खबर लहरिया जवानी दीवानी बुंदेलखंड- लड़के ही नहीं लड़कियों ने ‘दिवारी नृत्य’ कर लिया मज़ा

बुंदेलखंड- लड़के ही नहीं लड़कियों ने ‘दिवारी नृत्य’ कर लिया मज़ा

जिला महोबा ब्लाक जैतपुर कस्बा कुलपहाड़ कोतवाली कुलपहाड़ तहसील कुलपहाड़। यहां के लड़कियों ने कुछ अनोखा कर दिखाया जहां पर लड़कियां नहीं दिवाली खेलती हैं सिर्फ लड़का ही खेलते हैं।

यहाँ के रहने वाले गोपी दिवारी खिलाने वाले कहते हैं कि मैं 8 साल से दिवारी बच्चों का खिलवारहा हूं। जिससे कि पहले लड़की अर्चना हर जगह दूसरे गांव खेलने के लिए दिवारी गई थी। उसी के उसमें मुझसे बच्चियों ने बोला है कि जैसे अर्चना दिवारी खेलती है वैसे हम भी खेलेंगे।तो इस साल बच्चियां ट्राई कर रही है।

दिवारी नृत्य
जिससे हम लोगों को बहुत खुशी हो रही है और हम लोग सिखाते भी हैं अपने बच्चियों को। जहां जहां दिवारी खेलने के लिए गए हैं वहां वहां सिर्फ लड़का ही देखे हैं लड़की दिवारी खेलती नहीं दिखी हैं।जिससे कि हम लोगों का भी बहुत खुश हुए हैं कि हमारी लड़कियां आगे बढ़ने की कोशिश तो कर रही हैं। अभी तो घरों में ही छह सात लड़कियां शुरुआत की है।
सुनील कुमार ने बताया है की लड़का और लड़की में भेदभाव नहीं करना चाहिए। लड़का भी नाम रोशन करता है और लड़की भी नाम रोशन करती है। ऐसा ही हमारे यहां की लड़कियां हैं जो हम लोग उनको आगे बढ़ाना चाहते हैं। कि एक अलग कमेटी लड़के लड़कियों की हो जाए कि कहीं भी दिवारी खेल सकती हैं। उनकी हिम्मत भी देखो की उन्होंने दीवारी खेलना ठान ही लिया है कि हम किसी से कम नहीं हैं। जो चीज लड़का करते हैं वह हम क्यों नहीं कर सकते हैं इस बात को लेकर हमें भी खुशी है कि अगर लड़कियां हर नौकरी कर सकती हैं। यह तो एक खेल है और खेल के जरिए ही लड़कियों की पहचान होगी।दिवारी नृत्य

यह भी सुनील कुमार ने बताया है कि जब तक तन मन धन लगाऊंगा बच्चियों के खेल पर, और आगे ही बड़ा कर ही रहूंगा। जब 8 साल से अर्चना नाम की एक ही लड़की 10 लड़कों के साथ में खेलती थी तो मैंने सोचा कि अगर एक लड़की 10 लोग लड़कों के साथ में खेल सकती है तो बाकी लड़कियां क्यों नहीं निकल सकती हैं। उनको हौसला की ही जरूरत होती है। तभी वह आगे लड़कियां निकल पाते हैं इसी वजह से मैंने इस साल देवारी खेलने के लिए 4 लड़कियां और तैयार किया है।