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राशन कार्ड होते हुए भी जब राशन के पड़ जाएं लाले

जिला ललितपुर ब्लाक महरौनी गांव गोना ,राशन कार्ड के होते हुए भी यहाँ पर लोगों को तमाम समस्याएं झेलनी पद रही है. यहाँ पर लोगों से बात किया तो लोगों ने कहा हमारे चार लड़के है हम राशन कार्ड को लेकर बहुत परेशान हैं. हमें राशन नहीं दे रहे हैं कोटेदार, हम जाते हैं तो अंगूठा लगवा लेते हैं और राशन नहीं दे रहे हैं हम बहुत परेशान हैं छोटे-छोटे बच्चे हैं हमारे, हमारे पति नहीं है, मजदूरी करते हैं जमीन भी नहीं हैं.

हमें कोटेदार करीब 3 साल से परेशान कर रहा है हमारा राशन कार्ड तो है अंगूठा भी लगता है कभी कोटेदार आधार आसन दे देते हैं कभी बिल्कुल भी नहीं देते हैं हम एसडीएम के यहां और एक बार तहसील में कल मंगल दिवस में शिकायत भी की तो अभी कोई कार्रवाई नहीं हुई. एसडीएम साहब का कहना है कि हम इसकी जांच करवाएंगे अगर ऐसा है तो कोटेदार के खिलाफ एफ आई आर दर्ज भी की जाएगी। हम विधवा हैं बार-बार नहीं भाग सकते शिकायतें करते हमारा पैसा भी खर्च होता है हम मजदूरी करते हैं कहां से लाए शिकायतों के लिए पैसा? अभी तीन चार बार शिकायतें कर चुके हैं तो हमारा 1000 रूपए तक खर्च हो गया है और कार्रवाई कुछ नहीं हुई है हम तो बस यही चाहते हैं कि हमें कोटेदार राशन देने लगे ठीक तरह से पूरा राशन जितना हमारे हिस्से में है, हमारे गरीबी रेखा के बीपीएल का परमट में है.

वह तो हमारी भूमिधर जमीन है हम क्यों अपना पैसा लगाएंगे इतना पैसा कहां से लाएंगे कि बीस हजार रुपये लेखपाल को दो हमारा न्यायालय में मुकदमा चल रहा है एसटी लगी पर भी हमारी भूमि जमीन ले ली है और दूसरे पक्ष के लोगों ने लेखपाल कानूनगो को रिश्वत दी है इसलिए हमारा कोई काम नहीं हो रहा है हम बहुत परेशान हो रहे हैं छोटे-छोटे बच्चे हैं 2 साल से भटक रहे हैं यहां और आज भी यहां डीएम के यहां ज्ञापन देने आए हैं हमारी कोई सुनवाई नहीं हो रही है हम तो यह चाहते हैं कि हमारी भूमिधर जमीन है और हमें को मिलना चाहिए

जिला ललितपुर ब्लाक महरौनी गांव ककरूवा निरपत सिंह यादव का कहना है कि हमारी हर बार दरखास ले लेते हैं और मौके पर कोई जांच करने के लिए नहीं जाता हम करीब 2 साल से यहां का चक्कर लगा रहे हैं कभी एसडीएम के यहां तो कभी dm9 कभी थाने में हमारी कहीं से सुनाई नहीं हो रही है हम बहुत परेशान हैं हमारी भूमि जमीन दूसरे लोगों को दे दी है और लेखपाल और थानेदार हमारे ऊपर दबाव डाल रहे हैं नाराहट के की जबरदस्ती न पा रहे हैं हम नहीं न पा सकते यहां से कोई सुनवाई नहीं हो रही है हम लोगों की हमारे छोटी-छोटी बच्चा है हमारी भूमि जमीन दूसरे विपक्ष के लोगों ने ले ली है जबरदस्ती कब्जा कर लिया है उन लोगों ने हम बहुत परेशान हो रहे हैं हमारी कोई सुनवाई नहीं हो रही है बहुत दिन से हम यहां के चक्कर काट रहे हैं और हमारा पैसा बराबर खर्च हो रहा है लगभग एक बार में ₹500 का खर्च आता है और हम 2 साल से भटक रहे हैं मजदूरी कर करके पैसा लगा रहे हैं हम तो यही मांग करते हैं सरकार से कि हमारी भूमि जमीन हमी को मिल जाए दूसरी पक्ष के लोग थानेदार को और लेखपाल को पैसे दे रहे हैं इसलिए हमारी कोई सुनवाई नहीं कर रहा है हमारे पास इतना पैसा नहीं है कि हम पैसा देकर अपनी