खबर लहरिया खेती ठंड में खुद को बचाएं या फसल? गलन भरी ठंड में अन्ना मवेशियों से रखवाली | द कविता शो

ठंड में खुद को बचाएं या फसल? गलन भरी ठंड में अन्ना मवेशियों से रखवाली | द कविता शो

नमस्कार दोस्तों द कविता शो के इस एपीसोड में आपका स्वागत है। दोस्तों ठंड हवा और गलन ऐसी हैं मानो बुंदेलखंड भी शिमला बन गया हो। बाहर निकलते ही हाथ पैर बर्फ़ की तरह ठंड हो रहे हैं। हर दिन गलन बढ रही है।

ऐसे में लोग रजाई के अंदर हैं, जिनके पास पैसा है वह लोग अपने रूम में हीटर जलाते हैं, ब्लोवर चलाते और अगर नहाना हो तो गीजर मशीन से पानी गरम करके ही नहाते है, लेकिन इस देश का किसान ऐसी गलत, हाड कपाने वाली ठंड में खेतों की रखवाली करते है। तभी तो अमीर से लेकर गरीबों तक का पेट भरता है, लेकिन नीचे ठंडी जमीन खेतों में पडी ओस आसमान से बरसता कोहरा और ठंडी हवाओं के बीच रात भर अन्ना जानवरों से अपनी फसल बचाने के खेत की मेडों से किसान रात दिन गुजरते हैं।

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उत्तर प्रदेश की सरकार ने जबसे जानवर को अन्ना कर दिया तब से किसानों को मुसीबत में डाल दिया है। दिन का चैन और रात की नींद हराम है। मेरे जान पहचान के किसानों ने बताया कि सरकार किसानों के पेट में ताल मार रही है। खाद बीज और डीज़ल पेट्रोल के दाम इतना बढ़ाया है कि कर्ज लेकर जोताई बोआई करवाया जब गेहू चना सरसों की फसल बड़ी हो गई तो अन्ना जानवरों से नहीं बच रही है। रात में झुंड के झुंड जानवर आते हैं और फसल खा जाते है। इतनी ठंड में हाथ पैर कापते हैं हमको रोना आता है इस मुसीबत को देख कर। भूखे फिर रहें जानवरों की दुर्दशा देख कर भी अलग दर्द होता है। पता नहीं की सरकार की क्या मंशा है।

मीडिया में सरकार की इतनी अच्छी खबरें चल रही है लेकिन हमको जमीनी सच्चाई में ये सब जीरो दिखाई दे रहा है। सरकार इसको पलटकर क्यों नहीं देख रही है। अन्ना जानवरों का पैसा कौन खा रहा है। कहां हैं गौशाला और गौशाला की व्यवस्था? अगर जानवर गौशाला के होगें तो किसान अपनी फसले आसानी उगा सकता है बचा सकता खुश रह सकता है। इसके लिए सरकार को और गौ भक्तों को आगे आना होगा।

दोस्तों इस बार के शो में इतना ही अगले एपीसोड में मैं फिर मिलती हूं कुछ करारी बातों के साथ तबतक के लिए नमस्कार।

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