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न काम न पैसे कब तक चलते रहेंगे मज़दूर ऐसे

न काम न पैसे कब तक चलते रहेंगे मज़दूर ऐसे :कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 मार्च को एक दिन का जनता कर्फ्यू लगाया था। जिसके बाद  काम करने वाले प्रवासी काफी मजदूर अपने प्रदेशों को लौटने लगे, लेकिन पहले ट्रेन और बस सेवा बंद हुई और 24 मार्च को लॉकडाउन पूरे देश में लागू हो गया। जो अब तक चल रहा है. लॉकडाउन के चलते दूसरे राज्यों में काम कर रहे दिहाड़ी मजदूरों के सामने संकट खड़ा हो गया । इन मजदूरों के पास काम नहीं है। भूख और बेबसी का आलम ये है कि रोज़ हज़ारों प्रवासी मज़दूर अपनी जान जोखिम में डालकर रात के अंधेरे में पैदल यमुना नदी पार कर रहे हैं. क्योकि केंद्र सरकार ने किसी भी हाइवे से मज़दूरों का पैदल चलना बंद कर दिया।

कई पैदल चल रहे मज़दूरों को अपनी जान तक गवानी पड़ी.कई जगह सड़क हादसे में उनकी जान गई लेकिन इसके बाद भी मज़दूरों का चलना बंद नहीं हुआ। हालांकि केंद्रीय गृह मंत्रालय की इजाजत मिलने के बाद अलग-अलग सरकारें अपने राज्य के मजदूरों को वापस लाने में जुटी हैं. लेकिन वहीं ऐसे भी बहुत से मजदूर हैं, जो पैदल ही घर के लिए निकल पड़े हैं. पैदल निकलने वाले मजदूरों का जत्था जगह-जगह दिखा. चिलचिलाती धूप में पैदल निकले मजदूरों का कहना है कि घर में खाने के लिए कुछ नहीं है और फैक्ट्रियां खुल नहीं रही हैं. ऐसे में अपने घर जाना ज्यादा बेहतर है. आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के औरैया जिले में 16 मई को हुए भीषण सड़क हादसे के बाद सीएम योगी ने एक बार फिर से सभी अधिकारियों से प्रवासी मजदूरों के पैदल चलने पर रोक लगाने को कहा है. वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को जारी आदेश में स्पष्ट तौर पर सीएम योगी ने कहा कि किसी भी प्रवासी नागरिकों को पैदल, अवैध या असुरक्षित गाड़ियों से यात्रा न करने दिया जाए. जिससे मज़दूर काफी नाराज हुए कई जगह तो नारेबाजी भी हुई.
17 मई की सुबह से राज्य में दाखिल होने के लिए सैंकड़ों की संख्या में मजदूर गाजीपुर बॉर्डर पर मौजूद हुए , लेकिन पुलिस ने उन्हें वहीं पर रोक दिया।फिर यूपी के सहारनपुर में घर लौट रहे पैदल मजदूरों ने हंगामा शुरू कर दिया है। ये सभी अपने घर बिहार वापस जाना चाहते हैं, लेकिन पुलिस वाले इन्हें रोक रहे हैं। इसी वजह से मजदूरों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी और अंबाला हाई-वे जाम कर दिया। मजदूरों ने पुलिस प्रशासन से मांग की है कि या तो उन्हें आगे बढ़ने दिया जाए या फिर उनकी वापसी के लिए ट्रेन की व्यवस्था की जाए तब तक वे यहीं जमे रहेंगे, वापस नहीं लौटेंगे।.
लेकिन उसके बाद ये सब अपनी जान जोखिम में डाल हरियाणा के यमुनानगर और यूपी के सहारनपुर के बीच पड़ने वाली यमुना नदी से निकलने लगे. एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार मजदूरों ने कहा पुलिस के डर से रात में पार करते हैं. कई लोग नदी पार करने के लिए टायर की ट्यूब का इस्तेमाल कर रहे हैं.उन्होंने कहा, ‘रास्ते में हमने जंगलों को भी पार किया. हमें डर तो लग रहा है लेकिन मजबूरी है. खाना नहीं मिल रहा है. सड़क से जा रहे हैं तो पुलिस डंडे मार रही है. हमारे पास पैदल जाने के अलावा कोई रास्ता नहीं है.’ रात में सफर तय करने को लेकर उन्होंने कहा कि दिन में गर्मी की वजह से वह रात में आगे बढ़ रहे हैं. यह पूछने पर कि बस-ट्रेन नहीं मिल रही है, एक मजदूर ने कहा कि बस या ट्रेन नहीं मिल रही है, मिल भी रही है तो चार हजार रुपये किराया मांग रहे हैं. इतने पैसे हमारे पास नहीं हैं. फिर बस से कैसे जाएंगे? पिछले कुछ दिनों में लगभग 2000 से ज्यादा मजदूर इस रास्ते से गुजर चुके हैं. प्रशासन की मानें तो पिछले एक हफ़्ते में तीन हजार से ज़्यादा प्रवासी मज़दूरों ने पैदल उत्तर प्रदेश की सीमा में पहुंचने के लिए यमुना पार की है.

प्रवासी मजदूरों
यमुना नदी के आसपास पुलिस की तैनाती नहीं है. सहारनपुर पुलिस को इस बारे में सूचना दी गई. सहारनपुर प्रशासन का कहना है कि वह मजदूरों के लिए वाहन का इंतजाम कर रहे हैं. सहारनपुर पुलिस ने नदी पार करा रहे तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। सहारनपुर के एसएसपी दिनेश कुमार का कहना है कि सहारनपुर में बस वहीं प्रवासी मजदूर को प्रवेश दिया जा रहा है जो हरियाणा सरकार की ओर से जांच कर बैठाए जा रहे हैं।
फिलहाल ज्यादातर मजदूर सहारनपुर स्थित शेल्टर होम में रह रहे हैं. साफ है कि मजदूरों में या तो श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को चलाए जाने की जानकारी का अभाव है या ज्यादा तादाद होने की वजह से इन ट्रेनों में सभी लोगों का नंबर नहीं आ रहा या फिर वह लोग संक्रमण के भय से इन ट्रेनों से जाना नहीं चाहते. ट्रेन के किराए भी उनकी बजट से बाहर है तो ऐसे में उन्हें अपनी जान जोखिम डालना ही पड़ रहा है क्योंकि पापी पेट का सवाल है।