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जिले में बढ़ रहा डेंगू का प्रकोप

यूपी के कई जिलों में अभी-भी लगातार डेंगू का कहर बढ़ रहा है। अस्पताल मरीज़ों से भरे हुए हैं।

साभार – दैनिक भास्कर

बांदा। जिले में डेंगू व बुखार का कहर थम नहीं रहा है। 11 अक्टूबर, सोमवार को एक और डेंगू का मरीज मिला है। अब जिले में डेंगू मरीजों की संख्या 28 पहुंच गई है। उधर, बुखार से ग्रसित वृद्ध समेत दो लोगों ने जिला अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। अस्पताल में बुखार के लगभग 13 मरीज भर्ती कराए गए हैं।

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11 अक्टूबर को 1200 नए मरीज पहुंचे ओपीडी

जिला अस्पताल में सोमवार को लगभग 1200 नए मरीज ओपीडी में इलाज कराने पहुंचे। इसमें से ज़्यादातर बुखार से पीड़ित रहे। शहर के धीरज नगर में रहने वाले श्रेयांश (15) को गंभीर हालत में सोमवार को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। परिजनों ने बताया कि कई दिनों से बुखार आ रहा है। निजी पैथालॉजी में डेंगू पॉजिटिव बताया गया है।

दो की मौत और कई बीमार

जसपुरा सीएचसी क्षेत्र के खप्टिहा कलां गांव निवासी देवीदयाल (85) की बुखार की चपेट में आने से सोमवार को सुबह जिला अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। उसे 10 सितम्बर को दोपहर भर्ती किया गया था। वहीं, महुआ गांव निवासी साधु (30) की बुखार की चपेट में आकर मौत हो गई। 11 अक्टूबर को रमेश (35) बबेरू, सुखवीर (60) लोहरा, साफिया (40) अलीगंज, हरेराम (18) महुटा, रवि (22) जारी, अरमान (2) बदौसा, बच्ची (48) भटौरा, इंद्रकला (30) कमासिन आदि जिला अस्पताल में भर्ती कराए गए हैं। बुखार से इनकी हालत खराब है।

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क्या कहते हैं डॉक्टर

ट्रामा सेंटर के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. विनीत सचान और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.वीके श्रीवास्तव ने बताया कि मौसम में बदलाव से बुखार और सर्दी-जुकाम, खांसी के मरीज बढ़े हैं। सुबह-शाम ठंड और दोपहर के तेज धूप ने मौसमी बीमारियां और बढ़ा दीं। खासकर यह मौसम बच्चों के लिए खतरनाक है।

आखिरकार क्या है ये डेंगू की बीमारी?

डेंगू बुखार एक मच्छर जनित बीमारी है, जो पूरी दुनिया में पाई जा सकती है। राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनवीबीडीसीपी) निदेशालय के अनुसार भारत में इस साल 13 अक्टूबर 2019 तक डेंगू बुखार के 67,000 मामले सामने आ चुके थे। बच्चों को डेंगू होने की आशंका अधिक होती है। परिणामस्वरूप उन्हें इससे बचाने के लिए ज़रूरी कदम उठाना अनिवार्य हो जाता है। यह जानने के लिए आगे पढ़ें कि आप यह कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपके बच्चे इस घातक बुखार के हमले से सुरक्षित रहें।

डेंगू कैसे प्रभावित कर सकता है?

बच्चे अपनी विकासशील प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण बीमारियों का ज़्यादा शिकार होते हैं। जब वे बाहर खेल रहे होते हैं तो तमाम तरह के कीटाणुओं और वायरस के सम्पर्क में आते हैं। सुबह और शाम के वक्त डेंगू के मच्छर सबसे अधिक सक्रिय होते हैं। उसी समय बच्चे घर से बाहर होते हैं। घर के अंदर और बाहर पानी का जमाव न होने दें। स्थिर और साफ पानी डेंगू फैलाने वाले एडीज मच्छरों के लिए एक प्रजनन आधार तैयार करता है।

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डेंगू के लक्षण क्या हैं?

आमतौर पर बच्चों में डेंगू के लक्षण आसानी से दिखाई नहीं देते, क्योंकि वे सामान्य बुखार के जैसे ही होते हैं। वे बीमारी की गंभीरता पर भी निर्भर करते हैं। एडीज मच्छर द्वारा काटे जाने के 4 दिनों से लेकर 2 सप्ताह के बीच कभी भी लक्षण दिखाई दे सकते हैं।

– फ्लू जैसे लक्षण, जो 2 से 7 दिनों तक रह सकते हैं।
– 40°C / 104°F टेंपरेचर वाला तेज बुखार
– तेज सिर दर्द, आंखों के पीछे दर्द, जी मचलाना/उल्टी लगना, ग्रंथियों में सूजन, जोड़ों, हड्डियों और मांसपेशियों में दर्द और त्वचा पर लाल चकत्ते होना
– गंभीर लक्षणों में मसूड़ों से खून आना, खून की उल्टी लगना, तेज-तेज सांस आना और शरीर टूटना/बेचैनी प्रमुख हैं।

डेंगू का उपचार कैसे करें?

एसिटामिनोफेन (टाइलेनॉल) लेने से दर्द में आराम हो सकता है और बुखार भी कम हो सकता है। एस्पिरिन, आइबुप्रोफेन और नेप्रोक्सेन सोडियम जैसे दर्द निवारक लेने से बचें, क्योंकि वे रक्तस्राव संबंधी जटिलताओं को बढ़ा सकते हैं। गंभीर डेंगू बुखार के मरीजों को आमतौर पर तरल पदार्थ दिए जाते हैं और इलेक्ट्रोलाइट प्रतिस्थापन के जरिये उनका उपचार किया जाता है।

इस खबर को मीरा देवी द्वारा लिखा गया है।

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