पुलिस की मौजूदगी में बारात पर पथराव किये गए जिसमें कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए। मामले को लेकर पुलिस ने कई लोगों के खिलाफ मामला दर्ज़ किया है।
दलित दूल्हे के घोड़ी चढ़ने पर गांव के कुछ दबंगो ने उस पर पथराव शुरू कर दिया सिर्फ इलसिए क्योंकि दूल्हा दलित था। मामला छतरपुर जिले के बकस्वाहा थाना क्षेत्र के चौरई गांव, सोमवार शाम 5 जून का है। बारात में तकरीबन 40-50 बाराती शामिल थे।
पुलिस की मौजूदगी में बारात पर पथराव किये गए जिसमें कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए। मामले को लेकर पुलिस ने कई लोगों के खिलाफ मामला दर्ज़ किया है।
यह मामला एक बार फिर हमें यह बताता है कि समाज के कुछ लोगों ने खुद को ऊंचा मान लोगों का शोषण करना सीख रखा है। खैर ये सिखलाई तो समाज शुरू से ही देता आ रहा हैं जहां उसने दलित को सबसे नीचे दबा रखा है और कुछ लोगों को ऊंचा बैठाकर उन्हें अधिकारों से लबालब कर दिया है।
समाज में जाति को लेकर सोच न तो शिक्षा के बाद बदल पाई और न ही विकास के बाद। समाज में जाति को लेकर कभी समावेश देखा ही नहीं गया जिस प्रकार से जातिगत अधिकारों व उसके समावेश होने की बात उच्च कहे जाने वाले लोगों द्वारा कही जाती है। छतरपुर जिले में हुई यह घटना बस पिछली कई घटनाओं की तरह दलितों के साथ हो रहे शोषण की गिनती में आ गई है जो बस कुछ समय के बाद फिर कहीं दब जाएगी। लेकिन क्या इन शोषणों, इन विचारधाराओं को रोकने का कोई उपाय है क्या?
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पुलिस की मौजूदगी में निकली बारात
इस मामले के बारे में गहराई से बात करें तो मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार,चौरई गांव से रितेश अहिरवार की बारात सागर जिले के शाहगढ़ जा रही थी। इससे पहले गांव में घोड़ी पर बैठकर दूल्हे की बारात घुमाई जानी थी। इसी दौरान गांव के रसूखदारों (प्रभावशाली लोग) ने इसका विरोध किया। इस विरोध ने एक बड़े विवाद का रूप ले लिया और फिर गांव के कुछ लोगों ने दबंगई दिखाते हुए बारात पर पथराव करने लगे।
लल्लनटॉप की रिपोर्ट के अनुसार, इस पत्थरबाजी में सब डिविजनल पुलिस ऑफिसर (SDOP) शशांक जैन सहित 4 पुलिस वालों को भी चोटें आईं। इसके बाद छतरपुर जिले के पुलिस अधीक्षक (SP) अमित सांघी के निर्देश पर गांव में भारी पुलिस बल को तैनात किया गया। पुलिस ने दूल्हे के परिवार को भरोसा दिया कि उन्हें जैसे बारात निकालनी हो, वैसे बारात निकालें। पुलिस ने कहा कि दूल्हा जहां से चाहे अपनी बारात निकलवा सकता है।
पुलिस की मौजूदगी में ही बारात चौरई गांव से सागर जिले के शाहगढ़ गई और वहां उसकी शादी हुई और इसके बाद वह गांव वापस लौटें।
मामले को लेकर एसपी ने यह कहा
छतरपुर के SP अमित सांघी ने इस मामले की जानकारी देते हुए कहा, “बक्सवाहा थाना क्षेत्र के चौरई गांव में एक समुदाय में शादी थी। ये लोग गांव में जब देवी पूजन के लिए निकले तब दूसरे समुदाय ने कुछ आपत्ति की। गांव में पुलिस बल भेजा गया था लेकिन इसी दौरान दूसरे समुदाय ने पथराव कर दिया। इसके बाद और पुलिस बल भेजा गया। गांव में पुलिस और प्रशासन की मौजूदगी में गांव के कार्यक्रम शांति से हुए। बारात शाहगढ़ क्षेत्र में जानी थी। वहां पर भी शादी के कार्यक्रम संपन्न हुए. बारात वापस लौट आई है। अभी शांति का माहौल है.”
5 आरोपी गिरफ्तार
छतरपुर के एसपी ने मामले को लेकर ट्वीट करते हुए बताया, इस केस में 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। बक्सवाहा थाने में इसमें शासकीय काम में बाधा डालने, मारपीट, हरिजन एक्ट के तहत FIR हुई है। साथ ही धारा 341,353,332,186,147,148,149,506 ipc तथा sc/st एक्ट के तहत मामला लिखा गया है।
द मूकनायक ने 11 मई को एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। 4 मई 2023 का मामला था जिसमें यूपी के आगरा में दलित की बारात रोक ली गई थी। दूल्हे से पूछा गया ‘मेरे सामने घोड़ी पर बैठने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हो गई!’ इस बात से तनाव की स्थिति पैदा हो गई। मामला इतना बढ़ गया कि आरोपियों ने दलित दूल्हे को घोड़ी से उतार दिया। बारात में आई महिलाओं और युवतियों से छेड़छाड़ की। विरोध पर जमकर मारपीट की। इस घटना में दुल्हन की मां की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
समाज में खुद को ऊंचा समझने वाले लोग दलितों के साथ हमेशा से शोषण करते आये हैं और आज भी कर रहे हैं। ऐसे में सरकार व प्रशासन जहां जातिगत शोषण को खत्म करने की बात करता है, या हवाला देता है, वह बदलाव समाज में देखने को नहीं मिलता। साथ ही समाज भी कई बार बदलाव को सामने से स्वीकार नहीं करता।
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