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विलुप्त होते पक्षियों का कैसे होगा संरक्षण ?

पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, नदियां, पहाड़ ये सब अगर हमारे जीवन से लुप्त हो जाएँ तो क्या हम एक दिन भी इस धरती पर काट पाएंगे? नहीं न? लेकिन आजकल इस दौड़ भाग भरी ज़िन्दगी में जब हम अपने घरों के एसी और कूलर वाले कमरों में बंद रहना पसंद करते हैं, ऐसी में प्रकृति की देखभाल और उसके संरक्षण के बारे में सोचता ही कौन है? हमारा ध्यान इसी बात की ओर ले जाने के लिए और दुनिया को अपनी प्राकृतिक सुंदरता को संजो कर रखने के लिए हर साल 28 जुलाई को मनाया जाता है विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस।

यह दिन न ही सिर्फ हमें याद दिलाता है कि हमारे लिए पेड़-पौधे, पशु-पक्षी कितने आवश्यक हैं बल्कि हमें अपनी प्राकृतिक सुंदरता को जीवित रखने के लिए भी यह दिवस हमें प्रेरणा देता है।

पिछले कुछ सालों में हमने इस प्राकृतिक सुंदरता की कदर नहीं की जिसके परिणाम स्वरूप आज हमारे जीवन से पेड़-पौधों के साथ-साथ कुछ ऐसे पक्षी भी लुप्त होते जा रहे हैं जिनकी खूबसूरती एक समय में देखने लायक होती थी।

हमने जंगल काट दिए, नदियों के किनारे गन्दगी करना शुरू कर दिया और इन बेज़ुबान पंछियों का घर छीन लिया। नतीजा आज यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी गौरैया और मोर जैसे खूबसूरत पंछी अब कभी-कभी ही देखने को मिलते हैं। हमने कुछ लोगों से बात की और उनसे लुप्त होते इन पक्षियों के बारे में जानना चाहा, तो आइए जानते हैं कि लोगों का क्या कहना है हमारी इस धरोहर के बारे में।

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