खबर लहरिया Blog उत्तराखंड के जंगलों में आग का कहर

उत्तराखंड के जंगलों में आग का कहर

उत्तराखंड के जंगलों में आग का कहर :तापमान बढ़ने के साथ ही जंगलों के जलने का सिलसिला शुरू हो गया है। आसमान से बरसती आग और बढ़ते तापमान के कारण उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने की कई घटनाएं सामने आई हैं। यहां जंगलों में आग की 45 से भी ज्यादा घटनाएं दर्ज की गई हैं, इस आग ने राज्य की 51.34 हेक्टेयर वन भूमि को प्रभावित किया है। जंगल में लगी आग के कारण जंगलों में रहने वाले वन्यजीवों के जीवन पर संकट मंडरा रहा है। ऐसा बताया जा रहा है कि पिछले साल इसी तरह के जंगल की आग ने अल्मोड़ा, नैनीताल, टिहरी, देहरादून और हल्द्वानी में सैकड़ों हेक्टेयर भूमि को नष्ट कर दिया था।

उत्तराखंड के पौड़ी-गढ़वाल जिले के श्रीनगर इलाके में स्थित जंगलों में शनिवार (23) मई को भीषण आग लग गई है। यह आग तेज हवा के कारण आग काफी तेजी से फैल रही है। वहीं, तेज धूप के चलते जंगल में घास और लकड़ियां सूखी हुई हैं, जिससे आग काफी तेजी से फैल रही है। तेज हवा के कारण आग पर काबू नहीं पाया जा सका है।

 

पिछले साल जल गया 2104 हेक्टेयर जंगल

नवभारत टाइम्स समाचार पत्र से मिली जानकारी के अनुसार आग के कारणों के बारे में नहीं पता चल सकता है। आमतौर पर गर्मी के दिनों में पहाड़ी इलाकों का सूखे पत्तों और घासफूस में आग लग जाती है, जो देखते ही देखते बड़े-बड़े जंगलों को खाक में मिलाकर रख देती है। पिछले साल ऐसी ही एक आग लगी थी, जिसमें उत्तराखंड के दो हजार हेक्टेयर से ज्यादा जंगल राख में मिल गया था।

यह आग 2016 की याद दिलाती है। 2016 में 4,538.21 हेक्‍टेयर जंगल आग से जल चुका था। जंगल में लगी आग की तबाही कोई नई बात नहीं है। सन 2000 में जब उत्तराखंड बना है 44,518 हेक्‍टेयर जंगल आग में झुलस चुका है। इसके बावजूद आग बुझाने के उपाय नाकाफी साबित हुए हैं।
देश में कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई जारी है और लॉकडाउन का चौथा चरण चल रहा है। देश के बाकी राज्यों की तरह उत्तराखंड में भी कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं, इस बीच यह राज्य एक और त्रासदी से घिर गया है। दरअसल, पिछले चार दिनों से उत्तराखंड जल रहा है। रूह कपा देने वाली ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं।
आपको बता दें की ऐसी ही आग 2019 में ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी थी, आग के कारण 50 करोड़ के करीब वन्य प्रजातियों को नुकसान पहुंचा था। आग का सबसे बुरा प्रभाव कोआला जानवरों पर पड़ा था जिनकी संख्या आधी रह गई।वैसा ही आग का कहर अब उत्तराखंड के जंगलों में देखने को मिल रहा है।