खबर लहरिया Blog किसान आंदोलन को लेकर देर रात चली मंत्रियों की उच्चस्तरीय बैठक, दिल्ली-यूपी, गाज़ीपुर बॉर्डर बंद

किसान आंदोलन को लेकर देर रात चली मंत्रियों की उच्चस्तरीय बैठक, दिल्ली-यूपी, गाज़ीपुर बॉर्डर बंद

आज 30 नवंबर की सुबह को पुलिस ने गाज़ीपुर यानी दिल्लीयूपी बॉर्डर और दिल्लीगाज़ियाबाद के सिंधु बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर को बैरीकेड लगाकर पूरी तरह से बंद कर दिया है। ताकि किसान इन बॉर्डर्स का घेराव ना कर सकें।केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित कृषि विधेयक कानून के खिलाफ किसान तकरीबन एक हफ़्ते से दिल्ली में आंदोलन कर रहे हैं। सारे किसान विरोध प्रकट करते हुए दिल्ली की सड़को पर उतर आये हैं और बहुतसी जगहों को जाम भी कर दिया है। जिसे देखते हुए पुलिस द्वारा यह कदम उठाया गया।

रविवार रात मंत्रियों ने की बैठक

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किसानों के बढ़ते विरोध और आंदोलन को देखते हुए रविवार 29 नवंबर की रात को  भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मिलकर एक उच्च स्तरीय बैठक की। जिसमें किसानों के मामलों और विरोध के बारे में चर्चा की गयी। हालाँकि, बैठक की कोई भी बात स्पष्ट रूप से सामने नहीं आयी हैं। 

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आवाजाही के लिए यह रास्ते हैं खुले

दिल्ली पुलिस के अनुसार हरियाणा जाने के लिए झारोदा, धानसा, दरौला, झाटीखेड़ा, बादुसरी, कपासहेड़ा, रजोकरी NH-8, बिजवासन, पालम विहार और डूंडाहेड़ा बॉर्डर खुले हैं। इसके आलावा  पुलिस का यह भी कहना है कि लोग आनेजाने के वैकल्पिक रास्ते तलाश करें। साथ ही ट्रैफिक को मकरबा चौक से जीटीबी रोड पर शिफ्ट कर दिया गया है। साथ ही लोगों से यह भी अपील की गयी है कि जाम से बचने के लिए लोग सिग्नेचर ब्रिज से रोहिणी और रोहिणी से सिग्नेचर ब्रिज और जीटीके रोड, एनएच 44 और सिंघू बॉर्डर से ने आएं। 

केंद्र सरकार से बातचीत का प्रस्ताव किया खारिज़

दिल्ली आये किसानों को दिल्ली सरकार ने बुराड़ी के निरंकारी ग्राउंड तक आने और रहने की सहमति दी थी। 28 नवंबर शनिवार को केंद्र सरकार द्वारा किसानों से बातचीत करने का प्रस्ताव रखा गया था, जिसे किसानों द्वारा नामंज़ूर कर दिया गया। पंजाब भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष सुरजीत एस फूल ने कहा कि  केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा रखी गई शर्त हमें स्वीकार नहीं है। हम कोई सशर्त बातचीत नहीं करेंगे। हम सरकार के प्रस्ताव को अस्वीकार करते हैं। घेराव खत्म नहीं होगा। हम दिल्ली में प्रवेश के सभी पांच रास्तों को बंद करेंगे।उन्होंने कहा, ‘बातचीत के लिए शर्त किसानों का अपमान है। हम कभी बुराड़ी नहीं जाएंगे। वह पार्क नहीं है बल्कि खुली जेल है।‘  

किसान नेता योगेंद्र यादव का यह है कहना

किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि किसान संगठन बातचीत के लिए सरकार की किसी भी शर्त को मानने के लिए तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि सरकार किसानों के साथ खुले मन से बातचीत करना चाहती हैं और कृषि सुधार कानूनों का कृषि उत्पादों के न्यूनतम समर्थन मूल्य ( एमएस पी) से कोई लेना देना नहीं है। सरकार ने किसान संगठनों को तीन दिसंबर तक बातचीत करने का आमंत्रण दिया है।

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बीते दिनों और जब से तीन कृषि विधेयक लागू हुए हैं, तब से ही कई किसानों द्वारा कृषि कानूनों का पुरज़ोर विरोध किया जा रहा है। किसानों की सरकार से मांग है कि वह कृषि कानूनों को वापस ले। जिसकी वजह से ही किसानों द्वारा दिल्ली में आंदोलन किया जा रहा है। वहीं सरकार का यह कहना है कि विधेयक से किसी किसान को कोई नुकसान नहीं। हालांकि, सरकार अभी तक किसानों से इस मामले में सीधे तौर पर कोई बातचीत नहीं कर पाई है। इस आंदोलन से सरकार कृषि विधेयक को वापस लेती है या नहीं, कुछ कहा नहीं जा सकता।

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