयास करेंगी और छोटे किसानों के साथ समझौता नहीं करेंगी। यह कानून अनाज, दालों, आलू, प्याज और खाद्य तिलहन जैसे खाद्य पदार्थों के उत्पादन, आपूर्ति, वितरण को विनियमित करता है |

यानी इस तरह के खाद्य पदार्थ आवश्यक वस्तु की सूची से बाहर करने का प्रावधान है. इसके बाद युद्ध व प्राकृतिक आपदा जैसी आपात स्थितियों को छोड़कर भंडारण की कोई सीमा नहीं रह जाएगी। आंदोलनकारी किसान संगठन केंद्र सरकार से तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं और इनकी जगह किसानों के साथ बातचीत कर नए कानून लाने को कह रहे हैं। हालांकि इस आंदोलन को लेकर समर्थन या असमर्थन दोनों तरह के मत पेश किए जा रहे हैं।

अगर इस मुद्दे को लेकर सोशल मीडिया की बात की जाए तो किसानों के ऊपर कई तरह के आरोप भी लगाए गए हैं। कोई कह रहा है कि यह राजनीति खेलने वाले विपक्ष पार्टी के लोग हैं। कोई कह रहा है इनको सरकार के खिलाफ भड़का दिया गया है। यह किसान नहीं हो सकते जो बड़ी बड़ी गाड़ियों से आ रहे हैं अच्छे कपड़े पहने हैं। हालांकि बहुत लोगों ने इसका खंडन करते हुए कहा कि किसानों के प्रति लोगों की ऐसी छवि क्यों बनी हुई है। क्या किसान अच्छा खाना,अच्छे कपड़े और अच्छी गाड़िया नहीं रख सकता है।

एक तबके की और बात करें वह है फिल्मी दुनिया के लोग। बहुत लोग समर्थन में हैं चाहे वह क्रिकेट खिलाड़ी युवराज हों या फिर गायक हो। यहां तक कि लोक गायक बिहार की नेहा सिंह राठौर भी लेकिन कुछ एक्टर भी इस आंदोलन की विरोध कर रहे हैं। जैसे कंगना रनौत की बात की जाय तो वह किसान आंदोलन में बैठी 88 वर्षीय महिंदर कौर को सौ रुपये में बैठने वाली दादी कहा। खैर दादी से इसका जवाब कंगना रनौत को मिल गया है। बुंदेलखंड किसान और कृषि आपदाओं के लिए जाना जाता है।

ये भी पढ़िए :मजदूर-किसान आत्महत्या करने को मजबूर 

जब देश के कोने कोने से किसानों को एक दूसरे का साथ मिल गया है तो निश्चित ही यह लड़ाई आर पार की है। साथियों इन्हीं विचारों के साथ मैं लेती हूं विदा, अगली बार फिर आउंगी एक नए मुद्दे के साथ। अगर ये चर्चा पसन्द आई हो तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करें। लाइक और कमेंट करें। अगर आप हमारे चैनल पर नए हैं तो चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें। बेल आइकॉन दबाना बिल्कुल न भूलें ताकि सबसे पहले हर वीडियो का नोटिफिकेशन आप तक सबसे पहले पहुंचे। अभी के लिए बस इतना ही, सबको नमस्कार!